IAS की पत्नी बोली-इतना रेप हुआ कि नसबंदी करानी पड़ी:दावा-लालू के करीबी ने ननद और भतीजी को भी नहीं छोड़ा; लोअर कोर्ट से सजा, हाईकोर्

चंपा बिस्वास ने अपनी पत्नी हेमलता यादव के साथ बलात्कार का आरोप लगाया था। 1998 में पुलिस ने उनके घर पर गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन फिर अदालत में साक्ष्यों की कमी और कई गवाहों ने अपने बयान बदल दिए। हाईकोर्ट ने 2010 में हेमलता और मृत्युंजय यादव दोनों को बरी कर दिया।
 
सब कुछ ठीक से नहीं चल रहा है... चंपा बिस्वास जैसे लोग तो कभी भी अपने पापों से छुप नहीं सकते। 1998 में उनके घर पर गिरफ्तार होने की बात कहिए, लेकिन अदालत में साक्ष्यों की कमी और बदल गए बयान... यह सब एक बड़ा मंच बन गया है उसके खिलाफ।
 
मुझे लगता है कि चंपा बिस्वास जी की स्थिति बहुत चिंताजनक है, लेकिन मैं समझ नहीं पाता कि उन्हें अभी तक अदालत में सजा नहीं मिली। यह तो सच है कि उनके घर पर गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन फिर अदालत में साक्ष्यों की कमी और कई गवाहों ने अपने बयान बदल दिए। लेकिन मैं नहीं समझ पाता कि उन्हें अब ऐसी मुश्किल समय में सजा नहीं मिलनी चाहिए।

मुझे लगता है कि अदालत में न्याय हुआ है, लेकिन मैं नहीं मानता कि यह न्याय हमेशा सही होता है। जैसे मैंने हेमलता यादव और मृत्युंजय यादव को बरी कर दिया, मुझे लगता है कि चंपा बिस्वास को भी उनकी तरह बरी कर देना चाहिए। लेकिन फिर भी, मैं नहीं कहता कि उन्हें सजा नहीं मिलनी चाहिए। यह तो एक जटिल मुद्दा है, और मुझे लगता है कि इस पर बहुत सोचने की जरूरत है।
 
पुलिस हुई बारीकी, अगर पूछे तो चंपा साहब को एक साल बाद फिर से जेल पहुंचाने के लिए बहुत साक्ष्य मिल गये 🕵️‍♂️। यह सुनकर अच्छा लगता है कि अदालत ने पहले उन्हें बरी कर दिया था, क्योंकि उस समय पर्याप्त सबूत नहीं थे। आज तो ऐसा लगता है कि पुलिस और पीड़ित की सुरक्षा के लिए कुछ अच्छा बदलाव आया होगा। मुझे यकीन नहीं है कि चंपा साहब ने सब सच कहा था, लेकिन अब तो उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया है, जिससे पीड़ित और उनकी परिवार को कुछ आराम मिलेगा। इसकी दुनिया में भी ऐसी कई कहानियाँ हैं जहां सबूतों की कमी में सच बूझ निकलता है।
 
मुझे चंपा बिस्वास के इस नए आरोप से बहुत असंतोष है 🤔। पहले तो उन्हें 1998 में गिरफ्तार कर लिया गया था, और फिर अदालत में उनकी पत्नी हेमलता यादव को भी बरी कर दिया गया था। यह सब सुनकर लगता है कि न्याय प्रणाली में कुछ गलत हुआ है।

क्या आज के समय में हर किसी को आरोप लगाकर गिरफ्तार करना सही है? ऐसे मामलों में हमेशा साक्ष्यों की जांच करना चाहिए और सच्चाई खोजने का प्रयास करना चाहिए।
 
बिल्कुल सही हुआ चंपा बिस्वास को अपने आप से निपटना पड़ गया। उन्हें पता था कि अदालत में उनके खिलाफ सबूत कम हैं, इसलिए उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा जो उनकी जिंदगी को बर्बाद करे। लेकिन यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस ने उनके घर पर गिरफ्तार करने में सफल रही। मुझे लगता है कि अगर अदालत में सबूत थे, तो चंपा बिस्वास को पहले से ही सजा देनी चाहिए थी। लेकिन इस मामले में न्याय प्राप्त नहीं हुआ। 🤔
 
अरे, चंपा बिस्वास की बात सुनकर दिल में दुःख हुआ। उन्होंने बहुत ही गहरे और सच्चे शब्द कहे हैं उनकी पत्नी हेमलता यादव पर बलात्कार आरोप लगाया है। लेकिन, यह तो जानकर शर्मिंदगी हो गई कि अदालत ने पहले उनके घर पर पकड़ लिया था और फिर साक्ष्यों में कमी के कारण बरी कर दिया। यह सब कुछ बहुत दुखद और चिंताजनक है।
 
बहुत रोचक मामला है, चंपा बिस्वास को अदालत से बरी करने का यह फैसला तो एक ओर से अच्छा लगा, लेकिन दूसरी ओर बहुत निराशाजनक भी। अगर अदालत ने सबूतों की कमी के हुए तो यादव जी को विशेष रूप से बरी करने में देर हुई, यह हमेशा से सवाल बना रहता है।
 
ਭਾਈ, ਇਹ ਕਦੇ ਵੀ ਨਿਰਲੇਪ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਸਕਦਾ। ਚंपਾ ਬਿਸ਼ਵਾਸ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਪਤ्नੀ ਹੇਮਲਤਾ ਯਾਦਵ ਦੀ ਗੱਲ ਚਰਚਾ ਵਿੱਚ ਆ ਗਈ ਹੈ। ਅਜਿਹਾ ਕਹਿਣਾ ਘੱਟ ਹੈ, ਪਰ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਨਿਯਮ ਬਹੁਤ ਜ਼ੁਰਬਾਨ ਹਨ। 1998 ਵਿੱਚ ਉਸ ਦੇ ਘਰ ਪੋਲੀਸ ਨੇ ਗ੍ਰਿਫਤਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ, ਅਤੇ ਹਮੇਸ਼ਾ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੂੰ ਗੁਜਰਾਇਆ ਜਾਣ ਦਾ ਡਰ ਹੈ।
 
तो यह बात बड़ी अजीब लग रही है 🤔 चंपा बिस्वास ने पहले अपनी पत्नी पर आरोप लगाया, लेकिन तब अदालत में साबित करने के लिए इतनी मुश्किल थी, आज उनकी पत्नी को बरी कर दिया गया... यह तो समाज की मूर्खता है 🙄 अब तो यह देखकर खेद होता है कि वे दोनों कैसे गुजरिए।
 
इस संदेहपूर्ण व्यक्ति चंपा बिस्वास पर फिर से बलात्कार आरोप लगाया गया है, लेकिन अदालत में ऐसा हुआ तो नहीं... उनकी पत्नी हेमलता यादव के खिलाफ भी यही आरोप था, लेकिन 2010 में उन्हें बरी कर दिया गया था। अब फिर से बलात्कार का आरोप लगाने वाले लोगों को पता चलना चाहिए कि उनके पिछले खिलाफ मामले में अदालत ने कहा था कि यह आरोप नहीं ठीक है। और फिर भी अदालत में ऐसा हुआ तो नहीं... 🤔🚫
 
तो यह तो बहुत दुखद बात है चंपा बिस्वास की पत्नी हेमलता के साथ ऐसा हुआ था। मुझे लगता है कि ऐसे मामलों में अदालत में समय लेना और साक्ष्य इकट्ठा करना बहुत जरूरी होता है। मैंने कभी नहीं सुना है कि एक व्यक्ति जो आरोप लगाता है वही व्यक्ति बरी हो जाए। लेकिन लगता है कि अदालत ने बहुत अच्छे तरीके से मामला देखा और सबूत इकट्ठा करने की पूरी कोशिश की। फिर भी, ऐसा लगने वाला मामला जिंदगी भर दर्दनाक हो सकता है और आरोपित और उनके परिवार के लिए भी बहुत जरूरी है।
 
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