ओडिशा हाईकोर्ट के इस महत्वपूर्ण फैसले से यह स्पष्ट होता है कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 16 अनुसार, पहली पत्नी और दूसरी पत्नी से पैदा हुए बच्चों को अपने पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी का अधिकार मिलेगा। यह फैसला वहाँ शासित अधिनियम की धारा 6(3) के अनुसार, जिसमें यह स्पष्ट कहा गया है कि जब एक व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो उनकी पत्नी और बच्चों की देखभाल के लिए कानूनी रूप से विभाजित संपत्ति का उल्लेख होता है।
इस फैसले ने यह भी कहा है कि पहली पत्नी और दूसरी पत्नी से पैदा हुए बच्चों को उनके माता-पिता की स्व-अर्जित संपत्ति का निर्विवाद उत्तराधिकार प्राप्त होगा। यह फैसला इस बात पर जोर देता है कि हर व्यक्ति को समान अधिकार मिलें, चाहे वह पहली पत्नी या दूसरी पत्नी से पैदा हुआ हो।
इस फैसले ने यह भी स्पष्ट कहा है कि अगर मृतक माता-पिता मिताक्षरा सहदायिक थे, तो उनके बच्चों को भी पैतृक संपत्ति में अपना हिस्सा मिलेगा। यह फैसला हमारे समाज में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस फैसले ने यह भी कहा है कि पहली पत्नी और दूसरी पत्नी से पैदा हुए बच्चों को उनके माता-पिता की स्व-अर्जित संपत्ति का निर्विवाद उत्तराधिकार प्राप्त होगा। यह फैसला इस बात पर जोर देता है कि हर व्यक्ति को समान अधिकार मिलें, चाहे वह पहली पत्नी या दूसरी पत्नी से पैदा हुआ हो।
इस फैसले ने यह भी स्पष्ट कहा है कि अगर मृतक माता-पिता मिताक्षरा सहदायिक थे, तो उनके बच्चों को भी पैतृक संपत्ति में अपना हिस्सा मिलेगा। यह फैसला हमारे समाज में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।