बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 20 साल सत्ता में रहने और 80 से अधिक सीटों पर जीतने ने फिर से मुख्य रूप से हस्तक्षेप किया। इस नतीजे ने तेजस्वी यादव को बिहार का अगला नेता बनाने की दिशा में प्रभाव डाला, जिसका अर्थ है विपक्ष के चुनावी रण में अनुभव और नवाचार के बीच विरोधाभास पर मतदाताओं के सामने एक महत्वपूर्ण सवाल था।
चुनाव में शानदार वापसी देख रही लोक जनशक्ति पार्टी, जो 2020 में चुनाव में केवल एक सीट हासिल करने के बाद, इस बार 29 सीटों पर भाग लेकर 19 सीटों पर सफल हुई। उनकी विरोधाभासी रणनीतियों ने युवाओं और दलित समुदायों को आकर्षित किया जिससे चुनाव में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। इसने तेजस्वी यादव और आरजेडी की सत्तारूढ़ सरकार की दिशा पर भी दबाव डालने की शुरुआत की।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने बिहार के सीमांचल क्षेत्रों में अपनी पार्टी को मजबूत बनाया। उनकी 5 सीटों पर सफलता राज्य सरकार के लिए एक बड़ा झटका था, हालांकि यह पहले भी उन्होंने जीतीं थी।
बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने वोट डालने में स्पष्ट रूप से अग्रणित होने का प्रदर्शन किया। उनका 71.6 फीसदी मतदान दर ने एनडीए को बड़ी जीत दिलाई। महिला कल्याणकारी योजनाओं और विकास के मुद्दों पर सरकार की मजबूत अभिव्यक्ति के कारण इस प्रदर्शन में महत्वपूर्ण योगदान था।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी छोटी-छोटी पार्टियों ने अच्छे प्रदर्शन किया। हालांकि, विपक्ष में कई बड़ी परिवारिक राजनीतिक दल अपने सामूहिक गठबंधन को बरकरार रखने में असफल रहे।
चुनाव में शानदार वापसी देख रही लोक जनशक्ति पार्टी, जो 2020 में चुनाव में केवल एक सीट हासिल करने के बाद, इस बार 29 सीटों पर भाग लेकर 19 सीटों पर सफल हुई। उनकी विरोधाभासी रणनीतियों ने युवाओं और दलित समुदायों को आकर्षित किया जिससे चुनाव में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। इसने तेजस्वी यादव और आरजेडी की सत्तारूढ़ सरकार की दिशा पर भी दबाव डालने की शुरुआत की।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने बिहार के सीमांचल क्षेत्रों में अपनी पार्टी को मजबूत बनाया। उनकी 5 सीटों पर सफलता राज्य सरकार के लिए एक बड़ा झटका था, हालांकि यह पहले भी उन्होंने जीतीं थी।
बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने वोट डालने में स्पष्ट रूप से अग्रणित होने का प्रदर्शन किया। उनका 71.6 फीसदी मतदान दर ने एनडीए को बड़ी जीत दिलाई। महिला कल्याणकारी योजनाओं और विकास के मुद्दों पर सरकार की मजबूत अभिव्यक्ति के कारण इस प्रदर्शन में महत्वपूर्ण योगदान था।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी छोटी-छोटी पार्टियों ने अच्छे प्रदर्शन किया। हालांकि, विपक्ष में कई बड़ी परिवारिक राजनीतिक दल अपने सामूहिक गठबंधन को बरकरार रखने में असफल रहे।