मुझे लगता है कि यह सूची तो थोड़ी अजीब है, मैंने पढ़ा की मल्लिकार्जुन खरगे के बारे में कुछ गलतफहमी हुई है, क्या वास्तव में उन्हें पार्टी ने इस्तेमाल करने के लिए चुना है? और राहुल के बारे में तो कभी तो वे भ्रष्टाचार में जुट गए थे, क्यों उनका नाम इस सूची में है?
बहुत सोचने को देना है यह सूची... पार्टी ने कुछ अच्छे नेताओं को चुना है, जिन्हें बिहार में एक मजबूत विरोधी बनाने की कोशिश करनी होगी। लेकिन ये तो एक दूसरे के ऊपर नहीं जीतना चाहिए, बल्कि अपने नागरिकों की जरूरतों को समझकर सामाजिक विकास में मदद करनी चाहिए। शायद पार्टी को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उनके नेताओं को स्थानीय समस्याओं का समाधान करने की क्षमता होनी चाहिए, ताकि वे लोगों का विश्वास जीत सकें।
बिल्कुल सही कहिया जा रहा है कि प्रियंका गांधी को भी इस सूची में शामिल किया गया है, लेकिन वाह, अशोक गहलोत तो पहले से ही चुनाव में उतर चुके थे। और कन्हैया कुमार को भी पहले ज्यादा प्रासंगिक नहीं समझाया गया, लेकिन फिर तो वाह, उसकी नेतृत्व क्षमता बहुत अच्छी है तो वह तो फायदा करने लगेगी।
मुझे लगता है की ये सब कुछ थोड़ा भागदौड़ भरा हुआ है ... हमेशा ऐसी सूचियाँ आती रहती हैं और फिर कोई नेता व्यक्ति कहीं और जाकर बातें कर रहा होता है, मुझे लगता है की ये सब एक दूसरे को भूलने की कोशिश करते हैं।
मेरी राय तो ऐसी है कि कांग्रेस की इस सूची ने उन्हें बहुत अच्छा लुक दिया है , खासकर मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियंका गांधी जैसे अन्य नेताओं को शामिल करने से। अगर वे बिहार चुनाव में एक अच्छा प्रदर्शन करें तो यह उन्हें बहुत बड़ा फायदा देगा । लेकिन मेरी खास बात यह है कि अगर उनकी रणनीति ठीक से नहीं होती है तो यह सभी नेताओं को भी फायदा नहीं होगा।