EC: पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग की चेतावनी का असर, ड्यूटी पर वापस लौटे सभी 143 बीएलओ

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में 143 बीएलओ से ड्यूटी पर वापसी का हुक्म दिया था, जिसके बाद सभी अधिकारी गुरुवार को ड्यूटी पर लौट आए। चुनाव आयोग ने कड़ी चेतावनी दी थी कि जिन लोगों ने ड्यूटी पर वापसी नहीं किया, उनके खिलाफ कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

इस दौरान राज्य में कुल 80,681 मतदान केंद्र हैं, जहां प्रत्येक को एक बीएलओ नियुक्त किया गया था। चुनाव आयोग ने हाल ही में मतदाता सूचियों को अपडेट और सही करने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की घोषणा की है, जो अगले साल की शुरुआत तक जारी रहेगा।

बीएलओ की भर्ती और प्रशिक्षण प्रक्रिया लगभग सात महीने से चल रही थी। हालांकि कई नियुक्त बीएलओ कार्यभार संभालने में अनिच्छुक थे, जिससे आगामी मतदाता सूची पुनरीक्षण से संबंधित तैयारी कार्य बाधित हो रहा था।

इसके बाद आयोग ने संकेत दिया कि अनुपालन ना करने वालों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
 
ਮुझे लगता है कि ਬीएलओ ਨियुक्ति में निरंतरता बहुत जरूरी है। इससे मतदान प्रक्रिया में भी स्थिरता आ जाती है। लेकिन, जब बीएलओ नियुक्ति को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। अगर सभी अधिकारी ड्यूटी पर वापसी करते तो बहुत अच्छा, लेकिन अगर कोई भी ड्यूटी पर नहीं आता है तो उस पर प्रभावी अनुशासनात्मक कार्रवाई करना जरूरी है। इससे चुनाव आयोग की जिम्मेदारियों को भी समझना चाहिए।
 
मुझे लगता है कि चुनाव आयोग की इस कदम को मानकर चलना होगा, लेकिन यह तय ही नहीं हुआ कि यह दिनों से चल रही बीएलओ भर्ती और प्रशिक्षण प्रक्रिया को निपटाया गया। शायद आयोग को उम्मीद थी कि पूरी तरह से व्यस्त होने के बाद मैंने तय किया करेगा, लेकिन जैसा हुआ उसे फिर एक नई चुनौती का सामना करना पड़ा।
 
क्या ये चुनाव आयोग वास्तव में मतदान केंद्रों को सुरक्षित बनाने के लिए 143 बीएलओ से ड्यूटी पर वापसी का हुक्म दिया, या बस कुछ प्रमाण पत्र दिखाकर चोरी की जाए? मैंने मतदाता सूचियों को अपडेट करने के लिए एसआईआर की घोषणा सुनी, लेकिन मुझे लगता है कि यह बस एक खेल है। 80,681 मतदान केंद्रों में से हर एक पर बीएलओ नियुक्त हुए हैं, तो क्या वास्तव में सभी पात्र नहीं हैं? और जिन लोगों ने ड्यूटी पर वापसी नहीं की, उनके खिलाफ कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी... ठीक है, मुझे लगता है कि यह एक झूठी धमकी है।
 
मुझे लगता है कि चुनाव आयोग ने सही कदम उठाए हैं 🙏। अगर सभी अधिकारी अपने ड्यूटी पर वापस आ गए तो मुझे लगता है कि आगामी मतदाता सूची पुनरीक्षण में कुछ अनिश्चितता नहीं रहेगी। लेकिन इससे हमें यह भी सीखने को मिलेगा कि अगर कोई न ही अपनी जिम्मेदारियों को समझदारी से निभाता, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
 
क्या अच्छा है! चुनाव आयोग ने इतनी जल्दी से सभी बीएलओ को अपनी ड्यूटी पर लौटाने में सफलता हासिल कर ली है, यह तो बहुत अच्छी बात है! इससे मतदान केंद्रों की सुरक्षा और प्रबंधन में भी सुधार आया होगा। मुझे लगता है कि चुनाव आयोग ने सही निर्णय लिया है, अब मतदाता सूचियों को अपडेट करने के काम में भी उन्हें मदद मिलेगी।
 
बोले तो बिगड़ गया है यह मतदान प्रणाली, सबसे पहले सभी अधिकारियों को फिर से ड्यूटी पर लौट आना पड़ा... लगता है में भी थोड़ा असहज हुआ देखकर 🤔। लेकिन अगर वास्तव में मतदाता सूचियों को सही करने की बात तो बहुत जरूरी है, फिर सब कुछ ठीक से चलेगा... लेकिन ये समय और पैसे का नहीं है, तो यह तय है कि में कितना सही-सही मानूँगा 🤷‍♂️
 
बेझिझक सबक सीखते हैं, तो फिर क्यों अक्सर लोग अपने काम में चुकवाना भूल देते हैं? यह बीएलओ वापसी की बात है और अगर वे नहीं चले, तो पूरा प्रणाली धीमी पड़ जाएगी।

क्या हम अक्सर अपनी जिम्मेदारियों से निबाह लेते हैं? क्या हम सोचते हैं कि हमें बस इतना करना है और बाकी सब दूसरों की चिंता करेगा, जबकि वास्तविकता यह है कि हमारा प्रयास सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर हम अपनी जिम्मेदारियों में चूक गए तो उसका परिणाम होगा। यह भी एक संदेश है कि हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निरंतरता और धैर्य रखें।

क्या हम अभी ऐसे नहीं हैं जिन्हें अपने काम में सहयोग करने के बजाय खुद को अकस्मात चुनौतीपूर्ण बनाने में बीत रहा है?
 
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