Bihar Election: दूसरे चरण में 1320 प्रत्याशी की किस्मत दांव पर, 32% पर क्रिमिनल केस; जानें कितने उम्मीदवार हैं करोड़पति

बिहार चुनाव का दूसरा चरण, 1320 प्रत्याशियों की किस्मत खिलौने पर, जानिए कितने उम्मीदवार में अपराधिक मामले और करोड़पति हैं।

सोसायटी फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एड آر) की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के चुनाव में 1297 उम्मीदवारों में से 32 प्रतिशत यानी 415 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यहां पर अपराधों के तीन प्रकार शामिल हैं - गंभीर अपराध, मध्यम अपराध और हल्के अपराध।

गंभीर अपराध वाले उम्मीदवारों की संख्या 26 फीसदी है, जिनमें अपहरण, हत्या, हमला, भ्रष्टाचार और रिश्वत देने जैसे अपराध शामिल हैं। इनमें मृत्युदंड की सजा की गवाही देने वाले 15 उम्मीदवार, हत्या के प्रयास की चुनौती 79 में, और महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोप हैं।

जाने-पहचाने दलों जैसे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी, बीजेपी) और कांग्रेस में भी ऐसे उम्मीदवार हैं, जिनके खिलाफ गंभीर अपराधिक मामले हैं। जन सुराज ने इन 1320 उम्मीदवारों में से 51 पर गंभीर केस वाले उतारे।
 
बिहार चुनाव का दूसरा चरण तो बहुत रोमांचक है 🤩, और यह पता लगाना रोचक है कि इतने उम्मीदवारों में अपराधिक मामले और करोड़पति कितनी फैले हुए हैं! देखिए, 32 प्रतिशत यानी 415 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, और इसमें गंभीर अपराध वाले उम्मीदवारों की संख्या 26 फीसदी है 🚨, जैसे अपहरण, हत्या, हमला, भ्रष्टाचार और रिश्वत देने जैसे अपराध। यह तो बहुत चिंताजनक है!

लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इन 1320 उम्मीदवारों में से 51 पर गंभीर केस वाले उतारे गए हैं और जाने-पहचाने दलों जैसे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी, बीजेपी) और कांग्रेस में भी ऐसे उम्मीदवार हैं, जिनके खिलाफ गंभीर अपराधिक मामले हैं 🤔। यह एक बड़ा संदेश है हमें अपने चुनाव में वोट करने से पहले कुछ बातों पर विचार करना चाहिए।
 
मेरी राय तो यह रही कि चुनाव में अपराधियों को भी जगह मिलनी चाहिए, बाकी सब फिकर कर लें। अगर कोई अपराधी है और वह अच्छा नेतृत्व दे सकता है, तो फिर दूसरों से कहीं ज्यादा अच्छा नेता नहीं बनेगा। और अगर यह एक मौका है, तो शायद कुछ अच्छा भी हो सकता है।
 
ਚुनाव का दूसरा चरण, ਕਿਸੇ ਵੀ ਉਮ્મદનો આંતર નહીં... 415 प્રત્યાસીઓ માટે, શું વધુ? બીજે લોકો પછી અહીં ક્યાંથી આવે છે?
 
अरे, तो देखिए, बिहार चुनाव में कितनी बड़ी समस्या है! 415 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें से 26 फीसदी गंभीर अपराध वाले हैं। यह तो बहुत बड़ा सवाल है कि कैसे चुनाव में बोलने वाला व्यक्ति आपराधिक मामलों से दूर हो।

मैं समझता हूँ कि हर किसी को अपने पास कुछ गलत भी हो सकता है, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर आपराधिक मामले तो बहुत चिंताजनक हैं। मुझे लगता है कि हमें इन उम्मीदवारों की जांच करनी चाहिए और उनके बारे में सार्वजनिक रूप से चर्चा करनी चाहिए।

[डायलॉग बॉक्स]
```
+---------------+
| आपराधिक |
| मामले |
+---------------+
| गंभीर |
| मध्यम |
| हल्का |
+---------------+

**गंभीर अपराध:**
+ अपहरण
+ हत्या
+ हमला
+ भ्रष्टाचार
+ रिश्वत देना

[केस वाले उम्मीदवारों की संख्या: 51]
```
मुझे लगता है कि अगर हम इन चीजों को समझते हैं और उनके बारे में बात करते हैं, तो हम चुनाव में जाने वाले लोगों को अपने आपसे दूर करने में मदद कर सकते हैं।
 
बिहार चुनाव में बात करना तो हमेशा रोचक होता है 🤔, लेकिन अपराधिक मामलों की जानकारी सुनकर अच्छा लगता है। 415 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं? यह तो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है... कुछ उम्मीदवारों में हत्या, अपहरण, भ्रष्टाचार और रिश्वत देने जैसे अपराध शामिल हैं।

बिहार में चुनाव में गंभीर अपराधिक मामले होना एक बड़ा चिंता है... हमें उम्मीदवारों की प्रतिष्ठा को लेकर सोचना चाहिए। जन सुराज ने इन 1320 उम्मीदवारों में से 51 पर गंभीर केस वाले उतारे, तो यह हमें अच्छी तरह से बताता है कि किस तरह के अपराधिक मामले हैं।
 
प्रिय दोस्त! 🤝 चुनाव में अपराधी उम्मीदवारों की बात कर रहे हैं तो मुझे बहुत असहज महसूस होता है 😬। भले ही वह उनके द्वारा पहले से किये गए अपराधों के लिए सजा प्राप्त कर लें, चुनाव में उनके नाम पर खड़े रहने से यह तो गहरा झटका लगने वाला है 🤯। और वहीं दूसरी ओर, करोड़पति उम्मीदवारों की बात कर रहे हैं तो मुझे लगता है कि उन्हें अपने पैसे से चुनाव जीतने की आशा करनी चाहिए 🤑। लेकिन वास्तविकता यह है कि हमारे देश में ऐसे उम्मीदवार भी हैं जो न केवल अपराधी हैं, बल्कि उनके परिवारों और संबंधियों में भी अपराधी होने की संभावना है।
 
बिहार चुनाव का दूसरा चरण आया तो लोगों की बात सुननी है कि ये उम्मीदवार खिलौनों के जैसे प्रत्यक्षता क्यों हैं? 415 पर आपराधिक मामले तो बीता चुके हैं! गंभीर अपराध, मध्यम अपराध और हल्के अपराध, कौन से शामिल हैं। लेकिन जाने-पहचाने दलों में भी ऐसे उम्मीदवार हैं, ये कैसे हो सकता है? हमें अपने देश को बेहतर बनाने के लिए चुनाव में नए सोच और ईमानदार व्यक्ति वोट देना चाहिए। 🤔👥💡
 
अरे बात करो तो चुनाव में जितने भी उम्मीदवार लड़ रहे हैं उनमें से बहुत से आर्थिक अपराध के दोषी हैं 🤑 कुछ लोगों ने अपनी खाली पेट भरने के लिए इतने बड़े-बड़े अपराध किये हैं। और फिर भी चुनाव में जीतने का संघर्ष जारी रखते हैं... मुझे लगता है कि हमें अपने देश को दोबारा से बनाने की जरूरत है।
 
ये तो ऐसा लगता है जैसे चुनाव में कौन कौन पेड़-पौधे तोड़ रहे हैं! अपराधिक मामलों से भरी दुकानें चुनाव के लिए खड़ी हैं और इनमें से कुछ वास्तव में गंभीर अपराधी जैसे अपहरण, हत्या आदि शामिल हैं। यह तो बहुत भयानक है कि इन लोगों ने अपनी राजनीतिक दावत पर इतने पेड़-पौधे तोड़े हों।
 
चुनाव में अपराधी उम्मीदवार? यह तो बहुत बड़ा चिंता का विषय है! 👀

मुझे लगता है कि इससे पहले की हमें अपने उम्मीदवारों की जांच कर लेनी चाहिए, नहीं तो यह देश की गवाही में पड़ सकता है। सोसायटी फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एड आर) ने बताया है कि 415 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसमें गंभीर अपराध, मध्यम अपराध और हल्के अपराध शामिल हैं।

मैं सोचता हूँ कि इन उम्मीदवारों को चुनाव में लड़ने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। लेकिन यह तो हमारी नीतियों और सिस्टम पर भी सवाल उठाने की जरूरत है।

मैंने एक छोटा सा डायग्राम बनाकर दिखाया है कि चुनाव में अपराधी उम्मीदवार कैसे देश को खतरे में डाल सकते हैं:

```
+-----------------------+
| अपराधी उम्मीदवार |
+-----------------------+
| |
| गवाही में पड़ सकता है |
| |
v v
+-----------------------+ +-----------------------+
| चुनाव प्रणाली को | | देश की स्थिरता |
| खतरे में डालना | | पर भी सवाल उठ |
+-----------------------+ +-----------------------+
```

मुझे लगता है कि हमें अपने चुनाव प्रणाली में बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि अपराधी उम्मीदवारों को चुनाव में नहीं लाया जा सके।
 
मुझे लगता है कि चुनाव में अपराधिक मामले होने से देश की जिम्मेदारी समझने में मदद करता है... लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इन उम्मीदवारों को भी वहाँ स्थितिवादियों और पीड़ितों की आवाज़ सुनाने का मौका मिला था। हमें उनसे उनकी संघर्षों को समझना चाहिए।

कुछ उम्मीदवारों ने अपने अपराधिक मामलों से शिकायत भी नहीं की, लेकिन जब वो जीत गए तो फिर इन अपराधों को दूसरे तरीके से लेना पड़ा। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पार्टियां अपने उम्मीदवारों पर एक नियमित शोध करें, ताकि वे जीतने से पहले ही अपनी मुसीबत समझ लें।

आज के समय में लोकतंत्र हमें बहुत अच्छा मिला है, लेकिन हमें इसे और भी मजबूत बनाने का प्रयास करना चाहिए। पार्टियों को अपने उम्मीदवारों की जिम्मेदारी समझनी चाहिए और उन्हें दूसरों के मुद्दों पर भी ध्यान देना चाहिए... क्योंकि एक राष्ट्र की सेहत तो उसके लोगों की सेहत ही होती है 🤝
 
अपहरण और हत्या करने वाले बिना जाने जिसकी रिश्वत लेते हैं वो भी चुनाव लड़ रहे हैं 🤯, इंसान की जिंदगी बिल्कुल मायने नहीं देते हैं
 
बिहार चुनाव का दूसरा चरण तो यह कहीं भी नहीं जाने देगा, ऐसा लगता है जैसे एक खिलौने का खेल। जिस तरह से उम्मीदवारों की सूची में अपराधिक मामले और करोड़पति हैं, वैसे ही हमारा राजनीतिक खेल भी हो रहा है।

परन्तु यह एक दुखद सत्य है कि ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्होंने अपने आप में अपराध किया है, और वहीं से ही अपने पार्टी को आगे बढ़ा रहे हैं। यह हमारे राजनीतिक प्रणाली की कमजोरी को दर्शाता है जो किसी भी तरह की अपराधिकता को सहन नहीं कर सकती।

लेकिन यह एक मौका भी हो सकता है, अगर हम अपने देश के लिए अच्छे नेताओं की तलाश शुरू करें जिन्होंने अपने जीवन में अपराध नहीं किया है और उनकी नेतृत्व क्षमता से देश को आगे बढ़ाया हो।
 
🤔 बिहार चुनाव में अपराधिक मामलों की बढ़ती संख्या निराशाजनक है, खासकर जब हम देखते हैं कि कई जाने-पहचाने दलों में भी ऐसे उम्मीदवार हैं। यह बताता है कि चुनाव प्रणाली में अभी भी बहुत सारी कमियां हैं, जिनका समाधान करना जरूरी है। 👎 कुछ लोगों को अपने अपराधिक इतिहास को छुपाने की कोशिश करने की ताकत है, और इससे हमें चुनाव में सही नेताओं की खोज करने में परेशानी होती है। 🤝
 
खैर, ये बहुत दिलचस्प बात है कि चुनाव में अपराधिक मामले इतनी संख्या में आ गए हैं। ऐसा लगता है कि पूरा खेल लूटने की, धोखेबाजी करने की हो गई है। और ये तो जाने-पहचाने दलों से भी नहीं बचे हैं! तो दूसरे चरण में कैसे करेंगे चुनाव, अपराधियों का दमन?
 
क्या बात है चुनाव की जैसे तो हम सब इसे देख रहे हैं कि कौन किस अपराध के आरोप में है। लेकिन क्या कोई सोचता है कि चुनाव परिणामों में इतने अपराधिक मामले आते हैं तो शायद सब कुछ सही नहीं है 🤔

मुझे लगता है कि हमें यह जानने की जरूरत है कि कैसे ये अपराधिक मामले आ सकते हैं और चुनाव आयोग पर क्या दबाव है। क्योंकि अगर उम्मीदवारों में ऐसे लोग हैं जिनके खिलाफ गंभीर अपराध हैं, तो यह चुनावी प्रक्रिया को बिच्छू बना देता है 🚫

और ये भी एक सवाल है कि क्या हमारी समाज में अपराध की समस्या ठीक से नहीं देख रहे हैं? क्या हमारी पुलिस और न्यायपालिका को ऐसी मामलों में अच्छी तरह से काम करने की जरूरत नहीं है? 🤷‍♂️

कोई जवाब नहीं देता, बस बात करता रहता है... लेकिन कोई ऐसी बात नहीं करना चाहिए जो समाज में अपराध की समस्या को हल कर सके।
 
बिहार चुनाव की जानकारी देखने गए तो यार, यह बहुत ही रोचक है कि कितने प्रत्याशी में अपराधिक मामले हैं 🤔। 32 प्रतिशत का अर्थ है कि एक चौथाई से अधिक उम्मीदवारों में आपराधिक मामले दर्ज हैं। तो हमें वोट देने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि इनमें कौनसे अपराध शामिल हैं और कितने प्रत्याशी पर गंभीर अपराधिक मामले हैं।

कुछ उम्मीदवारों पर हत्या, अपहरण, भ्रष्टाचार और रिश्वत देने जैसे गंभीर अपराध लगाए गए हैं। तो हमें अपना वोट सही उम्मीदवार को देना चाहिए।
 
बिहार चुनाव में अपराधिक मामलों की इतनी संख्या देखकर मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ 🤔। कैसे ऐसे उम्मीदवार चुने जाते हैं जिनके खिलाफ गंभीर अपराधों का मामला दर्ज होता है? यह तो एक बड़ी समस्या है।

कौन सी रिपोर्ट एड आर ने दी है और इसमें इतने सारे अपराधिक मामले कैसे दर्ज हुए? मुझे जानना होगा कि यह रिपोर्ट कहां से आई है और इसकी विश्वसनीयता क्या है?

बिहार चुनाव में उम्मीदवारों की गुणवत्ता पर ध्यान देना जरूरी है। हमें यह जानना चाहिए कि इन उम्मीदवारों ने अपने पिछले कार्यकाल में क्या गलतियाँ की हैं और कैसे वे अपने मतदाताओं को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं।

मुझे लगता है कि हमें इन उम्मीदवारों की जांच करनी चाहिए और यह तय करना चाहिए कि वे अपने पद पर लगे या नहीं।
 
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