बिहार चुनाव में हार का इफेक्ट! प्रशांत किशोर की पार्टी ने संगठन को लेकर किया ये बड़ा फैसला

बिहार में चुनाव की हार के बाद प्रशांत किशोर की पार्टी, जन सुराज, ने अपने संगठन पर बड़ा फैसला लिया है. पार्टी ने सभी कमेटियों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है और अगले डेढ़ माह के दौरान नए सिरे से संगठन को खड़ा करने का प्रयास करेगी. यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव में कारी हार के बाद लिया गया है, जहां पार्टी ने एक भी सीट नहीं जीती थी।

पार्टी के प्रवक्ता सैयद मसीह उद्दीन ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की अनुपस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने इस फैसले पर हस्ताक्षर किए. पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर उपस्थित रहे, लेकिन उन्होंने फैसले पर अपना विचार नहीं दिया।

पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं को राज्य के सभी 12 प्रमंडलों का दायित्व सौंपा है जो नए सिरे से प्रभावी और क्रियाशील संगठनात्मक ढांचे का निर्माण करेंगे. अगले महीने में होने वाली सामान्य परिषद की बैठक में शीर्ष नेतृत्व जिले के प्रमुख नेताओं से चुनाव और संगठन संबंधी उनके अनुभवों को विस्तार से सुनेगा और नए ढंग से आगामी रूपरेखा तैयार करने के संबंध में उनसे गहन विचार-विमर्श होगा।

चुनाव में अकेले मैदान में उतरी थी जन सुराज, जिसने एक भी सीट नहीं जीती। इस बैठक में भारत के पूर्व वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह, और वरिष्ठ अधिवक्ता वाईवी गिरि भी उपस्थित रहेंगे।
 
मुझे लगता है कि यह फैसला सही है, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा, और अब मुझे खुद को यही बताना पड़ेगा. पार्टी ने सही समय पर फैसला लिया है क्योंकि अगर पहले ही फैसला लेते, तो इसमें कई गलतियाँ हो सकती थीं. 🤔

लेकिन, मुझे लगता है कि पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष शायद सही निर्णय लेने में असमर्थ थीं, और इसलिए उन्होंने इस फैसले पर हस्ताक्षर कराए. और अगर ऐसा हुआ, तो यह एक अच्छा निर्णय है क्योंकि इससे पार्टी को नई दिशा मिलेगी. 🚀

लेकिन, मुझे लगता है कि फैसला लेने वाली कमेटियाँ संभवतः गलत हैं और इससे पार्टी को बड़ा नुकसान होगा, और अगर ऐसा हुआ तो यह एक गलत निर्णय होगा. 😐

मुझे लगता है कि मनोज भारती ने सही फैसला लिया है, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह ऐसा करेगा, और अब मुझे खुद को यही बताना पड़ेगा. 🤷‍♂️

मुझे लगता है कि पार्टी ने सही समय पर फैसला लिया है, लेकिन अगर पहले ही फैसला लेते, तो इसमें कई गलतियाँ हो सकती थीं, और यह एक अजीब बात है कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा, और अब मुझे खुद को यही बताना पड़ेगा. 🤔
 
भले ही जन सुराज ने चुनाव में कोई सीट नहीं जीती लेकिन फिर भी उनका यह फैसला दिलचस्प है. क्या हमारे नेताओं को कभी-कभी अपने संगठनों पर थोड़ी सी विचार करने की जरूरत होती है? क्या अगर एक दिन मैं वहाँ बैठता और उनके पास जाता, तो उन्हें यह पता चलता कि उन्हें अपने नेतृत्व को और मजबूत बनाने के लिए थोड़ा सा समय और सोच की जरूरत है.
 
अरे, यह तो बहुत ही अच्छा फैसला है जन सुराज के लिए. उनकी पार्टी ने अपनी कमेटियों को टूटने दिया है, जो बहुत ही मुश्किल समय में सबसे बड़ा परिवर्तन है। अगर वे नए सिरे से संगठन बनाने का प्रयास करेंगे, तो यह उनके लिए एक नई शुरुआत होगी।

मुझे लगता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की अनुपस्थिति में मनोज भारती ने बहुत अच्छा फैसला लिया है। अगर वे नए सिरे से संगठनात्मक ढांचे बनाने के लिए अपने वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदार कर देंगे, तो यह उन्हें एक नई दिशा मिलेगी।

और यह भी अच्छा है कि अगले महीने होने वाली सामान्य परिषद में शीर्ष नेतृत्व जिले के प्रमुख नेताओं से बात कर रहे हैं। इससे उनको अपने अनुभवों और रणनीतियों को साझा करने का अवसर मिलेगा।

फिर भी, यह एक बहुत बड़ा परिवर्तन है। मुझे उम्मीद है कि जन सुराज ने आगे भी अच्छे दिशानिर्देश और रणनीतियों के साथ अपने संगठन को विकसित करेगा।
 
पार्टी के फैसले से पहले हमने सोचा था कि प्रशांत किशोर जी ने अपने संगठन को सही दिशा में ले जाने के लिए तैयारियां कर ली होंगी, लेकिन लगता है कि उनकी अनुपस्थिति में मनोज भारती जी को इस फैसले पर हस्ताक्षर करना पड़े।

मुझे लगता है कि पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बड़े बदलाव लाना एक अच्छा विचार है, खासकर जब चुनाव में अकेले मैदान में उतर गई। इसमें हमें उम्मीदें थीं कि प्रशांत किशोर जी ने अपनी नई रणनीति को समझाया होगा, लेकिन इस बार यह शायद उनकी अनुपस्थिति में मनोज भारती जी ने करना पड़ा।

अब पार्टी को नए सिरे से संगठन को खड़ा करने का दौर है, जिसमें हमें उम्मीदें हैं। हमें उम्मीद है कि इस समय विशेषज्ञ नेताओं की उपस्थिति में नई रणनीति बनाई जाएगी।
 
अरे, मैंने देखा है कि प्रशांत किशोर की पार्टी ने सभी कमेटियों को भंग कर दिया है. अब सिर्फ एक महीने में फिर से संगठन बनाने का प्रयास करना होगा. ये तो बहुत बड़ा फैसला है 🤔
 
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