ये तो नीतीश कुमार की घोषणा से पहले ही चिराग पासवान का बोलबाला शुरू हो गया है
। वह तो अभी भी 2010 के रिकॉर्ड को टूटने से बच सके, लेकिन अब वे इतने आगे बढ़ गए हैं कि लगता है उनके पास बिहार की जनता की पसंद का पता नहीं है।
मुझे लगता है कि दोनों दल अपने-अपने दावे करते रहेंगे, लेकिन फिर भी मुझे एहसास है कि बिहार की जनता अपनी-अपनी पसंद से मतदान करने वाली है। हमें अब तो देखकर ही रहना होगा कि कौन-कौन से दल कितने सीटें जीत पाते हैं।
राजद नेताओं की टीज़पाल यादव पर रिश्वत के आरोप लगने पर मुझे लगता है कि वो बहुत दूर तक नहीं चल सकते। और चिराग पासवान की बोलबाला से मुझे यह एहसास हुआ है कि वह अपने नेतृत्व क्षमता पर खुद को लेकर बहुत संदेहजनक हैं।
मुझे लगता है कि दोनों दल अपने-अपने दावे करते रहेंगे, लेकिन फिर भी मुझे एहसास है कि बिहार की जनता अपनी-अपनी पसंद से मतदान करने वाली है। हमें अब तो देखकर ही रहना होगा कि कौन-कौन से दल कितने सीटें जीत पाते हैं।
राजद नेताओं की टीज़पाल यादव पर रिश्वत के आरोप लगने पर मुझे लगता है कि वो बहुत दूर तक नहीं चल सकते। और चिराग पासवान की बोलबाला से मुझे यह एहसास हुआ है कि वह अपने नेतृत्व क्षमता पर खुद को लेकर बहुत संदेहजनक हैं।