E-Courts Project: ब्रिटेन ने भारत की ई-कोर्ट्स परियोजना में दिखाई दिलचस्पी, अगले हफ्ते दिल्ली में होगी बैठक

ब्रिटेन ने ई-कोर्ट्स परियोजना में दिलचस्पी दिखाई है और इसी को लेकर ब्रिटेन का एक प्रतिनिधिमंडल 6 नवंबर को नई दिल्ली पहुंचेगा। यह टीम केंद्रीय कानून मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के सदस्यों से मुलाकात करेगी।

ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट का मकसद देश की अदालतों को पूरी तरह डिजिटल बनाना है। इसके तहत केस फाइलिंग, रिकॉर्ड मैनेजमेंट, सुनवाई, आदेश और फैसले-सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट फिलहाल तीसरे चरण में चल रहा है और इसमें लंबित मामलों की बड़ी संख्या को देखते हुए डिजिटल सिस्टम को समय की जरूरत माना जा रहा है।

इस प्रोजेक्ट से कोर्ट रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित रहेंगे। इसके साथ ही पेपर का इस्तेमाल कम होगा, पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया होगी। वहीं वर्चुअल सुनवाई से समय और यात्रा खर्च बचेगा। इसके साथ ही कोर्ट फीस, जुर्माना आदि की ऑनलाइन भुगतान सुविधा होगी और न्यायिक प्रक्रिया पारदर्शी और तेज होगी।

इस प्रोजेक्ट में 3,108 करोड़ दस्तावेजों का डिजिटलीकरण, क्लाउड तकनीक पर आधारित अदालत प्रणाली, 25 पेटाबाइट डिजिटल स्टोरेज, 1,150 वर्चुअल कोर्ट्स की स्थापना, ICJS सिस्टम से जुड़ेगी अदालतें, जेलें, पुलिस और फॉरेंसिक लैब शामिल हैं। यह चरण सितंबर 2023 में केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी प्राप्त कर चुका है।

भारत की अदालतों में लंबित मामलों की बड़ी संख्या को देखते हुए डिजिटल सिस्टम को समय की जरूरत माना जा रहा है। ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट से कोर्ट रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित रहेंगे। इसके साथ ही पेपर का इस्तेमाल कम होगा, पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया होगी। वहीं वर्चुअल सुनवाई से समय और यात्रा खर्च बचेगा। इसके साथ ही कोर्ट फीस, जुर्माना आदि की ऑनलाइन भुगतान सुविधा होगी और न्यायिक प्रक्रिया पारदर्शी और तेज होगी।
 
नहीं समझता यह कैसे ब्रिटेन को अपनी अदालतों में इतनी दिलचस्पी लगी, फिर भारतीय सरकार ने भी इस परियोजना पर ध्यान केंद्रित कर लिया। ई-कोर्ट्स से देश की अदालतें पूरी तरह से डिजिटल हो जाएंगी। इससे बिल्कुल नहीं समझ में आता कि सरकार ने इतनी समय ले रखा है इसके लिए।

क्या सरकार ने भारतीय नागरिकों के लिए तैयारी शुरू कर दी है? क्या हमारे लिए ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट में बदलाव कितना जरूरी है? इसके बारे में सोचते समय भी नहीं रहा हूँ।
 
अरे, ये ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट को देखकर मुझे लगता है कि भारतीय अदालतों में डिजिटलीकरण से हम बहुत अच्छा फायदा कर सकते हैं 🤔. अगर हमारी अदालतें पूरी तरह से ऑनलाइन उपलब्ध हों, तो लंबित मामलों की बड़ी संख्या को हल करने में समय बच जाएगा। और ऑनलाइन भुगतान सुविधा से न्यायिक प्रक्रिया पारदर्शी और तेज होगी। यह एक अच्छा विचार है, लेकिन यह चरण अभी तीसरे चरण में, इसलिए कुछ समय और सावधानी की जरूरत होगी। 🕰️
 
बात है ई-कोर्ट्स परियोजना, तो मैं बिल्कुल देख रहा हूँ कि कैसे यह पूरा होने वाला है, लेकिन मेरी सोच में एक सवाल आया - अगर हमारे अदालतों के रिकॉर्ड इस तरह से ऑनलाइन हो जाएं तो क्या इससे सरकारी नौकरियों की संख्या कम होगी? 🤔

मेरी बेगुमन बहन की भाई शादी होने वाली है, और मैं उनकी प्रेमिका को देने जा रहा हूँ एक डिजिटल फोटो सेट। मुझे लगता है कि ऐसी चीजों पर ध्यान देना जरूरी है।
 
मुझे लगता है कि यह ई-कोर्ट्स परियोजना हमारे देश की अदालतों में बहुत बड़ा बदलाव लाने की उम्मीद है। यह प्रोजेक्ट न केवल अदालतों को डिजिटल बनाएगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि सभी दस्तावेज़ और रिकॉर्ड सुरक्षित रूप से ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। इससे हमारे देश में पर्यावरण के अनुकूलता को बढ़ावा मिलेगा और हमारी अदालतें तेजी से चलेंगी। यह प्रोजेक्ट न केवल समय बचाएगा, बल्कि यह हमारी अदालतों की पारदर्शिता और पारदर्शिता को भी बढ़ाएगा। मुझे उम्मीद है कि इस प्रोजेक्ट से हमारे देश की अदालतें विकसित होकर एक आधुनिक न्यायपालिका बन जाएंगी। 🙏💻
 
कुछ मामलों में ई-कोर्ट्स का फायदा स्पष्ट है, लेकिन तीसरे चरण को देखते हुए यह सवाल है कि डिजिटलीकरण वास्तव में अदालतों की गति और पारदर्शिता बढ़ाएगा या न?
 
ब्रिटेन को ई-कोर्ट्स परियोजना में दिलचस्पी है और वे भारत आ रहे हैं 😊। यह बहुत अच्छा है कि वे हमारे कानून मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के सदस्यों से मिलेंगे। ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट बहुत जरूरी है, क्योंकि देश की अदालतें पूरी तरह से डिजिटल बन जाएंगी। इससे हमारे अदालतों में लंबित मामलों की बड़ी संख्या को देखते हुए डिजिटल सिस्टम को समय की जरूरत मानी जा रही है। इससे कोर्ट रिकॉर्ड सुरक्षित रहेंगे, पेपर का इस्तेमाल कम होगा, पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया होगी, और वर्चुअल सुनवाई से समय और यात्रा खर्च बचेगा। यह सारी बात बहुत अच्छी है 🙌
 
मुझे ये बात बहुत पसंद है 🤓। ई-कोर्ट्स परियोजना को लेकर ब्रिटेन की भागीदारी अच्छी सोच वाली है। इससे न केवल अदालतों में समय बचेगा, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया भी होगी। 🌿

मैंने इसे यह तरीके से बनाया है:

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ई-कोर्ट्स परियोजना को लेकर ब्रिटेन की भागीदारी अच्छी सोच वाली है। इससे न केवल अदालतों में समय बचेगा, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया भी होगी।
 
बिल्कुल सही है कि ई-कोर्ट्स परियोजना को फैलाएं 🌐, भारत की अदालतें पूरे देश में ऑनलाइन उपलब्ध होनी चाहिए। इसमें लंबित मामलों की बड़ी संख्या को देखते हुए डिजिटल सिस्टम को समय की जरूरत है। इससे पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया होगी और कोर्ट रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित रहेंगे। इसके साथ ही वर्चुअल सुनवाई से समय और यात्रा खर्च बचेगा, न्यायिक प्रक्रिया पारदर्शी और तेज होगी।
 
मुझे यह ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट बहुत दिलचस्प लगता है, लेकिन कुछ सवाल भी बाकी हैं... क्या हमारी अदालतें पूरी तरह से डिजिटल बनाने में सक्षम होंगे? क्या हमारे जिला और सत्र अदालतों को भी इसी तरह का आधुनिक सुविधा सुसज्जित किया जाएगा? और यह बात भी तो ध्यान में रखनी चाहिए कि इंटरनेट कनेक्शन सभी जगह उपलब्ध हो या नहीं...
 
तो वाह... ई-कोर्ट्स परियोजना में ब्रिटेन ने कितनी रुचि ली है! 6 नवंबर को उनकी टीम नई दिल्ली पहुंचेगी? यह तो बहुत रोमांचक होगा। 🤔

मुझे ये पूछना है, ई-कोर्ट्स में कैसे सुनवाई होती है? ऑनलाइन या ऑफलाइन? और ऑनलाइन फाइलिंग कैसे करनी है? मैंने कभी ऐसा नहीं किया है। 🤔

क्या यह प्रोजेक्ट पूरे देश में लागू होगा? या सिर्फ बड़े शहरों में? और ऑनलाइन अदालत में कितने वकील आ सकते हैं? 😅
 
ब्रिटेन ई-कोर्ट्स परियोजना में दिलचस्पी ले रही है, और यह बात तो हमेश से मानी जाए थी, क्योंकि भारतीय अदालतें बहुत पुरानी है और इन्हीं कारणों से डिजिटलीकरण की जरूरत है। लेकिन ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट तो वास्तव में समय की जरूरत है, खासकर जब देश में अदालतों में लंबित मामलों की बड़ी संख्या हो।

यह प्रोजेक्ट हमारे देश को पूरी तरह से डिजिटल बनाने की दिशा में एक और कदम होगा। ई-कोर्ट्स परियोजना से अदालतों में टाइपिंग, फाइलिंग, और ऑनलाइन भुगतान सुविधा मिलेगी, जिससे पेपर का इस्तेमाल कम होगा, पर्यावरण को बचाया जाएगा। इसके साथ ही वर्चुअल सुनवाई से समय और यात्रा खर्च बचेगा।

इस प्रोजेक्ट में 3,108 करोड़ दस्तावेजों का डिजिटलीकरण, क्लाउड तकनीक पर आधारित अदालत प्रणाली, और ICJS सिस्टम से जुड़ेगी अदालतें, शामिल हैं। यह चरण सितंबर 2023 में केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी प्राप्त कर चुका है।
 
ब्रिटेन को ये अच्छा विचार है 🤔, ई-कोर्ट्स परियोजना में शामिल होने से हमें अपनी अदालतों को आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी। और यह जानकारी भारत की अदालतों की लंबित मामलों की बड़ी संख्या को देखते हुए बहुत महत्वपूर्ण है। अब ब्रिटेन की टीम नई दिल्ली पहुंच रही है तो हमें उनके साथ अच्छी मुलाकात करनी चाहिए और अपनी आवश्यकताओं को उन्हें समझाना चाहिए।
 
बात बिल्कुल है! ई-कोर्ट्स परियोजना को लेकर ब्रिटेन का यह प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली आया तो बहुत अच्छी बात है 🤝। इससे हमारी अदालतों में डिजिटल सिस्टम की पहल बढ़ेगी और समय की बचत होगी। लेकिन सोचकर फिर यह प्रश्न आता है कि ये ई-कोर्ट्स परियोजना मेरे नजदीक भी कब तक उपलब्ध हो जाएगी? और इससे हमारी अदालतों में लगने वाले खर्च क्या होगा? इन बातों पर देखने की जरूरत है।
 
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