चांद की खोज में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों का गहराई से अध्ययन करने का मौका देने की बड़ी सफलता हासिल की है। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से प्राप्त उन्नत आंकड़ों की मदद से अब भारतीय वैज्ञानिकों को चांद की सतह की भौतिक और विद्युत गुणों से जुड़ी अहम जानकारियां मिलेंगी।
इस मिशन से प्राप्त आंकड़ों में चांद की सतह की खुरदरापन, घनत्व, छिद्रता और जल-बर्फ की संभावित उपस्थिति का अध्ययन किया जाएगा। विशेष रूप से "डायइलेक्ट्रिक कॉन्स्टेंट" नामक विद्युत गुण का विश्लेषण किया जाएगा, जो चांद की सतह की भौतिक प्रकृति को समझने में मदद करता है।
इसरो के अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर के वैज्ञानिकों ने इन आंकड़ों का उपयोग कर चांद के उत्तर और दक्षिण ध्रुवों के 80 से 90 डिग्री अक्षांश क्षेत्र के पोलर मोज़ाइक तैयार किए हैं। ये मोज़ाइक सौरमंडल के शुरुआती रासायनिक हालात को सहेजे हुए हैं।
चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों का अध्ययन ग्रहों की उत्पत्ति और विकास को समझने में बेहद जरूरी है। इन इलाकों में बर्फ और खनिजों की मौजूदगी भविष्य के मानव अभियानों और वैज्ञानिक अनुसंधानों के लिए महत्वपूर्ण संसाधन साबित हो सकती है।
इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 से प्राप्त लेवल 3C पोलर मोज़ाइक प्रोडक्ट्स अब सार्वजनिक कर दिए गए हैं। ये डाटा इंडियन स्पेस साइंस डाटा सेंटर की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं और कोई भी वैज्ञानिक या संस्थान इनका उपयोग कर सकता है।
इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 से प्राप्त डाटा विश्वभर में चांद के ध्रुवीय अनुसंधान की नई दिशा तय करेगा। इस डाटा के माध्यम से भारत अपना वैश्विक चांद अनुसंधान में बड़ा योगदान देगा।
यह पहल वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ा कदम है।
इस मिशन से प्राप्त आंकड़ों में चांद की सतह की खुरदरापन, घनत्व, छिद्रता और जल-बर्फ की संभावित उपस्थिति का अध्ययन किया जाएगा। विशेष रूप से "डायइलेक्ट्रिक कॉन्स्टेंट" नामक विद्युत गुण का विश्लेषण किया जाएगा, जो चांद की सतह की भौतिक प्रकृति को समझने में मदद करता है।
इसरो के अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर के वैज्ञानिकों ने इन आंकड़ों का उपयोग कर चांद के उत्तर और दक्षिण ध्रुवों के 80 से 90 डिग्री अक्षांश क्षेत्र के पोलर मोज़ाइक तैयार किए हैं। ये मोज़ाइक सौरमंडल के शुरुआती रासायनिक हालात को सहेजे हुए हैं।
चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों का अध्ययन ग्रहों की उत्पत्ति और विकास को समझने में बेहद जरूरी है। इन इलाकों में बर्फ और खनिजों की मौजूदगी भविष्य के मानव अभियानों और वैज्ञानिक अनुसंधानों के लिए महत्वपूर्ण संसाधन साबित हो सकती है।
इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 से प्राप्त लेवल 3C पोलर मोज़ाइक प्रोडक्ट्स अब सार्वजनिक कर दिए गए हैं। ये डाटा इंडियन स्पेस साइंस डाटा सेंटर की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं और कोई भी वैज्ञानिक या संस्थान इनका उपयोग कर सकता है।
इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 से प्राप्त डाटा विश्वभर में चांद के ध्रुवीय अनुसंधान की नई दिशा तय करेगा। इस डाटा के माध्यम से भारत अपना वैश्विक चांद अनुसंधान में बड़ा योगदान देगा।
यह पहल वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ा कदम है।