यह तो बहुत बड़ी बात है
। मैं समझता हूं कि सिटीजन पहचान कार्ड जैसी नवीनताओं की जरूरत है, लेकिन इससे वोट चोरी का मुद्दा खुलकर उछाल दिया गया है। मुझे लगता है कि चुनाव आयोग ने सिर्फ पारदर्शिता और ईमानदारी की बात करनी चाहिए, लेकिन वास्तविकता में यह तो अलग है। 
क्या वोटरों को सुनने की जरूरत नहीं थी? क्या उनसे उनकी चिंताओं को समझने की जरूरत नहीं थी? यह तो सिर्फ सरकार के पक्ष में दिखाने की बात है। मुझे लगता है कि विपक्ष को अपनी आवाज उठानी चाहिए, लेकिन इसके लिए उन्हें अच्छी रणनीति बनानी पड़ेगी।
क्या वोटरों को सुनने की जरूरत नहीं थी? क्या उनसे उनकी चिंताओं को समझने की जरूरत नहीं थी? यह तो सिर्फ सरकार के पक्ष में दिखाने की बात है। मुझे लगता है कि विपक्ष को अपनी आवाज उठानी चाहिए, लेकिन इसके लिए उन्हें अच्छी रणनीति बनानी पड़ेगी।