दिल्ली में 213 साल पुरानी फूलवालों की सैर पर ब्रेक: जिस मेले में नेहरू-इंदिरा आए, उसे परमिशन नहीं; आयोजक बोले- अधिकारी टालमटोल करते रहे

दिल्ली वालों की मांग पर अकबर शाह ने कहा था, "अब ये सैर हर साल भादो के महीने में होगी। इसके बाद ये हर साल त्योहार की तरह मनाया जाने लगा।
 
मुझे लगता है कि अकबर शाह दिल्ली वालों की मांग पर सही काम कर रहे हैं लेकिन अगर हम बात करते हैं त्योहार की तरह मनाया जाने लगा तो यह तो बहुत बड़ा बदलाव होगा। मेरे लिए सैर हर साल भादो के महीने में एक अच्छा विचार है लेकिन यह तय करना कि यह त्योहार की तरह मनाया जाने लगे या नहीं यह बहुत जरूरी है।

मुझे लगता है कि अगर हम सैर पर रुकने के लिए एक निश्चित दिन निर्धारित करेंगे तो यह अच्छा रहेगा। इससे हमारे समाज में एक नई गतिविधि की शुरुआत होगी। और फिर भी हम सैर को खासकर दिल्ली वालों के लिए नहीं छोड़ पाएंगे।
 
मैंने देखा है यह सैर कौन कौनसे लोग खुश कर रहे हैं? पहले से भी बहुत सैर का माहौल तो बन गया था, अब अकबर शाह जी ने कहा है कि सैर हर साल भादो के महीने में होगी? और फिर यह त्योहार की तरह मनाया जाने लगेगा? मुझे लगता है ये सब चालाकी है, हमारे बच्चों को खुश रखने के लिए सब कुछ करना है। सैर का माहौल तो पहले से ही बहुत ही ज्यादा था, अब यह तो हर साल मनाया जाएगा और त्योहार के बावजूद भी हमारे बच्चों को मनोरंजन करना होगा। मुझे लगता है सरकार को पहले अपने बच्चों की शिक्षा के बारे में सोच लेनी चाहिए।
 
मुझे यह नया तय होना अच्छा लगा, सैर त्योहार की तरह मनाने से राजधानी में खुशियाँ और हर्ष उत्पन्न होंगे। अकबर शाह ने यह बात कही थी, लेकिन अब ऐसा लगता है कि वास्तविकता भी इस दिशा में आगे बढ़ रही है। मैं उम्मीद करता हूँ कि सैर के दौरान खासकर छोटों को खुशियाँ और प्रसन्नता मिलेगी। राजधानी में यह पहल तय होने से अच्छा लगेगा, और ये भारतीय परंपराओं के साथ एकजुट होकर मनाया जाएगा।
 
दिल्ली वालों की बात सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई 🎉। यह तो एक अच्छा निर्णय है जिससे लोग दिल्ली आते रहते हैं और वहां के मनोरंजन का आनंद लेते हैं। भादो का महीना सैर करने का बestseller month banaya gaya hai 🎊। अब त्योहारों जैसा माहौल बनता है, जिसमें खाने की चीजें भी और भी delicious ho jati hain 🍴👌
 
मैंने एक पुरानी फोटो देखी थी जिसमें अकबर शाह और उनकी पत्नी जोधाबाई ताज महल में खड़े होकर रोज़ मुस्कुरा रहे थे। मुझे लगा कि यह सैर हर साल भादों के महीने में तो ठीक है, लेकिन क्या इसे त्योहार की तरह मनाना जरूरी है? मैंने देखा है कि हर साल जब राजघाट पर सैर होती है, तो वहाँ खूबसूरत पट्टियाँ लगाई जाती हैं, और लोग बैठकर नाचने लगते हैं। इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ था, लेकिन अब यह ताजमहल की सैर का हिस्सा बन गया है। मुझे लगता है कि अकबर शाह जी ने ऐसा कहा था ताकि हमें उनकी याद दिलाने को मौका मिले। 😊
 
अरे दोस्त, यह तो बहुत मजेदार विचार है अकबर शाह द्वारा सैर की मांग पर बोले हुए। मुझे लगता है कि ये सैर हर साल भादो के महीने में नहीं होनी चाहिए, इसके बजाय त्योहारों के समय या सर्दियों में होनी चाहिए जब लोगों को बाहर जाने के लिए उत्सुकता होती है। सैर हर साल भादो के महीने में होने से यह थोड़ा विशेष नहीं लगेगा और लोग इसका खास महत्व न देंगे।
 
यह तो बड़ी मुश्किल है कि अब दिल्ली वालों को बस सैर करने के लिए भी एक अलग महीना बनाना पड़ गया है। अकबर शाह ने कहा था कि अब यह हर साल भादो के महीने में होगी, तो फिर त्योहारों जैसा मनाया जाएगा। लेकिन मुझे लगता है कि इस तरह की बातें करने वाले लोग कभी सैर करने वालों की जरूरत नहीं समझते। यह एक ऐसा निर्णय है जो दिल्ली वालों को बस परेशान कर सकता है। और फिर त्योहार मनाने के बारे में सोचें, तो ये तो दिल्ली के लिए एक बड़ा खर्च होगा।
 
मुझे लगता है कि अगर अब अकबर शाह ने दिल्ली वालों को यह मौका दिया था तो हमें फिर से इसे ध्यान में लेना चाहिए 🤔। यानी सैर हर साल भादो के महीने में मनाने का निश्चय कैसे हुआ, नहीं तो बाकी सब अच्छा ही रहेगा। दिल्ली वालों की मांग पर सुनने और उनकी बात मानने से हम देश की संस्कृति को बहुत आगे बढ़ा सकते थे। आज भी अगर कोई ऐसा निर्णय लेता है तो शायद हम सब अच्छी तरह से इसकी तैयारी कर पाएंगे।
 
अकबर शाह की बातों से लगता है कि वे सैर को बहुत जरूरी समझते हैं... तो फिर वह निश्चित रूप से लोगों की पसंद को देखते हुए इसे हर साल मनाने में सहज होने का तरीका ढूंढ रहे हैं। अगर ये सैर लोगों को एक साथ बैठाकर खुशियां मनाने का अवसर देती है तो फिर यह कोई गलत नहीं है। और अगर सैर को बहुत जल्दी में शुरू करने से पहले इसकी तैयारी अच्छी तरह से की जाती है तो फिर इसमें कुछ समस्या भी नहीं होगी।

लेकिन एक बात जरूर ध्यान में रखنی चाहिए कि हर साल सैर करने से पहले लोगों को यह जानने देना चाहिए कि वे कहां जा रहे हैं और वहाँ क्या करना है। ताकि किसी भी तरह की समस्या ना हो। और फिर हमें तय करना चाहिए कि सैर को मनाने में शामिल लोगों की संख्या कितनी होगी।
 
मैंने देखा है कि अकबर शाह ने दिल्ली वालों की मांग मान ली, लेकिन ये बात जरूर है कि सैर को हर साल भादो के महीने में मनाया जाए, ताकि राजकीय कार्यों से पहले यह त्योहार मनाया जा सके। अगर इसी तरह सैर निरंतर भादो के महीने में मनाई जाती रहे, तो यह यात्रा के दौरान होने वाले परिवर्तनों का पूरा आनंद नहीं लिया जा सकता।

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एक बात तो जरूर है कि सैर में नियमितता बनाए रखनी होगी, जिससे दिल्ली वालों को यह मौका मिल सके। अगर सैर एक बार भादो के महीने में हुई, तो अगले साल यह 6 महीने बाद फिर से हो सकती है, लेकिन नियमितता बनाए रखने से यात्रा का आनंद और भी बढ़ जाएगा।

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एक अन्य बात, अगर सैर में नियमितता बनाए रखी, तो यह हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत को भी बढ़ावा देगी। दिल्ली वालों की यatra पर राजकीय कार्यों के बाद, सैर ने एक नए माहौल को बनाया, जिसमें हमारी सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया गया।
 
मुझे लगता है कि अकबर शाह की यह बात सुनकर बहुत रोचक लगी 🤔. मैंने पिछले वर्ष दिल्ली में आयोजित सैर-ए-तंदुरुस्ती (स्वास्थ्य सैर) को देखा था, और वह बहुत ही मजेदार था। लेकिन यह सोचकर आश्चर्य हुआ कि ये हर साल त्योहार की तरह मनाया जाने लगा। मुझे लगता है कि इससे हमें अपने स्वास्थ्य और खुशहाली को बहुत अधिक महत्व देने का मौका मिलेगा। 🥗

लेकिन, मैं यह सवाल उठा सकता हूँ कि ये सैर हर साल त्योहार की तरह मनाने पर हमें अपने स्वास्थ्य और खुशहाली को प्राथमिकता देने का संदेश देगा या फिर यह एक रंगीन अवसर होगा जिस पर हम भटक जाएंगे। 🤷‍♂️

कुछ लोगों का कहना है कि इससे हमें अपनी सेहत और खुशहाली को लेकर अधिक विचार करने का मौका मिलेगा। लेकिन, मुझे लगता है कि यह सवाल अभी भी बहुत आगे नहीं बढ़ पाया है। 😕
 
मैं समझ नहीं पाया बाकी दिल्ली वालों की क्या बात है? अकबर शाह ने कहा था कि अब सैर हर साल भादो के महीने में होगी, तो फिर क्या? यह तो हमेशा से चली आ रही बात है कि दिल्ली वालों को कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे वह दिल्ली वालों का ख्याल रख सकें। लेकिन मैं नहीं समझ सकता कि फिर त्योहार की तरह मनाने से यह सब अच्छा होगा? मुझे लगता है कि हमें अपने राजधानी शहर को और बेहतर बनाने के लिए कुछ और काम करने चाहिए।

क्या आपने बातचीत देखी है जिसमें पूर्वी दिल्ली में निजी स्कूलों की शुरुआत हुई? वह तो अच्छा विचार था। लेकिन फिर भी हमें अपने शहर को और विकसित करने के लिए कुछ और काम करने चाहिए।
 
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