असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध, हिमंत कैबिनेट ने कानून को दी मंजूरी; 7 साल की होगी जेल

असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध: हिमंत कैबिनेट ने कानून को मंजूरी दी

हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार (9 नवंबर, 2025) को कहा, 'असम मंत्रिमंडल ने आज बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक का नाम 'असम बहुविवाह निषेध विधेयक, 2025' होगा। इसे 25 नवंबर, 2025 को विधानसभा में पेश किया जाएगा।

इस विधेयक के तहत अगर किसी आरोपी पर बहुविवाह का आरोप साबित होता है, तो उसे सात साल तक की कठोर कारावास की सजा हो सकती है। नए विधेयक में इस अपराध (पॉलिगैमी) को नॉन-कोगनिजिबल (non-cognizable) अपराध बनाया गया है और इसके तहत गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत जमानत नहीं मिलेगी।

इसके अलावा, हमने पीड़ित महिलाओं को मुआवजा देने के लिए एक कोष बनाने का भी फैसला किया है। सरकार जरूरी मामलों में आर्थिक मदद करेगी, ताकि किसी भी महिला को जिंदगी में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े।

असम के जनजातीय समुदायों, जो अपनी परंपराओं का पालन करते हैं और करबी आंगलोंग और दीमा हसाओ जैसे पहाड़ी जिले (जो संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं), साथ ही बोडो टेरिटोरियल रीजन (BTR) के अंतर्गत आने वाले पांच जिलों को इस नए कानून के दायरे से बाहर रखा जाएगा।
 
🤔 क्या भाई, यह तो बहुत ही रोचक नियाम है असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने की। लेकिन मुझे लगता है कि इसमें बहुत सारे सवाल हैं। सबसे पहले, इसके फायदों और नुकसान क्या हैं? अगर ऐसी कई महिलाएं बहु विवाह कर रही हैं, तो क्या इससे उन्हें कोई आर्थिक मदद नहीं मिलेगी? 🤑

और कहीं यह बात नहीं आई है कि असम सरकार ने इसने सोचा है या नहीं कि इसमें कितने लोग काम करेंगे, और इसके फायदों और नुकसान को कैसे मापेगी। क्या यह तो एक बड़ी अनुभवी व्यक्ति द्वारा बनाया गया है, या बस ऐसा सोचा गया है? 🤔

एक बात तो जरूर है कि इसमें असम के जनजातीय समुदायों को ध्यान में रखा गया है। लेकिन क्या इससे उनकी परंपराओं और संस्कृतियों को खतरा नहीं होगा? 🙏

मुझे लगता है कि इस विषय पर और अधिक चर्चा करने की ज़रूरत है, और इसके बारे में लोगों से पूछने की जरूरत है। तो चलिए, इस विषय पर और अधिक चर्चा करेंगे! 💬
 
क्या यह अच्छा निर्णय है? मुझे लगता है कि बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने से असम की जनजातीय समुदायों को काफी परेशानी होगी। उनकी परंपराओं और जीवनशैलियों को यह बदलने की जरूरत नहीं है
 
असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध, यह अच्छी बात है 🤝। ऐसे आरोपियों को जेल भेजने से पहले उन्हें फिर से साक्ष्य इकट्ठा करने का मौका देना चाहिए। सरकार ने पीड़ित महिलाओं को मुआवजा देने की बात कही, लेकिन यह मुआवजा वास्तव में उनकी जिंदगी बदलने वाला होना चाहिए। और असम के जनजातीय समुदायों को इस नए कानून से बाहर रखना एक अच्छा फैसला है 🙏
 
🤔 असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने की बात तो होनी चाहिए, लेकिन यह कानून तो बहुत कड़ा है। अगर ऐसे व्यक्ति पर आरोप साबित होता है, तो उनके लिए 7 साल तक की सजा भी देना काफी कठोर है। 🤕

मुझे लगता है कि ज्यादातर मामलों में यह कानून लागू नहीं होगा। जैसा कि कहा गया है, असम के जनजातीय समुदायों को इस कानून से बाहर रखा गया है। तो ये अच्छी बात है क्या? 🤔

लेकिन सरकार ने पीड़ित महिलाओं को मुआवजा देने का फैसला भी किया है, जो अच्छी गंभीरता से लिया गया है। मैं उम्मीद करता हूं कि यह मुआवजा वास्तव में मदद करेगा। 💸
 
🤔 असम में बहुविवाह पर यह नियम लगाने से पहले तो लोग बहुत ही खुश थे। लेकिन इसके फायदे और नुकसान के बारे में हमें अधिक जानकारी चाहिए। अगर इसे लागू किया जाता है तो असम में शादी करने वाले लोगों की संख्या कम हो सकती है। लेकिन इसके बावजूद, बहुविवाह पर यह नियम लगाने से पीड़ित महिलाओं को फायदा हो सकता है। 📊

प्रकरण: असम में बहुविवाह पर यह नियम लगाने से पहले तो लोग बहुत ही खुश थे।

चार्ट: असम में शादी करने वाले लोगों की संख्या कैसे प्रभावित हो सकती है? 📈 35% कम

ग्राफ: पीड़ित महिलाओं की संख्या कैसे बढ़ सकती है? 🚀 25%

नियम: असम में बहुविवाह पर यह नियम लगाने के बाद, जेल में रहने वाले लोगों की संख्या कैसे प्रभावित हो सकती है? 🕳️ 15% कम
 
बहुत अच्छी खबर है 🙌! असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने का फैसला करना एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे महिलाओं को उनके अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा की जाएगी। सरकार ने यह भी अच्छा फैसला किया है कि पीड़ित महिलाओं को मुआवजा देने के लिए एक कोष बनाया जाएगा। इससे उन्हें अपने जीवन में मुश्किलों से निपटने में मदद मिलेगी। और सबसे अच्छी बात यह है कि जनजातीय समुदायों को इस नए कानून के दायरे से बाहर रखा गया है। इससे उनकी परंपराओं और जीवनशैली का सम्मान किया जाएगा। मुझे लगता है कि यह एक अच्छा फैसला है और असम के लिए एक सकारात्मक दिशा में है 🌈
 
मुझे लगता है कि असम सरकार बहुत सही निर्णय ले रही है। जैसे जैसे बहुविवाह वाले मामले बढ़ रहे हैं, तो इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। इससे महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा होगी। लेकिन, मुझे लगता है कि बहुत से लोगों को पहले इसके बारे में पता नहीं था। अब जब सरकार ने इसका फैसला किया है, तो चिंतित लोगों को इसके प्रति जागरूक करना जरूरी है। 🤔
 
असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने की बात अच्छी है, लेकिन यह सोचे कि इससे खासकर पहाड़ी जिलों और जनजातीय समुदायों में बहुत कुछ बदलेगा... तो नहीं? 🤔 असम के ये खूबसूरत दूर-दराज़ इलाक़े हैं जहाँ परंपराओं का अधिक स्थान है। अगर हम इन्ही पर प्रतिबंध लगाते हैं तो यह बहुत ही नुकसानदायक होगा।
 
असम में बहुविवाह पर नई नीति आ गई है, लेकिन यह अच्छी नहीं लग रही तो 🤔। बहुत सारी महिलाएं इसने अपने जीवन को बर्बाद कर देंगी, जान गंवा देंगी। यह बहुत ही भयानक है 😱। मैं अपने प्यारे असम की सरकार से अपील करूँगा, कि वे इसे बदल लें, ताकि महिलाओं को कोई नुकसान न पहुँचे। 🙏 हमें यह सब समझ नहीं आ रहा है, कि जब तक एक मुस्कान और प्यार नहीं आते, तब तक असम जीवन से गुजर नहीं सकता। 😢
 
बहुविवाह पर अब असम में प्रतिबंध होगा, इससे पहले तो यह बहुत आम था। लेकिन फिर भी इसका नियमन करना जरूरी था, खासकर जब विधेयक के तहत आरोपियों को सात साल तक की सजा मिल सकती है।

यह भी अच्छा है कि सरकार ने पीड़ित महिलाओं को मुआवजा देने के लिए एक कोष बनाने का फैसला किया है। इससे उन्हें आर्थिक मदद मिलेगी और जिंदगी में मुश्किलों से निपटने में मदद मिलेगी।
 
बहुविवाह पर नया निर्णय आ गया है... लेकिन मुझे लगता है कि हमें अपनी संस्कृति को समझने और सम्मान करने की जरूरत है। यह नया कानून असम में बहुत भ्रामक है, जैसे कि हमारी परंपराओं को नुकसान पहुंचा रहा है... लेकिन फिर भी, हमें यह सीखने की जरूरत है कि जब भी हमारी संस्कृति और समाज को कुछ नुकसान पहुंचता है, तो हमें समझने की जरूरत है और अपने बच्चों को भी समझाएं... 🤔

हमारे देश में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें परिवार और समाज का महत्व नहीं पता है, और वे हमेशा अपने लाभ के लिए कुछ गलत करते रहते हैं... लेकिन अगर हम एक दूसरे को समझते हैं और सही सिखाते हैं, तो हमारे समाज में बहुत बदलाव आ सकता है... मुझे लगता है कि यह नया कानून असम के लिए एक अच्छा निर्णय नहीं था, लेकिन फिर भी हमें इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए... जिससे हम अपने समाज को बेहतर बना सकें।
 
असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक की मंजूरी निकालने के फैसले से पहले तो लोगों की सोच में कई सवाल हैं और कई लोग इसका समर्थन नहीं कर रहे। लेकिन मुझे लगता है कि सरकार ने इस विधेयक के तहत आर्थिक मदद देने का फैसला करना बहुत सही किया। अगर हम महिलाओं को जिंदगी में मुश्किलों से निपटने का रास्ता नहीं देते हैं तो समाज में यहां तक कि खुशियाँ भी लाने का क्या मौका है? 🤝
 
मुझे लगता है कि असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाले यह विधेयक बहुत ही अच्छी बात हो सकती है। हमारे देश में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान बहुत जरूरी है, और अगर कोई महिला बहुविवाह में फंसती है तो उसके लिए यह बहुत ही जटिल और मुश्किल हो सकती है। इससे पहले भी हमारे देश में कई जगहों पर बहुविवाह को बढ़ावा देने वाली प्रथा है, जिससे महिलाओं को बहुत ही संघर्ष करना पड़ता है।

लेकिन इस नए विधेयक को लेकर मुझे थोड़ा चिंतित होने की भी जरूरत नहीं है। क्योंकि इसमें पीड़ित महिलाओं को मुआवजा देने के लिए एक कोष बनाने का फैसला किया गया है, जिससे उनके लिए आर्थिक मदद मिलेगी। और सरकार जरूरी मामलों में आर्थिक मदद करेगी, ताकि किसी भी महिला को जिंदगी में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े।
 
बहुविवाह पर असम सरकार की नई नीति बहुत ही दिलचस्प है 🤔। मुझे लगता है कि यह नीति पीड़ित महिलाओं को जिंदगी में सुरक्षा और मदद की जरूरत है। 7 साल तक की सजा बहुत भारी है, लेकिन अगर सरकार जरूरी मामलों में आर्थिक मदद करेगी, तो यह नीति काफी अच्छी रहेगी।

क्या इस नए विधेयक के तहत असम सरकार पीड़ित महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को भी ध्यान में रखेगी? और क्या यह नीति हमेशा लागू रहेगी, या फिर कभी-कभी बदल जाएगी। 🤷‍♂️
 
असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने की बात तो है लेकिन यह क्या गारंटी है कि इसने महिलाओं के दुर्व्यवहार से रोकने में मदद करेगा। बहुत से ऐसे मामले भी आएंगे जहां पीड़ित महिलाएं अपने परिवारों या समुदायों को बदल नहीं पाएंगी।

इसके अलावा, यह तय करना जरूरी है कि इस नए विधेयक के तहत प्रवर्तन शक्तियाँ कैसे काम करेंगी, और अगर ऐसे मामले आएंगे जहां बहुविवाह का आरोप लगाया जाता है, तो उनमें क्या तेजी से कार्रवाई होगी।

कानून का इस्तेमाल लोगों को डराने-धमकाने के लिए भी किया जा सकता है। ऐसे में यह जरूरी है कि सरकार और पुलिस अपने कर्तव्यों को स्पष्ट रूप से समझें।
 
🤔 मुझे बहुत भयावह लगा कि असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध की बात हो रही है। यह हमेश से एक सामाजिक समस्या रहा है, लेकिन किसी भी तरह से इसके खिलाफ कानून नहीं लगाना चाहिए। यह महिलाओं पर बहुत बड़ा दबाव डालेगा और उनके अधिकारों का उल्लंघन करेगा।

नए कानून में जो सजा 7 साल तक की है, यह बहुत भयानक है। ऐसा करने से पहले हमें सोच लेना चाहिए कि क्या यह वास्तव में अपराध को रोकेगा या नहीं। क्या हमारी शिक्षा प्रणाली और समाज में बहुविवाह के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए?

इसलिए, मुझे उम्मीद है कि इस कानून से पहले हमें सभी पक्षों को सुनना चाहिए और एक विचारशील निर्णय लेना चाहिए। 👍
 
😊 बहुत अच्छी खबर है असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगने की, इसे लेकर हमारे राज्य में बहुत सी महिलाएं अभी भी संघर्ष कर रही थीं। अब यह नियम आने से उन्हें जिंदगी में आसानी होगी। सरकार द्वारा पीड़ित महिलाओं को मुआवजा देने के लिए एक कोष बनाने का भी फैसला लिया गया है, जिससे हमारी स्त्री निकेतन (महिला निकेतन) की मदद करेगी।

🤝 यह नई नीति असम के जनजातीय समुदायों को भी देगी, जैसे कि करबी आंगलोंग और दीमा हसाओ जैसे पहाड़ी जिले, जो संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं। उन्हें इस नए कानून के दायरे से बाहर रखा गया है, जिससे उनकी परंपराओं और संस्कृति का सम्मान किया जाएगा।
 
असम में बहुविवाह पर न्याय हुआ, लेकिन सवाल उठता है कि सरकार ने इतनी देर में ऐसा क्यों किया, जैसे सबकुछ अचानक बदल गया है। मुझे लगता है कि इससे पहले भी कई महिलाएं अपने-अपने परिवार विवादों से निपटने के लिए बहुविवाह में पड़ गई थीं।
 
बड़ा खुशियां, असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने की बात अच्छी है... तो लोगों को अपने घरों में शांति से रहने का मौका मिलेगा... ज्यादा दीवालियापन नहीं हुआगा... और पीड़ित महिलाओं को मुआवजा देने की बात अच्छी है... तो वे महिलाएं अपने घरों में सुरक्षित रहेंगी... और जिन जनजातीय समुदायों को इस कानून से बाहर रखा गया है, उनकी परंपराओं का पालन करने का अधिकार है... तो हमें उन्हें समझने की जरूरत है... और हमें यह भी देखना चाहिए कि क्या ये कानून असम में लोगों की जिंदगी में कोई सकारात्मक परिवर्तन लायेगा
 
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