जोधपुर में 17 दिन के बच्चे की हत्या: 4 मौसियों ने हाथ-पैर तोड़े, फिर गला दबाकर मार डाला, बाल भी नोचे - Jodhpur News

जोधपुर में एक नवजात की नृशंस हत्या के बाद चार मौसियों पर आरोप है। सुमन करीब डेढ़ महीने पहले अपने प्रेमी पूनराम के साथ शुक्रवार रात को दिल्ली से लौटते हुए एक निजी अस्पताल में जन्म देने आई थी। उनका बच्चा 17 दिन का था, लेकिन उसी रात गला दबाकर मार डाला।
 
🤔 मुझे यह तो बहुत ही दुखद है जोधपुर में नवजात शिशु की हत्या की बात सुनकर। इतने नाजुक और असुरक्षित बच्चों की देखभाल करना जिम्मेदारी है, न कि लापरवाही। मैं चार मौसियों पर आरोप लगाने की वजह से आश्चर्यक हूँ, लगता है उन्हें यह जिम्मेदारी समझने को कुछ प्रेरित नहीं किया।

गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों की सुरक्षा के लिए हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए। अगर ऐसे मामले होने तो जरूरी है कि जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा देनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे हुए दुर्भाग्य से बचा जा सके।
 
मैं तो बिल्कुल नहीं समझ पा रहा हूँ, जोधपुर में ऐसा क्यों हुआ? तो बच्चे को जन्म देने के लिए निजी अस्पताल में ले गया था, लेकिन फिर इतनी गंभीरता से हत्या कर दिया गया। मुझे लगता है कि ऐसा करने वाले को मन पर पागलपन लग रहा होगा। चार मौसियों पर आरोप लगाने से कुछ नहीं होता, लेकिन फिर भी जोधपुर की पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया है। मैं तो उनकी बहन के साथ जुड़ गई हूँ, वह इतनी परेशान है कि दिल नहीं ले सकती।
 
मुझे यह बहुत दुखद सुनकर बुरा लग रहा है... जोधपुर में तो मानो एक नई खुशियाँ निकलने के लिए आ गई थी और फिर भी इतनी दुखद घटना घटी। चार मौसियों पर आरोप लगाने से बिल्कुल समझ नहीं आता, यह तो पूरी तरह से बुरा है... बच्चे की उम्र तो अभी बस 17 दिन की, ऐसे में जिंदगी से जुड़ने की उम्र तो अभी ही शुरू हुई थी। और फिर भी यह इतनी दर्दनाक हत्या... मुझे लगता है कि हमें इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए अच्छे प्रशिक्षण प्राप्त करने की जरूरत है।
 
मुझे बहुत दुःख हुआ कि जोधपुर में एक न्यायिक अस्पताल में नवजात को ऐसे मोड़ दिया गया। यह तो बहुत बड़ा अपराध है। चार मौसी पर आरोप लगने से बिल्कुल नहीं समझ में आता कि वे इतने भ्रष्ट थीं। मैं सोचता हूँ कि अस्पताल की कर्मचारियों पर जांच होनी चाहिए, ताकि यह पता चल सके कि ऐसी बातें होती रही है या नहीं। हमें अपने प्राथमिक चिकित्सा सेवाओं में बेहतर बनाने की जरूरत है।
 
मुझे यह पूरा खेद है - यह तो बहुत ही दुखद घटना है। जोधपुर की नवजात शिक्षित बच्ची की नृशंस हत्या और उनके चार मौसियों के आरोप पर, मुझे लगता है कि हमें इन बाल यौन हमलों से निपटने के लिए एक नई दिशा ढूंढनी होगी। कुछ मामले इस तरह से हल नहीं हो पाते हैं और जानबूझकर ये हिंसक घटनाएं हमारे समाज पर बहुत बड़ा असर डालती हैं। मुझे लगता है कि हमें ये सामूहिक रूप से हल करने की जरूरत है, जहां पुलिस, परिवार और समाज एक मिलकर काम करे।
 
अरे, यह तो बहुत दुखद है... जोधपुर में ऐसी बातों का सामना करना तो परेशानी ही नहीं बल्कि दर्दनाक होता है। चार मौसियों पर आरोप लगाने से पहले पूरा दोष एक व्यक्ति या समूह का नाम लेना उचित नहीं होगा। इससे बच्चे की जन्म माता और उनके परिवार को बुरा लगता है। पोलिसें तो अपनी जिम्मेदारी करेंगी, दोषप्राप्त व्यक्ति को पकड़ेंगी। लेकिन यह तो एक सच्ची कहानी नहीं बनेगी अगर हमने सबको शामिल करने से पहले सभी तथ्यों को पूरा जानने का मौका दिया जाए।
 
मुझे यह बहुत दुखद है जोधपुर में नवजात शिशु की नृशंस हत्या की खबर सुनकर... चार मौसियों पर आरोप लगाना एक बहुत बड़ा आघात है। मैं समझता हूं कि प्रेम और परिवार के लिए यह तो बहुत ही कठिन समय हो सकता है, लेकिन इस तरह की घटनाएं सुनकर भी मुझे खेद होती है... अस्पताल में कैसे ऐसी बातों को समझना पड़ता? याद रखना चाहिए कि बच्चे की जान हमारा अधिकार नहीं है, लेकिन उसकी सुरक्षा और प्यार करने वालों की भावनाओं को हमें समझना चाहिए... 🤕
 
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