चिंताजनक: विकराल होती गर्मी, हर मिनट एक व्यक्ति की जान ले रहा जलवायु संकट; गरीब देशों को 6% आय का नुकसान

दुनिया जलवायु संकट के सबसे खतरनाक दौर में गुजर रही है, जहां हर मिनट एक व्यक्ति की मौत हो रही है। 1990 के दशक से गर्मी से होने वाली मौतों में 23 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और 2012 से 2021 के बीच हर साल औसतन 5.46 लाख लोग केवल गर्मी के कारण मारे गए। यह सभी मौतें रोकी जा सकती हैं यदि समय रहते ठोस नीतिगत कदम उठाए जाएं।

गरीब देशों पर सीधा असर पड़ रहा है, जिनकी राष्ट्रीय आय का लगभग छह फीसदी हिस्सा समाप्त हो गया है। गर्मी से होने वाली मौतों ने अर्थव्यवस्थाओं पर भी गंभीर असर डाला है, जिससे गरीब और विकासशील देशों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है।

कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधन न केवल धरती को गर्म कर रहे हैं, बल्कि प्रदूषण से हर साल लाखों लोगों की जान ले रहे हैं। वर्ष 2023 में दुनिया भर की सरकारों ने इन ईंधन उद्योगों को 956 अरब डॉलर की सीधी सब्सिडी दी है। यह विडंबना है कि 15 देशों ने जीवाश्म ईंधनों पर अपने स्वास्थ्य बजट से भी अधिक धन खर्च किया है।

जंगल की आग और खाद्य संकट ने बढ़ाई मुश्किलें हैं। 2024 में जंगल की आग ने सबसे ज्यादा कोहराम दक्षिणी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के पश्चिमी तटीय इलाकों में मचाया। रिपोर्ट के अनुसार सबसे भयावह स्थिति ग्रीस, स्पेन और कनाडा में देखी गई, जहां लाखों हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो गए और करीब 1.54 लाख लोगों की मौत या गंभीर स्वास्थ्य हानि दर्ज की गई।
 
जैसे ही हमने पिछले दिनों की तापमान वृद्धि की बात की, अब हमें तेजी से बढ़ रहे जलवायु परिवर्तन की चिंता के साथ इसके मूल मुद्दों को भी लेकर आने हुए हैं। सरकारों ने अपनी पहल की है, लेकिन अभी तक पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव बहुत ज्यादा दिखाई दे रहा है। पूरे दुनिया में प्रदूषण से जान जाने वाली लोगों की संख्या बढ़ रही है, और यह एक बहुत बड़ी समस्या है जिस पर हमें ध्यान देना चाहिए।
 
मुझे लगता है कि हमारे विकासशील देशों में गर्मी से होने वाली मौतों को कम करने के लिए हमें एकजुट होना चाहिए। 😔 जब हमारे गरीब देशों पर सीधा असर पड़ रहा है, तो हमें अपनी आर्थिक स्थिति को भी अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए।

जीवाश्म ईंधनों पर सब्सिडी देना और उनके उपयोग को बढ़ावा देना वास्तव में गलत है। 🤦‍♂️ हमें अपने ऊर्जा स्रोतों को बदलना चाहिए और अधिक प्रकाशकारी ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए। इससे हम न केवल प्रदूषण को कम कर सकते हैं, बल्कि हम अपने जीवन की गुणवत्ता भी सुधार सकते हैं।

जंगलों की आग और खाद्य संकट भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है। 🌳 हमें अपने जंगलों की देखभाल करनी चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए। इससे हमारे जलवायु संकट को कम करने में मदद मिल सकती है और हमारे भविष्य को भी सुरक्षित रख सकते हैं।
 
मुझे यह देखकर बहुत दुख होता है कि दुनिया जलवायु संकट के इतने खतरनाक दौर में गुजर रही है। हर मिनट एक व्यक्ति की मौत हो रही है, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। गरीब देशों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है, उनकी राष्ट्रीय आय का लगभग छह फीसदी हिस्सा समाप्त हो गया है। 🤕

मुझे लगता है कि हमें समय रहते ठोस नीतिगत कदम उठाने चाहिए ताकि इन सभी मौतों को रोका जा सके। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या हमें इसके लिए पर्याप्त प्रयास करने देना चाहिए? 🤔 कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधन न केवल धरती को गर्म कर रहे हैं, बल्कि प्रदूषण से हर साल लाखों लोगों की जान ले रहे हैं।

हमें यह समझना चाहिए कि हमारे देशों में भी इस पर्यावरणीय समस्या को लेकर गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। हमें अपने सरकारों से इसके बारे में चर्चा करनी चाहिए और प्रतिस्थापन ऊर्जा स्रोतों पर विचार करना चाहिए। 🌞
 
अरे दोस्त मुझे बहुत चिंता हुई है इस जलवायु संकट पर... 🐈😱 हर मिनट एक व्यक्ति की मौत हो रही है, यह तो बहुत ही खतरनाक है। गरीब देशों पर सबसे अधिक असर पड़ रहा है और हमें कुछ करना चाहिए तो... 🤔 क्या हम अपने सरकारों से मिलकर इस पर बात कर सकते हैं? 956 अरब डॉलर की सब्सिडी देना ठीक है, लेकिन इससे पहले हमें अपने जीवाश्म ईंधन उद्योगों को बंद करना चाहिए... 🚫 और हमारी सरकारें को हमें इस मुद्दे पर सूचित रखनी चाहिए। जंगल की आग और खाद्य संकट, यह तो बहुत बड़ी समस्याएं हैं... 😨 हमें अपने देशों और विदेशों के लोगों को एक साथ मिलकर इस पर काम करना चाहिए।
 
🌡️ ये दुनिया कितनी खतरनाक है... तूफान, भूकंप और अब जलवायु संकट... 🌪️ गरीब देशों पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हर किसी को अपनी जिम्मेदारी समझनी चahiye। 😕
 
🌡️ मैंने पढ़ा है कि गर्मी की वजह से हर मिनट एक व्यक्ति की मौत हो रही है। तो फिर क्या हमारे पास खिलौनों की तरह जीवन जीने की बात नहीं है? 🤔 किसी ने भी सोचा है कि हमारे गले का दम घना हुआ है और उसी वजह से लोग मर रहे हैं? 🙄

तो सरकारें तो सब्सिडी देती हैं, लेकिन फिर क्या उन्हें पता नहीं है कि यह सब्सिडी कौन से लोगों को मिलेगी? कि इन जीवाश्म ईंधनों के शिकार होने वाले लोग गरीब देशों के हैं और उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है? 🤷‍♀️

और फिर जंगल की आग, खाद्य संकट... तो ये सब किस दिन शुरू हुआ? जब हमारे पास अपने भविष्य की कल्पना करने की क्षमता नहीं है? 🌳🕰️
 
क्या सही है यह बात, दुनिया कैसे चल रही है? जलवायु संकट इतना खतरनाक हो गया है कि हर मिनट एक व्यक्ति की जान जा रही है। गर्मी के कारण मारे गए लोगों की संख्या 1990 के दशक से 23 फीसदी बढ़ गई है, यह तो बहुत ही चिंताजनक बात है 🤯

और जीवाश्म ईंधनों पर सरकारें इतनी अधिक सब्सिडी दे रही हैं? यह वास्तव में समझने की जरूरत है। क्या हमने सही राह नहीं ढूंढ लिया था? तो क्यों औरती कि इस स्थिति को और बढ़ाते जा रहे हैं?

आजकल जंगल की आग और खाद्य संकट में हम सब उलझा हुआ है। 2024 में जंगल की आग ने दक्षिणी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के पश्चिमी तटीय इलाकों में बहुत बड़ा कोहराम मचाया। यह सबसे भयावह स्थिति ग्रीस, स्पेन और कनाडा में देखी गई। हमें जल्द ही नीतिगत कदम उठाने चाहिए और जीवाश्म ईंधनों को छोड़ना चाहिए।
 
मेरे दोस्त, यह तो हमारे पूरे विश्व को खतरे में डालने का साहस है कि हम जीवाश्म ईंधनों पर इतना पैसा खर्च कर रहे हैं। 956 अरब डॉलर की सब्सिडी देना? यह तो बिल्कुल सही नहीं है। हमें अपनी जमीन और हवा की सेहत के लिए पहल करनी चाहिए। गर्मी से मारे गए लोगों की संख्या 5.46 लाख कितनी बड़ी है? यह तो हमारी नीतियों और व्यवहार के परिणाम हैं।

मुझे याद आता है जब मेरे पिता के दोस्त का बेटा छोटा था, वह ग्रामीण इलाके से आया था। उसने बताया कि उसके परिवार ने कभी भी गर्मी से मारे गए लोगों को देखा नहीं था। अब तो हर साल इतने ही लोग मर रहे हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करें और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर ध्यान दें।
 
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