मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में शुक्रवार को माहे-श्रेणी का पहला स्वदेशी पनडुब्बी रोधी युद्धक पोत सोमवार को नौसेना में शामिल होने जा रहा है। कोचीन शिपयार्ड द्वारा निर्मित इस श्रेणी के आठ पनडुब्बी रोधी पोत नौसेना के बेड़े में शामिल होने हैं, जिनमें से यह पहला पोत है। इस समारोह की अध्यक्षता सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी करेंगे।
नौसेना ने माहे को पश्चिमी समुद्र तट पर काम करने वाला 'साइलेंट हंटर' यानी मौन शिकारी बताया है। इसका जलावतरण उथले पानी के लड़ाकू पोतों की एक नई पीढ़ी के आगमन का प्रतीक है। माहे को उथले पानी में पनडुब्बियों की खोज कर उन्हें नष्ट करने, तटीय निगरानी करने और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा जैसे अभियानों के लिए बनाया गया है।
यह पोत अपनी फायरपावर, स्टील्थ तकनीक और गतिशीलता के कारण तटीय सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगा। आकार में कॉम्पैक्ट लेकिन क्षमताओं में बेहद शक्तिशाली माहे तटीय क्षेत्रों में चपलता, सटीकता और लंबी परिचालन क्षमता का प्रतीक है। अस्सी प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ बनाया गया यह पोत भारत की युद्धपोत निर्माण क्षमता, डिजाइन दक्षता और इंटीग्रेशन कौशल का सबूत है।
यह प्रश्न उठता है कि चीन-पाकिस्तान सौदे में देने जा रहे आठ उन्नत डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के निर्माण और शामिल होने पर भारतीय नौसेना अपनी सुरक्षा को कैसे सुनिश्चित करेगी। पहली पनडुब्बी के 2026 में पाकिस्तानी नौसेना में शामिल होने की संभावना है, जबकि सभी आठ पनडुब्बियां 2028 तक शामिल हो जाएंगी।
नौसेना ने माहे को पश्चिमी समुद्र तट पर काम करने वाला 'साइलेंट हंटर' यानी मौन शिकारी बताया है। इसका जलावतरण उथले पानी के लड़ाकू पोतों की एक नई पीढ़ी के आगमन का प्रतीक है। माहे को उथले पानी में पनडुब्बियों की खोज कर उन्हें नष्ट करने, तटीय निगरानी करने और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा जैसे अभियानों के लिए बनाया गया है।
यह पोत अपनी फायरपावर, स्टील्थ तकनीक और गतिशीलता के कारण तटीय सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगा। आकार में कॉम्पैक्ट लेकिन क्षमताओं में बेहद शक्तिशाली माहे तटीय क्षेत्रों में चपलता, सटीकता और लंबी परिचालन क्षमता का प्रतीक है। अस्सी प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ बनाया गया यह पोत भारत की युद्धपोत निर्माण क्षमता, डिजाइन दक्षता और इंटीग्रेशन कौशल का सबूत है।
यह प्रश्न उठता है कि चीन-पाकिस्तान सौदे में देने जा रहे आठ उन्नत डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के निर्माण और शामिल होने पर भारतीय नौसेना अपनी सुरक्षा को कैसे सुनिश्चित करेगी। पहली पनडुब्बी के 2026 में पाकिस्तानी नौसेना में शामिल होने की संभावना है, जबकि सभी आठ पनडुब्बियां 2028 तक शामिल हो जाएंगी।