मुझे ये बात बहुत दुखद लगती है... तीन डॉक्टर भी शहीद हुए... यह तो सिर्फ सांसें छीनना ही नहीं था, पूरी जिंदगी खत्म करना। मैं तो हमेशा कहा करता हूँ कि बच्चे तो दुनिया से सब कुछ छूने के लिए होते हैं। और आज ये दिल्ली, शानों में निकल पड़े। ऐसी दुनिया में तो कैसे रह सकते हैं? मेरी बेटी भी खिलौनों से खेलती है, मुझे लगता है उसकी जिंदगी क्या गम होगी।