बिहार में सरकार बनाने की कवायद तेज, संजय झा और ललन सिंह ने अमित शाह से की मुलाकात

बिहार में सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है. जनता दल यूनाइटेड के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की.

माना जा रहा है कि ये मुलाकात मुख्यमंत्री और अन्य विभागों के बंटवारे को लेकर हो सकती है. संजय झा और ललन सिंह के बाद अमित शाह से मिलने जेपी नड्डा भी पहुंच गए हैं.

बिहार में बीजेपी के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और सह प्रभारी विनोद तावड़े भी गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने पहुंचे हैं. इस बैठक में चुनावी नतीजों की समीक्षा और सरकार गठन की रूपरेखा पर चर्चा की गई.

मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिलहाल अपना इस्तीफा औपचारिक तौर पर राज्यपाल को नहीं सौंपा है. उनके इस्तीफे के बाद से सरकार बनाने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो सकेगी.

सूत्रों के हवाले से खबर है कि अगले सप्ताह का राजनीतिक कैलेंडर तय माना जा रहा है. इसमें जेडीयू, बीजेपी, हम और आरएलएम के विधायक दल की बैठकें होंगी.

बिहार में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला है और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
 
मुझे लगता है कि यह बिहार चुनाव बहुत ही रोमांचक रहेगा 🤔। ये देखकर मजाक नहीं हो रहा कि संजय झा, ललन सिंह और जेपी नड्डा एक साथ अमित शाह से मिलने आए हैं। यह तो एक बहुत बड़ा संकेत है कि सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है। 😬 बिहार में एनडीए को बहुत से लोगों ने समर्थन दिया है, इसलिए मुझे लगता है कि बीजेपी और हमारा सहयोगी दल आरएलएम सरकार बनाने पर मजबूत स्थिति में होंगे। 💪 बस यह चिंता है कि नीतीश कुमार जी अपना इस्तीफा औपचारिक तौर पर राज्यपाल को कब सौंपेगे, लेकिन उनके बाद सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। 🕰️
 
मुझे लगता है कि यह तेजी से आगे बढ़ने वाली सरकार बनाने की मुलाकातें वास्तविकता से दूर हो सकती हैं. हमें पूरी बात समझने का समय देना चाहिए, न कि त्वरित निर्णय लेने का. इस मामले में यह देखने के लिए इंतजार करना उचित है कि जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी के नेताओं के बीच सही मुद्दों पर चर्चा की जाएगी या तो एकाधिकार बनाने की दिशा में.
 
अरे भाई, यह तो बिहार की राजनीति की नई खेल हो गई है! अमित शाह से मिलने जा रहे सभी नेताओं की ये मुलाकात सरकार बनाने की कवायद का एक बड़ा पल होगा। मैं तो सोचता हूं कि धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े को भी अपने राज्यों की चुनौतियों पर ध्यान देना चाहिए। नीतीश कुमार का इस्तीफा औपचारिक होने के बाद से सरकार बनाने की नई दिशा में एक नए युग की शुरुआत हो गई है।
 
नमस्ते दोस्त 🙏, तो भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के साथ मिलकर सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है... यह तो बिहार के राजनीति में बहुत बड़ा बदलाव है, अगर एनडीए ने बहुमत प्राप्त किया तो बीजेपी के लिए ये एक बड़ी दौलत है और जनता दल यूनाइटेड के लिए यह एक बड़ा चुनौती है। मुझे लगता है कि संजय झा और राजीव रंजन सिंह ने सही फैसला लिया होगा, अगर वो अमित शाह से मिलकर सरकार बनाने की रूपरेखा पर चर्चा करते हैं तो यह एक बड़ा सफल है...
 
बिहार में सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है, लेकिन लगता है कि पूरा राजनीतिक खेल गन्दा पड़ गया है 🤕👀। दिल्ली से बिहार की दूरी, क्यों इतनी जोरदार दिखाई देती है? मुझे लगता है कि जनता की आवाज़ सुनने की जरूरत है, न कि केवल राजनीतिक लाभ की।

किसी को तो लगता है कि अगले सप्ताह का राजनीतिक कैलेंडर तय होने से पहले बिहार के वोटदाताओं को फिर से मतदान करने की जरूरत नहीं है, लेकिन मैं तो ऐसा नहीं कह सकता 🤔। यह देखने की जरूरत है कि जनता क्या चाहती है और राजनेता कैसे उनकी इच्छाओं को पूरा करते हैं।

बिहार में एनडीए ने बहुमत हासिल किया है, लेकिन इसे तीन साल तक बनाए रखने की क्षमता कितनी है? और बीजेपी को अपनी पहली सरकार बनाने का प्रयास कैसे करेगी, यह देखने में रुचि है।
 
मुझे लगता है कि इस बार बिहार में सरकार बनाने की स्थिति निर्णायक होगी. अगर एनडीए विधायक दल को एकजुट कर सकता है, तो फिर बहुत आसानी से सरकार बना लेता है. लेकिन अगर जनता दल यूनाइटेड और हमारे विधायक दल में भ्रष्टाचार हुआ, तो फिर कुछ समय लेगी.
 
अरे, यह तो बिल्कुल स्पष्ट है कि अमित शाह की मुलाकातों से पहले से ही सरकार बनाने का नाम तैयार है। लेकिन, ये तो कुछ अच्छा भी नहीं है, अगर हमें लगता है कि पूरी बैठक में केवल चुनावी नतीजों की समीक्षा हुई होगी, तो यह जीतने वाली पार्टी के लिए बहुत अच्छा साबित नहीं होगा।

मैं सोचता हूँ कि अगर नीतीश कुमार अपना इस्तीफा देते हैं, तो इससे बीजेपी को सरकार बनाने में आसानी मिल जाएगी, लेकिन, यह एक जटिल स्थिति भी है।

मुझे लगता है कि अगले सप्ताह का राजनीतिक कैलेंडर तय करने से पहले, सभी दलों को अपने रणनीतियों पर फिर से विचार करना चाहिए।
 
मुझे लगता है कि बिहार में सरकार बनाने की कवायद तेजी से जोर पकड़ रही है, लेकिन इसके पीछे सबकुछ सही तरीके से नहीं हो सकता। माना जा रहा है कि अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और अन्य नेताओं की बैठकें चुनावी नतीजों की समीक्षा और सरकार गठन की रूपरेखा पर कैसे चर्चा हो रही है? हमें यह जानने की जरूरत है कि मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस्तीफा औपचारिक तौर पर राज्यपाल को कब सौंपा जाएगा?

मुझे लगता है कि बिहार में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला है, लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि सरकार गठन की रूपरेखा पर कैसे चर्चा हो रही है। जेपी नड्डा, संजय झा और ललन सिंह के बाद अमित शाह से मिलने की बात तो बहुत ही दिलचस्प है, लेकिन हमें यह भी जानने की जरूरत है कि आगे क्या होगा।
 
संजय झा और ललन सिंह के गृहमंत्री अमित शाह से मिलने जेपी नड्डा भी पहुंच गए हैं. यह बात जरूरी है कि चुनावों के बाद सरकार बनाने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़े, फिर भी यह संदेह बना रहता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना इस्तीफा औपचारिक रूप से कब देंगे. 🤔

मुझे लगता है कि बिहार में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला है, और यह एक ऐसा मौका है जिस पर हमें विशेष ध्यान देना चाहिए. सरकार बनाने की रूपरेखा पर चर्चा करना महत्वपूर्ण होगा, ताकि जनता को अच्छी नीतियों और सेवाओं का लाभ मिल सके. 💡
 
बिहार की सरकार बनने की बात तो तेजी से आगे बढ़ रही है। मुझे लगता है कि चुनावों के नतीजों में जीतने वाली पार्टियां अपनी राजनीतिक गलाटी खेलना शुरू कर देती हैं। लेकिन अगर सच में तो जनता की इच्छाओं को ध्यान में रखकर सरकार बनाई जाए, तो फिर भी अच्छा नतीजा निकलेगा। पूरे देश को देखकर यह सोचता हूँ कि बिहार की सरकार बनने से हमारे राज्य के विकास में बहुत सारा फायदा होगा।
 
अगर जेडीयू को नीतीश कुमार की जगह मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलता है तो अच्छा होगा, लेकिन अगर बीजेपी में शामिल होने से भले ही कुछ नया नहीं चलेगा, तो यह बात मेरे लिए एक चुनौती हो सकती है।
 
अरे दोस्त, यह तो बहुत ही रोमांचक है, भारतीय जनता पार्टी को बिहार में बहुमत मिल गया है और अब सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है. लेकिन मुझे लगता है कि यह एक अच्छा निर्णय नहीं होगा अगर हम देश की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखें।

मेरे अनुसार, सरकार बनाते समय हमें सबसे पहले राज्य की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करना चाहिए. इसके लिए हमें राजस्व बढ़ाने, उद्योगों को बढ़ावा देने और शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए.

इसके अलावा, हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सरकार बनाते समय हमें सभी वर्गों की जरूरतों को पूरा करना चाहिए. हमें गरीबों और मध्यम वर्ग की मदद करनी चाहिए, ताकि वे भी समाज में आगे बढ़ सकें।

मुझे लगता है कि अगर हम इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार बनाते हैं, तो हम देश के लिए एक अच्छा भविष्य बना सकते हैं।
 
मुझे लगता है कि ये सरकार बनने की कवायद तेज होने से पहले या फिर बाद में सरकार गठन की रूपरेखा पर चर्चा करने से पूरी तरह से व्यस्त हो गए हैं... 😒 अरे, क्यों इतना ध्यान देने की जरूरत है? यह तो बस एक नामुमकिन स्थिति है जिसे संभालना होगा, और फिर भी इस पर बहुत चिंता नहीं करनी चाहिए।
 
मुझे लग रहा है कि ये चुनावी नतीजों से हमें बिहार के भविष्य पर बहुत ज्यादा उम्मीदें करनी पड़ेंगी. यह तो हैरान कर देता है कि इतनी बड़ी पार्टियां अपने विपक्षी दलों से मिलकर सरकार बनाने की रूपरेखा पर चर्चा कर रही हैं. लेकिन मुझे लगता है कि यह एक अच्छी बात भी हो सकती है. अगर वे अपने मतदाताओं की जरूरतों और समस्याओं को समझने की कोशिश करते हैं तो फिर सरकार बनाने में सामंजस्य लाना आसान नहीं होगा.
 
अरे, लोग अब सोच रहे हैं कि सरकार बनाने की बात तो कौन सी नहीं थी? 😒 नीतीश जी का इस्तीफा तो शायद तय होने वाला है, और फिर भी दोस्तों की चुनौती बना रहेंगे. यह पार्टी के अन्य नेताओं के लिए एक अच्छा मौका है अपने खेल खेलने का. बात तो तब तक सुरुचिपूर्ण रहेगी, जब तक सरकार बनने की औपचारिकता नहीं तोड़ी जाए. 🤔
 
मुझे लगता है कि ये सभी मुलाकातें सरकार बनने के लिए तैयार करने के लिए हैं. लेकिन मैं सोचता हूँ कि क्या वास्तव में बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड दोनों एक ही चाहते हैं? ये सरकार बनने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि कुछ ऐसा हो रहा है जिससे नेताओं को फायदा होगा.
 
अरे, ये तो देखिए, बिहार में सरकार बनने की गलाटी तेज़ हुई है, लेकिन क्या तय हुआ, यह नहीं पता है 🤔। संजय झा, राजीव रंजन सिंह और जेपी नड्डा से अमित शाह को मिलना तो एक अच्छा संकेत है, लेकिन अगले सप्ताह का कैलेंडर तैयार करना भी जरूरी है। बिहार में एनडीए को बहुत बड़ा बहुमत मिल गया है, अब तो बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और देखिए, धर्मेंद्र प्रधान विनोद तावड़े भी अमित शाह से मिलने आये हैं 🤝
 
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