Bihar Election 2025: 'NDA जो कहता है वो करता है', अमर उजाला से खास बातचीत में क्या बोले सीएम मोहन यादव?

बिहार विधानसभा चुनाव के बीच मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव ने अमर उजाला से खास बातचीत में अपने निजी विचार साझा किए। उन्होंने महागठबंधन पर गहराई से निशाना साधा, जिसका उद्देश्य बिहार के वोटरों तक पहुंचना था।

उन्होंने कहा, "NDA जो कहता है वो करता है।" इसके साथ ही उन्होंने जीविका दीदी योजना पर सवाल उठाने वालों को भी जवाब दिया। उन्होंने यह भी कहा कि NDA के घोषणा पत्र में कई आशावादी घोषणाएं हैं, लेकिन बाकी क्या है इसके पीछे कोई सच्चाई नहीं है।
 
मुझे लगता है कि चुनावों के दौरान सभी दल अपने-अपने विचार साझा करते हैं लेकिन कौनसा वास्तव में पार्टी के विचार है और क्या वही विचार लोगों को पसंद आएंगे ? 🤔
 
मोहन यादव जी को ऐसा लगता है कि सरकार द्वारा कुछ नहीं किया गया तो विपक्ष ने खुद कुछ जरूर किया होगा। लेकिन ऐसा सोचकर भी उन्हें बिहार की समस्याओं का समाधान नहीं मिलेगा।
 
बिहार विधानसभा चुनावों की बात करें, तो मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही रोमांचक समय होने जा रहा है 🎉। मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव ने अपने विचार साझा किए और मुझे लगा कि उनके बोलों में बहुत कुछ सुनिश्चिती भरा है। NDA जो कहता है वह करता है, यह एक स्पष्ट संदेश है और मुझे लगता है कि यह वोटरों को आश्वस्त करेगा। Jeevika Didi योजना पर सवाल उठाने वालों को जवाब देने से भी यह पता चलता है कि सरकार अपने घोषणाओं के पीछे कुछ भी नहीं छुपा रही है। आशावादी घोषणाएं बनाने में हमेशा थोड़ी चुनौती आती रहती है, लेकिन अगर ये सच्चाई साबित हो जाती है तो यह एक बहुत बड़ा कदम होगा।
 
मोहन यादव जी ने बातचीत में बहुत सारे सवाल उठाए, लेकिन कुछ भी जवाब नहीं दिए। उन्होंने महागठबंधन पर बहुत गहराई से निशाना साधा, लेकिन अपने खुद के विचार बताने में उन्हें थोड़ा साफ-सफाई करनी चाहिए। 'NDA जो कहता है वो करता है।' यह बात जरूर सच है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें अपने निर्णयों पर खुद पर भरोसा करना चाहिए। मोहन यादव जी को अपने विचारों को स्पष्ट रूप से बताने की जरूरत थी, न कि अन्य के ऊपर पटकना। 🤔
 
मुझे लगता है कि मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव ने इस चुनाव को देखने के लिए तैयार हो गए हैं। उनकी बातचीत से यह पता चलता है कि वे बिहार के वोटरों को खूबसूरती से आकर्षित करना चाहते हैं। लेकिन याद रखें कि नेताओं को कभी भी अपने वास्तविक विचार नहीं रखने चाहिए। जैसे मान लीजिए, NDA जो कहता है तो वह करता है, लेकिन क्या हमें यह पूरी तरह से स्वीकार करना चाहिए? 🤔

मुझे लगता है कि मध्यप्रदेश के सीएम ने बाकी राज्यों के तुलना में थोड़ा बेहतर योजनाएं बनाई हैं। लेकिन यह भी ध्यान रखें कि एक अच्छी योजना दूसरी अच्छी योजना से अलग हो सकती है। हमें निर्णय लेने से पहले विस्तार से गहराई में जाना चाहिए।
 
मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान अपने निजी विचार साझा किए, जैसे कि कह रहे हैं महागठबंधन पर गहराई से निशाना साधते हैं और यह कहकर NDA को झेलना पड़ता है "नडीए जो कहता है वो करता है।" इसके अलावा, उन्होंने जीविका दीदी योजना पर भी सवाल उठाने वालों को जवाब दिया और कहा कि NDA के घोषणा पत्र में कई आशावादी घोषणाएं हैं, लेकिन बाकी क्या है इसके पीछे कोई सच्चाई नहीं है। यह एक दिलचस्प बात है, तो फिर से यह सवाल उठता है कि NDA कितनी सच्चाई के साथ चलती है? 🤔
 
मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव ने वास्तव में एक मजेदार बात कही है - "NDA जो कहता है वो करता है" 🤣 यह तो बहुत ही सच्ची बात है, ज्यादातर लोग ऐसा ही सोचते हैं कि नेताओं को अपने वादों को पूरा करना होता है। लेकिन, जब तक मीडिया और समाज इन वादों पर ध्यान नहीं देंगे, तो बस इतना ही कहने में आसान है 😊
 
मध्यप्रदेश के सीएम ने बिहार विधानसभा चुनाव के बीच अपने निजी विचार साझा किए, लेकिन क्या उन्होंने सही रास्ता चुना? NDA जो कहता है वो करता है, यह तो एक आम बात है। लेकिन क्या वाकई में वोटरों की जरूरतों को समझते हैं? 🤔

जीविका दीदी योजना पर सवाल उठाने वालों को जवाब देने से पहले उन्हें यह जानना चाहिए कि उनकी राजनीति में यह योजना कितनी महत्वपूर्ण है। क्या यह योजना वास्तव में बिहार के लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकती है? 🤷‍♂️

मुझे लगता है कि NDA की घोषणा पत्र में आशावादी घोषणाएं होना स्वाभाविक है, लेकिन सच्चाई यह है कि वे और भी ज्यादा हैं। 🤑
 
मैं समझता हूँ कि चुनाव के समय नेताओं को अपने विचार साझा करना होता है, लेकिन क्या कभी सोचा जाता है कि उनके विचार हमारी दूरदराज की मुसीबतों का समाधान नहीं कर सकते? 🤔 मैंने भी पढ़ा है कि अमर उजाला ने मोहन यादव से पूछा था कि अगर उनके घोषणापत्र में कुछ वादे सच नहीं हैं, तो उन्हें ऐसा क्यों करना है? 🤑

मेरी राय में, चुनाव के समय नेताओं को अपने वादों को सच्चाई से भरना चाहिए, लेकिन कभी-कभी यह देखना भी जरूरी है कि उनके विचार हमारे समाज के लिए फायदेमंद हैं या नहीं। मैं जीविका दीदी योजना पर सवाल उठाने को तolerंत नहीं करता, क्योंकि यह गरीबों के लिए जरूरी मदद है और उन्हें सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। 🙏
 
मुझे लगता है कि सीएम मोहन यादव जी ने बहुत तेजी से अपनी राजनीतिक दिशा को बदल दिया है। पहले वे बीजेपी के साथ थे, फिर सीईएलिएच पार्टी में शामिल हुए, और अब वे अपने खुद के प्रयास कर रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि उन्होंने बिहार के वोटरों को ठुकमठूक नहीं दिखाया है। वे महागठबंधन पर बहुत तीखी टिप्पणी करते हुए, लेकिन उनके पास यह साबित करने का तरीका नहीं है कि वे वाकई बिहार के विकास में सहयोग कर सकते हैं। और जीविका दीदी योजना पर सवाल उठाने वालों को जवाब देने से पहले उन्हें अपने पार्टी की घोषणा पत्र को अच्छी तरह से समझने की जरूरत है। 🤔
 
मद्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव ने अमर उजाला से खास बातचीत में अपने विचार साझा किए, लेकिन मुझे लगता है कि उनकी बोलती कुछ और भी हो सकती है। जीविका दीदी योजना पर सवाल उठाने वालों को जवाब देने के लिए तैयार रहते रहना चाहिए, लेकिन क्या उन्होंने सोचा है कि इससे वास्तव में बदलाव आएगा? मुझे लगता है कि हमें अपनी सरकार की घोषणाओं पर ध्यान देना चाहिए और देखना चाहिए कि वे सच्ची हैं या नहीं। सीएम जी ने कहा "नडीए जो कहता है वह करता है।" तो यहाँ हमें अपनी सरकार की नीतियों पर भरोसा करना चाहिए, लेकिन हमें सावधान रहना भी चाहिए कि हम उनके द्वारा बताए गए मुख्य विचार सही हैं या नहीं? 🤔
 
मुझे लगता है कि मोहन यादव जी ने बस अपनी भलाई के लिए कुछ कहा, लेकिन दूसरों पर भरोसा करना सिर्फ़ आसान हो गया है... 😒 जीविका दीदी योजना का मतलब यहीं कि सरकार में कोई निर्णय नहीं लेती, बस राजनीति करती रहती। और NDA के घोषणा पत्र में आशावादी घोषणाएं... वाह, यह तो सिर्फ़ प्रचार है... क्या वास्तविकता में उनके पास ऐसा कुछ भी है? 🤔
 
मेरी राय है यही सच होगा। NDA तो कहता है वह करता है, लेकिन वास्तविकता तो अलग होती है। मैंने भी बिहार में कई जगहों पर जाते हुए देखा है कि कैसे वोटरों को पैसे और आशावादी घोषणाओं से आकर्षित किया जाता है। लेकिन जब वास्तविकता तय होती है तो क्या होता है, यह देखना मुश्किल होता है। मुझे लगता है कि मोहन यादव ने बिल्कुल सही कहा। जीविका दीदी योजना पर सवाल उठाने वालों को जवाब देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह सिर्फ एक राजनीतिक मंच है। 😊👍
 
मुझे लगता है कि सीएम मोहन यादव को अपने विचार साझा करने का मौका मिलना अच्छा लगा। लेकिन, उन्होंने कहा कि NDA जो कहता है, वह करता है। यही बात हमें अक्सर सरकारों से सुनाई देती है। मुझे लगता है कि वास्तविकता अधिक गहरी होती है।

मैं जीविका दीदी योजना पर सवाल उठाने वालों को समझने में असमर्थ हूँ। यह सरकार की घोषणाओं से पूरी तरह से अलग है। मुझे लगता है कि NDA के घोषणा पत्र में कई आशावादी घोषणाएं हैं, लेकिन बाकी क्या है, इसके पीछे कोई सच्चाई नहीं है।

मैं विश्वास करता हूँ कि चुनाव के दौरान, हमें अपने वोटों का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए।
 
🤔 तो मध्यप्रदेश के सीएम की यह बातचीत बिहार विधानसभा चुनाव से जुड़ी है, लेकिन मुझे लगता है कि निशाना बिल्कुल सही लग रहा है। भाई, बिहार को खाना पीना नहीं मिलता अगर हमारी राजनीतिक दल नहीं खेलती। 🍔👌

और जीविका दीदी योजना पर सवाल उठाने वालों को जवाब देने के लिए सीएम की बात भी अच्छी लग रही है। लेकिन यह तो एक सवाल है, कि क्या नीतीश कुमार जी और उनकी पार्टी की योजनाएं राजनीतिक रूप से बनाई गई हैं या वास्तव में बिहार के लिए। 🤷‍♂️

बाकी तो मुझे लगता है कि सीएम ने बहुत सही कहा। NDA जो कहता है, वह करता है। और NDA के घोषणा पत्र में कई आशावादी घोषणाएं हैं, लेकिन बाकी क्या है इसके पीछे कोई सच्चाई नहीं है। 🤔
 
अमर उजाला से खास बातचीत करने वाले CM मोहन यादव ने कुछ दिलचस्प बातें कही हैं। उनका कहना है कि NDA जो कहता है वो करता है, तो यह एक आम बोलचाल है। लेकिन जब तक हमारे वोटों पर इसका असर न पड़े, तभी इसे मान लेना चाहिए।

जीविका दीदी योजना पर सवाल उठाने वालों को जवाब देने से पहले, उन्हें सोच लेना चाहिए कि उनकी पार्टी ने क्या वादा किया था और वह क्या हासिल कर रही है। अगर वादे नहीं पूरे हो रहे हैं तो खुद को गलत समझने से बचें।

मुझे लगता है कि CM मोहन यादव के बयान ने बहुत से लोगों को आकर्षित किया है, विशेष रूप से युवाओं और गरीब समाज को। उन्होंने महागठबंधन पर गहराई से निशाना साधा, जिसकी वजह से उनकी पार्टी में एक नया दिन शुरू हो सकता है। 🤔
 
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