अरे यार, यह तो मस्जिद में रहने वाला डॉ. मुजम्मिल बिल्कुल आम आदमी जैसा ही चल रहा था, पहले पति से पहचान बनाकर फिर दूध खरीदने लगा। अरे इसके अलावा कहीं भी कोई फर्जी व्यवसाय नहीं करता... तो फिर मस्जिद में रहने की बात क्यों हुई? और 1500 रुपये महीने के लिए एक कमरा किराए पर लेने की बात तो पूरी तरह से मजाक है। 