दिल्ली आतंकी हमला: कोलकाता में दीवार पर लिखा नफरती संदेश, क्या बोला भारतीय सांख्यिकी संस्थान?

कोलकाता में आईएसआई संस्थान पर लगाए गए नफरत भरे संदेशों को लेकर एक बड़ा मुद्दा तैयार हो गया है। यह घटना दिल्ली आतंकी हमले के एक दिन बाद हुई, जिसमें कई लोग घायल हुए थे।

ग्राफिटी पर लगाए गए संदेश समुदाय विशेष के खिलाफ हैं, और इस तरह की पोस्टर को लगाने वालों ने अपना खुलासा नहीं किया है। आईएसआई की निदेशक संघमित्रा बंदोपाध्याय ने कहा है कि उन्हें यह घटना बहुत गंभीर लगती है, और वह इस मामले में शामिल लोगों को खोजने में लगे हुए हैं।

आईएसआई का कहना है कि संस्थान हमेशा से ही बहुतलतावादी परंपराओं के लिए खड़ा रहा है, और वह अपने हितधारकों में किसी भी तरह के भेदभाव के खिलाफ है। उन्होंने कहा है कि सेमेस्टर परीक्षाएं खत्म होने के बाद वे इसमें शामिल लोगों की काउंसलिंग करेंगे और सुधार के लिए अन्य उपाय भी अपनाएंगे।

कोलकाता में लगाए गए नफरत भरे संदेशों पर आईएसआई की प्रतिक्रिया को देखकर कई लोगों को यह बुरा लगता है कि देश की शैक्षणिक संस्थानों में भेदभाव होता जा रहा है।
 
यह तो बहुत गंभीर मुद्दा है 🤕, दिल्ली आतंकी हमले के बाद ऐसा करना कैसे? और यहां तक कि आईएसआई भी स्पष्ट नहीं कर पाई कि वे ऐसा क्यों लगाते हैं? 🤔 सेमेस्टर परीक्षाएं खत्म होने के बाद काउंसलिंग करने में कुछ समय लगना तो ठीक है, लेकिन पहले तो यह नफरत भरी पोस्टर लगाने वालों को पकड़ना चाहिए। 🚔
 
कोलकाता में ऐसे वाली चीजें लगने पर मुझे बस घबराहट लगती है 🤯। दिल्ली आतंकी हमले के बाद ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने हमारे समाज को धमका दिया है। आईएसआई की प्रतिक्रिया सुनने पर मुझे लगता है कि वे शायद सही बात कह रहे हैं 🙏। लेकिन ऐसी चीजें लगने पर तो यह एक बड़ा मुद्दा बन जाता है। शैक्षणिक संस्थानों में भेदभाव होने का दौर चल रहा है, और इसके लिए हमें सोचना पड़ेगा 🤔
 
यह तो बहुत बड़ा मुद्दा हो गया है, लेकिन मुझे लगता है कि यह पूरी बात में थोड़ी जांच-पड़ताल करने की जरूरत होगी। सेमेस्टर परीक्षाएं खत्म होने के बाद काउंसलिंग और अन्य उपायों को लेकर आईएसआई ने अपना दावा कहीं नहीं किया है, बस इतना कहने की जरूरत है कि अगर यह सच है तो शायद सेमेस्टर परीक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों को उनके प्रदर्शन और समुदाय के आधार पर अलग-अलग उपचार दिया जा रहा है।
 
यह तो बहुत ही खेदपूर्ण बात है कि कोई व्यक्ति अपने नफरत भरे विचारों को दूसरों पर टिप्पणी करके व्यक्त करे। हमें सोचते रहना चाहिए कि हमारी हर कार्रवाई का समाज पर असर पड़ता है और हमें खुद को ऐसे रास्तों से दूर रखना चाहिए जिनसे लोग प्रभावित होते हैं। 🤔

और यह तो एक बात है, अगर कोई व्यक्ति अपनी गलतियों को मानता है और खुद को सुधारने की कोशिश करता है। लेकिन यहां हमारे पास ऐसा नहीं दिख रहा है। आईएसआई ने कहा है कि वे इस मामले में शामिल लोगों की काउंसलिंग करेंगे, लेकिन तो यह सिर्फ एक प्रकार की चुटकुला होगी? 🤷‍♂️

हमें यह भी सोचना चाहिए कि हमारी शैक्षणिक संस्थानों में क्या जाते हैं और हमारे विद्यार्थियों पर क्या प्रभाव पड़ता है। अगर हमें लगता है कि भेदभाव हो रहा है, तो हमें अपनी आवाज उठानी चाहिए और इस मुद्दे को हल करने के लिए काम करना चाहिए। 💪
 
આ ગ્રાફિટીનો પ્રભાવ કલ્યાણકર્મને ખંડિત કરશે, એટલે જ અહીં સરકારની બહુપરવાહ અને શિક્ષણમાં વિભાજનનો સમય આવી ગયો છે. પરંતુ, લોકોને શું થઈએ, તે બધું હોય જશે?
 
कोलकाता में आईएसआई संस्थान पर लगाए गए नफरत भरे संदेशों को लेकर यह बहुत गंभीर है... 🤕 आपने देखी होगी ये संदेश समुदाय विशेष के खिलाफ, लेकिन ये तो एक मामला है, लेकिन मुझे लगता है कि प्रशासन को तुरंत इस पर नज़र डालनी चाहिए... 🕵️‍♂️

क्या यह संदेशों लगाने वाले लोग कॉलेज खत्म करने से पहले अपनी पढ़ाई नहीं कर पाए थे? या फिर कोई ऐसा ही मामला है जिसमें उन्हें सुधार की जरूरत है? 🤔

आईएसआई का कहना है कि वे हमेशा बहुतलतावादी परंपराओं के लिए खड़े रहे, लेकिन मुझे लगता है कि यह एक छोटी सी समस्या है जिसको हल करने के लिए बड़ा-बड़ा सा दावा नहीं किया जाना चाहिए... 😒

आजकल कॉलेजों में भेदभाव होने की बात तो बहुत ही रोचक लगती है, लेकिन क्या हमें वास्तविकता से निपटनी चाहिए या फिर हम अपनी जिज्ञासा और डर पर चलना चाहिए? 🤷‍♂️
 
कोलकाता में ऐसे कुछ लोग तो नहीं पते, जो सेमेस्टर परीक्षाएं खत्म होने के बाद भी किसी को भी दूसरा रास्ता दिखाने के लिए तैयार रहते हैं… 😒 यार, मुझे लगता है कि अगर हम सब एक साथ मिलकर इन गलतियों को ठीक करें, तो हम अपने देश को बहुत खूबसूरत बना सकते हैं। और अगर आईएसआई ने भी अपनी बात कही, तो यही सही है कि हमें अपने हितधारकों में किसी भी तरह के भेदभाव के खिलाफ होना चाहिए। लेकिन फिर भी, ऐसे संदेश लगाने वालों को पकड़कर उन्हें सीखना चाहिए… 🤦‍♂️
 
अरे, ये तो बहुत बड़ा मुद्दा है, लेकिन फिर भी आईएसआई की स्टैंड लेने वालों की बात समझने की जरूरत है 🤔। उन्हें लगता है कि यह संदेश वास्तव में बहुत बड़े मुद्दे को उठाने वाली एक छोटी सी घटना है, और फिर भी हमें अपने आपसी मतभेदों को समझने और शांति से बात करने की जरूरत है 🙏। अगर हमारे पास इतनी बहादुरी होती, तो क्या हमारे देश में ऐसे भेदभाव नहीं हुए? लेकिन फिर भी जितना हम चाहते हैं हमारे देश को बदलने के लिए, उतना ही हमें अपने आपसी मतभेदों को समझने और एक साथ आने की जरूरत है 🤝
 
यह तो बहुत ग़ला देने वाला है... कल दिल्ली आतंकी हमले के बाद यह घटना तो लगता है साज़िश की तरह ही हुई है। क्यों तो लोग भेदभाव के खिलाफ कहते हैं लेकिन जब ऐसी चीजें होती हैं तो वाकई किसी को खत्म करने का मौका नहीं मिलता। यह तो सिर्फ़ स्कूली क्राइम की तरह ही लगता है, और भेदभाव कितना बढ़ गया है...
 
बिल्कुल सही है, इस तरह के नफरत भरे वाक्य लिखने वाले को समझने की जरूरत नहीं है ... यार, यह तो एक बड़ा मुद्दा बन गया है, और आईएसआई की तरफ से भी ऐसे पोस्टर लगाने की बात तो क्या है? हमें लगता है कि अगर कोई ऐसा करता है, तो उसे समझने की जरूरत नहीं है ... कोलकाता में कुछ लोगों ने ऐसा किया, और अब आईएसआई उनका खुलासा नहीं करना चाहता? इसका मतलब यह है कि उन्हें पता है कि वो जो करते हैं वह गलत है, लेकिन फिर भी नहीं बोलते! 😒
 
मुझे यह घटना बहुत गंभीर लगती है, यह एक बड़ा सवाल उठाता है कि कैसे इतने युवाओं को ऐसी बातें सुनाई देते हैं जो उनके भविष्य को प्रभावित कर सकती हैं। मेरी राय में, हमारे शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि छात्रों को ऐसी बातों से बचाने का अवसर मिले।
 
कोलकाता में लगे ग्राफिटी संदेश तो बहुत व्यंग्यात्मक हैं, लेकिन मुझे लगता है कि उनके पीछे कुछ और होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति निश्चित रूप से अपने दृष्टिकोण को व्यक्त कर सकता है, फिर भी लगातार संदेशों को लेकर बाध्य महसूस करना ठीक नहीं लगता।
 
कोलकाता में लगाए गए नफरत भरे संदेशों पर आईएसआई की प्रतिक्रिया तो दिलचस्प है, लेकिन मुझे लगता है कि हमें इस बारे में और चिंतित होना चाहिए। यह घटना शायद एक छोटी सी समस्या है, लेकिन अगर ऐसे कई छोटे जोखिमों को दबाने की कोशिश की जाती है तो हमारा खंडन हो सकता है। मुझे लगता है कि आईएसआई ने सही बात कही है, लेकिन यह भी सच है कि देश की शैक्षणिक संस्थानों में जो भेदभाव होता है, वह एक बड़ा मुद्दा है। हमें इस पर विचार करना चाहिए और उसे हल करने की कोशिश करनी चाहिए।
 
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