बिहार विधानसभा चुनाव के इस महत्वपूर्ण चरण में, मोकामा विधानसभा सीट पर अनंत सिंह और वीणा देवी के बीच गहराई से फटी हुई लड़ाई है। यहां, भूमिहार समुदाय का वर्चस्व है, लेकिन अनंत सिंह ने अपने स्थानीय जनाधार को मजबूत बनाए रखने में सफल रहे।
दूसरी ओर, वीणा देवी के पास एक महत्वपूर्ण फायदा है: उनके पास सूरजभान का राजनीतिक नेटवर्क है, जो बलिया, मुंगेर और नवादा तक फैला हुआ है। इसके अलावा, आरजेडी का पारंपरिक वोट बैंक, यादव और मुस्लिम समुदायों से जुड़ा हुआ है। यह वोट बैंक वीणा देवी के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति हो सकती है।
इस चुनाव में, सूरजभान की एंट्री ने महागठबंधन के लिए एक बड़ा मौका मिला है। भूमिहार वोटों में सेंध लगाने का मौका पार्टी को इस चुनाव में नहीं मिलना चाहिए। इसका फायदा उन अन्य सीटों पर देखने को मिल सकता है, जहां भूमिहार समुदाय का वर्चस्व है।
मोकामा विधानसभा सीट पर इस चुनाव की जीत-हार को देखते हुए, यह कहना कि अनंत सिंह और वीणा देवी के बीच सीधा संघर्ष है, सही नहीं है। यह लड़ाई में अनंत सिंह के पिछले गौरव और उनके स्थानीय जनाधार की ताकत को भी ध्यान में रखना चाहिए।
दूसरी ओर, वीणा देवी के पास एक महत्वपूर्ण फायदा है: उनके पास सूरजभान का राजनीतिक नेटवर्क है, जो बलिया, मुंगेर और नवादा तक फैला हुआ है। इसके अलावा, आरजेडी का पारंपरिक वोट बैंक, यादव और मुस्लिम समुदायों से जुड़ा हुआ है। यह वोट बैंक वीणा देवी के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति हो सकती है।
इस चुनाव में, सूरजभान की एंट्री ने महागठबंधन के लिए एक बड़ा मौका मिला है। भूमिहार वोटों में सेंध लगाने का मौका पार्टी को इस चुनाव में नहीं मिलना चाहिए। इसका फायदा उन अन्य सीटों पर देखने को मिल सकता है, जहां भूमिहार समुदाय का वर्चस्व है।
मोकामा विधानसभा सीट पर इस चुनाव की जीत-हार को देखते हुए, यह कहना कि अनंत सिंह और वीणा देवी के बीच सीधा संघर्ष है, सही नहीं है। यह लड़ाई में अनंत सिंह के पिछले गौरव और उनके स्थानीय जनाधार की ताकत को भी ध्यान में रखना चाहिए।