चेन्नई के ओशन इंस्टीट्यूट में समुद्रयान आकार ले रहा: इसके 50% हिस्से स्वदेशी, ये खास वैज्ञानिक पनडुब्बी 4 घंटे में 6km की गहराई में पहुंचेगी

चेन्नई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) में समुद्रयान आकार ले रहा है, जिसके 50% हिस्से स्वदेशी हैं। यह खास वैज्ञानिक पनडुब्बी भारत के 'डीप ओशन मिशन' का एक हिस्सा है।

समुद्रयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त समुद्र मिशन है, जिसका मकसद मत्स्य-6000 नाम के मानवयुक्त पनडुब्बी में 3 वैज्ञानिकों को समुद्र की 6,000 मीटर की गहराई तक भेजना है। यह परियोजना स्वदेशी बुनियादों और तकनीकों पर आधारित है, जैसे कि इलेक्ट्रॉन बीम वेल्डिंग।

समुद्रयान इस 6,000 मीटर गहराई तक पहुंचेगा, जहां दो भारतीय एक्वानॉट्स अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। यह पहला समय है जब कोई भारतीय समुद्री अनुसंधान टीम इस गहराई पर जाएगी।
 
अरे भाई, मैंने कुछ दिन पrior को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी में गया था और वहां एक बड़ा समुद्र का तैरता हुआ रोबोट था, जैसे सिर्फ मछली नहीं बल्कि पूरा भारतीय विज्ञान. मुझे लगा की यह बहुत ही रोचक होगा अगर हमें 6,000 मीटर तक की गहराई पर ले जाया जाए। और तो तो सब स्वदेशी बुनियादों पर आधारित, जैसे इलेक्ट्रॉन बीम वेल्डिंग. मुझे लगता है की यह 6,000 मीटर तक पहुंचने से हमें बहुत नई चीजें सीखने को मिलेंगी।

मैंने कभी भी अंडरवॉटर मारीना पार्क में जाने की सोची थी, लेकिन वहां कई समस्याएं होती हैं। शायद हमें 6,000 मीटर तक पहुंचने के लिए और तकनीक विकसित करनी होगी।
 
बिल्कुल सही, ये बहुत ही रोमांचक प्रयोग है। स्वदेशी तकनीक और बुनियादों का उपयोग करना अच्छा है, यह हमारी स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। मैं डीप ओशन मिशन के पीछे के विचारों को बहुत उत्साहित हूं, यह भारतीय विज्ञान को दुनिया भर में प्रस्तुत करेगा। और भारतीय एक्वानॉट्स की उपस्थिति 6000 मीटर गहराई पर एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे हमारी समुद्री अनुसंधान टीम की स्थिति और समर्थन बढ़ेगी। यह प्रयोग न केवल भारत की खोज शक्ति को बढ़ाएगा, बल्कि वहां की विशेषताओं और जीवन रूपों के बारे में हमें अधिक जानने का अवसर भी देगा।
 
अरे ये बहुत रोचक बात है 🤯, स्वदेशी तकनीकों पर आधारित समुद्रयान मिशन की शुरुआत हो रही है। 6,000 मीटर गहराई तक पहुंचना तो कोई आसान काम है, लेकिन इलेक्ट्रॉन बीम वेल्डिंग जैसे स्वदेशी तरीकों का उपयोग करके यह संभव होने की संभावना है।

मुझे लगता है कि इससे भारतीय समुद्री अनुसंधान को एक नए दिशा में ले जाने का मौका मिलेगा। और दो भारतीय एक्वानॉट्स की उपस्थिति 6,000 मीटर गहराई पर शायद ही कभी होती है... तो यह परियोजना वास्तव में हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।
 
😊 ये तो बहुत गर्व की बात है, हमारे वैज्ञानिकों ने एक ऐसी पनडुब्बी बनाई है जिसमें स्वदेशी तकनीकों का उपयोग करके 6,000 मीटर गहराई तक जाने की संभावना है। यह 'डीप ओशन मिशन' भारत के लिए एक बड़ा कदम है, और मुझे लगता है कि हमारे वैज्ञानिकों ने इसे बहुत अच्छी तरह से तैयार किया है। इलेक्ट्रॉन बीम वेल्डिंग जैसी तकनीक का उपयोग करके यह पनडुब्बी बहुत मजबूत होगी, और मुझे लगता है कि हम इसे समुद्र की गहराई में बहुत सफलतापूर्वक भेज पाएंगे।
 
अरे तुमने सुना है चेन्नई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी में यह दमदार परियोजना 🤯? लेकिन तुमने नहीं जाना कि ये पूरी तरह से भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया है और 50% स्वदेशी हिस्से को छोड़कर बाहरी तकनीक की जरूरत नहीं है। यह 'डीप ओशन मिशन' की जीत है भारतीय विज्ञान पर हमारी गरिमा 😊
 
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) में समुद्रयान आकार ले रहा है... यह तो बहुत अच्छी बात है, 50% स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल हुआ है। डीप ओशन मिशन भारत के पहले मानवयुक्त समुद्र मिशन है, जिसका उद्देश्य मत्स्य-6000 नाम की पनडुब्बी में तीन वैज्ञानिकों को 6,000 मीटर गहराई तक ले जाना है। यह परियोजना स्वदेशी बुनियादों और तकनीकों पर आधारित है, जैसे इलेक्ट्रॉन बीम वेल्डिंग... यह तो हमारी प्रौद्योगिकी को दुनिया के सामने लाने का एक अच्छा तरीका है 🚀
 
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी में जो समुद्रयान आकार ले रहा है, वह स्वदेशी तकनीकों और विज्ञान का बहुत बड़ा प्रमाण है 🚀💡। यह परियोजना हमारे देश की वैज्ञानिक शक्ति को दिखाती है और हमें समुद्र की गहराई में जाने के लिए तैयार करती है। #आजादी_की_विज्ञान_शक्ति, #नेशनल_इंस्टीट्यूट_ऑफ_ओशन_टेक्नोलॉजी, #समुद्रयान #डीप_ओशन_मिशन
 
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