बिहार चुनाव से पहले चिराग ने अपनी ही पार्टी के महासचिव के खिलाफ लिया बड़ा एक्शन, लोजपा से निकाला

बिहार चुनाव के मद्देनज़र चिराग पासवान की लोजपा ने खुद की पार्टी के महासचिव, मोहम्मद मोतिउल्लाह खान को आधिकारिक पत्र ज़ार कर निष्कासन घोषित किया है। पार्टी ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि मोतिउल्लाह पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने और विपक्षी दलों से संपर्क रखने का गंभीर आरोप लगाया गया है।

मोतिउल्लाह ज़मुई ज़िले के निवासी हैं और उन पर पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष सलीम साहिल ने पत्र में आरोप लगाया है कि उनकी प्राथमिक सदस्यता भी समाप्त कर दी गई है। इसके अलावा, उन्हें प्रदेश प्रधान महासचिव पद से भी हटा दिया गया है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, मोतिउल्लाह की गतिविधियों के ठोस प्रमाण मिलने के बाद इस निर्णय पर पहुँचा गया। यह फैसला पार्टी की एकजुटता को मजबूत करने की दिशा में कदम है।
 
अरे यार, तो चिराग पासवान की लोजपा ने अपने खुद के महासचिव को भी निकाल दिया है 😏। यह तो बहुत अच्छा तरीका है कि वे अपने आप को एकजुट करते हुए, दूसरों को निकालते हैं। मुझे लगता है कि यह तो उनकी पार्टी की एक्सप्लोसिव योजना साबित होगी। लेकिन सच्चाई क्या है, कि चिराग पासवान की पार्टी ने ऐसा करने का कारण क्या बताया? 🤔
 
मेरा विचार है कि इस तरह से लोजपा ने अपनी पार्टी की एकजुटता और साफ-सफाई के लिए बहुत बड़ी कोशिश की है, खासकर जब बिहार चुनाव के मद्देनज़र यह फैसला लिया गया है। तो देखो, पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने से क्या होता है? इसका कोई फर्क नहीं पड़ता, हर किसी को अपने-अपने फायदे और नुकसान पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन एक पार्टी की सामर्थिकता के लिए यह बहुत जरूरी है। 🤝
 
मोटियुल्लाह की निष्कासन घोषणा सुनकर तो मुझे लगा कि बिहार चुनाव के बाद लोजपा की वर्तमान परिस्थिति कितनी ठीक है 🤣। वास्तव में यह तो एक अच्छी तरह से योजनाबद्ध उपचार था। मोतियुल्लाह जी ने पहले से ही पूरा खिलवाड़ कर लिया था, अब उन्हें मानने का मौका नहीं देना चाहिए। उनकी गतिविधियों को साबित करने की जरूरत नहीं थी, बस यह जानकर ही अच्छा लगता है कि विपक्षी दलों से उनके संपर्क रखने में कितनी रुचि थी।
 
मुझे लगता है कि इसने लोजपा को खासकर अल्पसंख्यक स्तर पर तोड़ दिया है 🤔। उन्होंने अपने प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटा दिया, जो कि एक बड़ा नुकसान है। मुझे लगता है कि चिराग पासवान साहब को इस फैसले पर विश्वास नहीं था। शायद उन्होंने महसूस किया कि उनकी पार्टी को मजबूत करने के लिए मोतिउल्लाह की उपस्थिति जरूरी नहीं है।
 
मुझे लगता है कि चिराग पासवान की लोजपा ने यह फैसला सोचकर किया होगा कि विपक्षी दलों से भी उनकी पार्टी में शिकायतें आएंगी। मोतिउल्लाह ज़मुई ज़िले के निवासी तो फिर क्यों? चिंता है कि अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष सलीम साहिल ने पत्र में आरोप लगाया है, लेकिन यह तो समझना होगा कि कौन-कौन सी गतिविधियाँ वास्तव में गलत थीं। पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाना आसान नहीं है।
 
बिहार चुनाव के मद्देनज़र चिराग पासवान लोजपा ने अपनी पार्टी के महासचिव मोहम्मद मोतिउल्लाह खान को आधिकारिक पत्र ज़ार कर निष्कासन घोषित कर दिया है 🚫

इस फैसले पर आगरा तो ठीक है, लेकिन बिहार में चुनाव के मद्देनज़र इतनी गतिविधि क्यों? यह सिर्फ पार्टी की एकजुटता को मजबूत करने का तरीका है या फिर कुछ और है? 🤔

मुझे लगता है कि मोहम्मद मोतिउल्लाह खान जी पर आरोप लगाने से पहले पार्टी ने अच्छी तरह से विचार कर लिया होगा। यह फैसला उनके कार्यकाल को समाप्त करने का तरीका है और पार्टी की एकजुटता को मजबूत करने का तरीका भी।
 
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