‘जीवन आसान बनाने के लिए न्याय में सुगमता जरूरी, कानूनी भाषा होनी चाहिए सरल’, राष्ट्रीय सम्मेलन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (8 नवंबर, 2025) को कहा, 'जीवन और कारोबार को आसान बनाने के लिए न्याय में सुगमता जरूरी है। कानूनी भाषा सरल होनी चाहिए ताकि न्याय चाहने वाले इसे समझ सकें।'

विधिक सहायता वितरण तंत्र को सशक्त बनाने पर राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'सामाजिक न्याय तभी सुनिश्चित किया जा सकता है जब न्याय सभी को मिले, चाहे उनकी सामाजिक या वित्तीय पृष्ठभूमि कुछ भी हो।'

उन्होंने कहा, 'न्याय सभी के लिए उपलब्ध होना चाहिए और जीवन और व्यापार को आसान बनाने के लिए न्याय में सुगमता आवश्यक है।' पीएम मोदी ने कहा, 'सरकार ने हाल के वर्षों में न्याय की सुगमता में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं और वह इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए काम करना जारी रखेगी।'

उन्होंने अदालती फैसलों और कानूनी दस्तावेजों को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, 'यह वास्तव में सराहनीय बात है कि उच्चतम न्यायालय ने 80,000 से अधिक निर्णयों का 18 भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने की पहल की है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह प्रयास उच्च न्यायालय और जिला स्तर पर भी जारी रहेगा।'

उन्होंने कहा, 'न्याय की भाषा उसे पाने वाले व्यक्ति को समझ में आनी चाहिए। जब लोग कानून को अपनी भाषा में समझते हैं, तो इससे बेहतर अनुपालन होता है और मुकदमे कम होते हैं।'

पीएम मोदी ने कहा, 'जब न्याय सभी के लिए सुलभ हो, समय पर हो और सामाजिक या वित्तीय पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना प्रत्येक व्यक्ति तक इसकी पहुंच हो, तभी यह सामाजिक न्याय की नींव बनता है।' उन्होंने कहा, 'फैसले और कानूनी दस्तावेज स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराए जाने चाहिए।'

उन्होंने कहा, 'उच्चतम न्यायालय इस संबंध में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।'
 
अरे, यह तो बहुत अच्छी बात है पीएम मोदी जी ने कही की न्याय की भाषा उसे पाने वाले व्यक्ति को समझ में आनी चाहिए 🤔। लेकिन, मैं सोचता हूं की हमारे देश में बहुत सारे लोग ऐसे है जिनकी मातृभाषा अलग-अलग होती है, तो कैसे यह न्याय की भाषा बनेगी? 🤷‍♂️
 
🤔 यह तो बहुत अच्छी बात है कि पीएम मोदी जी ने अदालती फैसलों और कानूनी दस्तावेजों को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराने का आह्वान किया है। मुझे लगता है कि यह एक बहुत बड़ा कदम है जिससे न्याय की भाषा समझने में आसानी होगी और लोगों को अधिक से अधिक फायदा होगा।

कुछ दिनों पहले मैंने रामचंद्र इyer की फिल्म 'कूटदान' देखी थी जिसमें न्याय की भाषा की महत्ता को समझाया गया था। उसमें पात्र चित्तेज बागतिरी अपने सपनों में हमेशा राज्य की सर्वोच्च अदालत पहुंचाने की कल्पना करता है। और अब यह सच हुआ है जैसे कहा जाता है, न्याय सभी के लिए उपलब्ध होना चाहिए। 🙌
 
मेरी राय में पीएम मोदी की बात समझ में आती है 🤔, लेकिन यह भी सच है कि हमारे देश में इतनी सारी भाषाएं हैं कि हर एक को समान रूप से समझना मुश्किल है। इसलिए, सरकार को थोड़ी और धैर्य रखनी चाहिए ताकि सभी को इसकी समझ में आने का मौका मिले। 🙏

मुझे लगता है कि उच्चतम न्यायालय की पहल बहुत अच्छी है, लेकिन हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे जांच और परीक्षण की प्रक्रिया में कोई कमी नहीं आ जाती। इसके अलावा, सरकार को इस तरह की पहलों के लिए पूरी तैयारी होनी चाहिए, ताकि यह प्रभावी ढंग से काम कर सके। 🚀
 
कानूनी भाषा को सरल बनाने से न केवल न्याय चाहने वालों को समझ में आने में आसानी होती है, बल्कि यह हमें समाज के विविधता को भी एकत्र करने में मदद करती है। जब हमारे देश में सभी लोगों को न्याय मिलने का मौका मिले, तो यह सामाजिक न्याय की खिड़की खुलती है।

लेकिन, यह सोचना भी जरूरी है कि हमारी देश की विविधता को कैसे ध्यान में रखकर कानून तैयार किए जाते हैं। अगर हम अपनी स्थानीय भाषाओं में कानूनी दस्तावेजों और अदालती फैसलों को उपलब्ध कराए, तो न्याय चाहने वालों के लिए यह एक नया अवसर खुलता है।

यह सोचकर भी हमें खुशी होती है कि उच्चतम न्यायालय ने इस पहल को शुरू किया है, जिससे अब हमारे देश में न्याय सभी के लिए उपलब्ध होने की संभावना है।

अब, यह सवाल उठता है कि आगे भी हम अपनी देश की विविधता को ध्यान में रखते हुए न्याय तैयार करेंगे या नहीं।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात सचमुच बहुत खास है 🤔 पिछले 5 वर्षों में न्याय की सुगमता में सुधार करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं और इसमें तेजी लाने के लिए सरकार हमेशा तैयार रही है 🚀

न्याय की भाषा उसे पाने वाले व्यक्ति को समझ में आनी चाहिए, यह बात सचमुच बहुत महत्वपूर्ण है 📚 अगर लोग कानून को अपनी भाषा में समझते हैं तो इससे बेहतर अनुपालन होता है और मुकदमे कम होते हैं ⏰

लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि न्याय की सुगमता केवल सरकार द्वारा नहीं बढ़ाई जा सकती है, हमें अपने समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए और लोगों को यह समझने में मदद करनी चाहिए कि न्याय कैसे प्राप्त किया जा सकता है 🌟

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना में स्थानीय भाषाओं में अदालती फैसलों और कानूनी दस्तावेजों को उपलब्ध कराने का आह्वान बहुत अच्छा है 📄 यह न्याय की सुगमता को बढ़ाने में मदद करेगा और लोगों को न्याय की दिशा में आगे बढ़ने का मौका देगा 👍

चार्ट:
* 80,000 से अधिक अदालती फैसलों का अनुवाद करने की पहल 📊: 18 भारतीय भाषाओं में 🌟
* न्याय की सुगमता में सुधार करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम 🚀: 5 वर्षों में 🕰️
* न्याय की भाषा उसे पाने वाले व्यक्ति को समझ में आनी चाहिए ⏰: 90% लोग सुधार की जरूरत महसूस कर रहे हैं 😊
 
🤔 न्याय में सुगमता बहुत जरूरी है, अगर हमारा कानूनी भाषा सरल हो तो न्याय चाहने वाले समझ सकते हैं और अपने अधिकारों की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

मुझे लगता है कि सरकार ने इस मामले में बहुत अच्छे कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी बहुत सारे लोगों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक नहीं किया गया है।

उच्चतम न्यायालय की पहल 80,000 से अधिक निर्णयों का अनुवाद करने की बहुत अच्छी है और इससे न्याय की भाषा उसे पाने वाले व्यक्ति को समझ में आने लगेगी।

मुझे लगता है कि हमें इस मामले में और आगे बढ़ना चाहिए और न्याय की सुगमता में सुधार करने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए। 🙏
 
बेटा, पीएम मोदी की बात समझ में आती है, पर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि लोगों को अपनी स्वभाषा जैसे 'पंजाबी', 'गुजराती' या 'माराठी' में फैसले पढ़ने का अधिकार होना चाहिए। हमारे देश में कई भाषाएं हैं, और प्रत्येक को सम्मानित करना जरूरी है।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात सुनकर लगता है कि वो सचमुच न्याय के लिए कुछ करना चाहते हैं। लेकिन फिर भी, अदालतों में जाने-पहचाने वकील और पेशेवरों को देखने पर लगता है कि कैसे बड़े बदलाव होने में समय लगेगा। 🤔

मुझे उम्मीद है कि सरकार वास्तव में सामाजिक न्याय की दिशा में कदम उठाएगी। लेकिन हमें अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। स्थानीय भाषाओं में अदालती फैसले और दस्तावेज उपलब्ध होने की बात अच्छी है, लेकिन इसके पीछे बहुत सारी सुविधाएँ और तकनीक की आवश्यकता होगी। 💻
 
क्या यह सच है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब न्याय की भाषा समझने की कोशिश करने वालों की मदद करने के लिए इतनी बड़ी राह दिखाई देती है? 🤔

अब हमारे देश में सरल कानूनी भाषा सुनिश्चित करने के लिए बहुत से प्रयास किए जा रहे हैं, यह एक अच्छा संकेत है 🌟

मुझे लगता है कि हमें सभी न्याय की भाषा में समझने वालों को एक साथ लाने की जरूरत है, ताकि हर किसी को समान अवसर मिल सके 🤝

नकली नहीं , इस देश को हमारे पास न्याय सुनिश्चित करने के लिए बहुत से अच्छे व्यक्ति हैं जो अपने सपनों का पीछा कर रहे हैं, मुझे उनका बहुत सम्मान है 💪
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात सुनकर मुझे लगता है कि यह सचमुच एक अच्छा कदम होगा अगर हमारे देश में न्याय की भाषा सरल और समझने योग्य बनाई जाए। इससे लोगों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होने में मदद मिलेगी और वे सुरक्षित महसूस करेंगे। 🙌

लेकिन, यह जरूरी नहीं है कि हमारे देश में न्याय की भाषा सरल हो जाए। कई लोगों को अपनी मातृभाषा में समझने में परेशानी होती है, और इससे उनके अधिकारों की रक्षा करने में भी समस्या आ सकती है। इस बात पर और चर्चा करनी चाहिए।
 
अरे, मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात समझ में आती है। जीवन और व्यापार को आसान बनाने के लिए न्याय में सुगमता जरूरी है, खासकर जब निर्णय लेने के दौरान कानूनी भाषा सरल होती है। इससे न्याय चाहने वालों को समझने में आसानी होती है और बेहतर अनुपालन होता है।

मुझे यह अच्छी बात लगती है कि उच्चतम न्यायालय ने 18 भारतीय भाषाओं में निर्णयों का अनुवाद करने की पहल की है। इससे लोगों को अपनी मूलभाषा में निर्णयों को समझने में मदद मिलेगी। और जब न्याय सभी के लिए सुलभ हो, तो समय पर होता है, तो ही यह सामाजिक न्याय की नींव बन सकती है।

🙏
 
मोदी प्रधानमंत्री की बात सचमुच सही है लेकिन सरकार द्वारा ऐसी कोई कार्रवाई भी नहीं की जिससे यह समझ में आता कि क्या वास्तव में उन्होंने कुछ सुधार किया है या नहीं। अधिकतर बातें तो पूर्ववर्ती सरकार की ही बात है।

कानूनी भाषा सरल करने की बात अच्छी है लेकिन इसके पीछे वास्तविकता यह है कि हमारे देश में अदालतों में सुधार करने के लिए बहुत पैसा खर्च होता है।

न्याय सभी को मिलना चाहिए तो लेकिन इसके लिए सरकार को अपने बजट में अधिक व्यवस्था करनी होगी।

मुझे यह भी निश्चित नहीं है कि सरकार से पूरी तरह से सहमत होना चाहिए। हमें न्याय की सुगमता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए बाकी सरकारों से भी सीखना होगा।

लेकिन एक बात तो मुझे यह पसंद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्चतम न्यायालय की पहल की प्रशंसा की है। इससे हमारे देश में न्याय की सुगमता बढ़ने की उम्मीदें बढ़ सकती हैं।
 
नया योजना शुरू करने से पहले सुनिश्चित करें कि सबकुछ सही ढंग से तैयार हो जाए, जैसे हमें न्याय में सुगमता की जरूरत है, लेकिन फिर भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी को समझ में आ जाए। इस बात पर विश्वास करें, लेकिन एक बार फिर से तुम्हारी पुष्टि करनी चाहिए।

कानूनी भाषा में बदलाव करने से पहले हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इससे अधिक से अधिक लोगों को फायदा होगा। अगर हम ऐसा करेंगे, तो न्याय की दिशा में बहुत प्रगति होगी।

सरकार द्वारा न्याय की सुगमता में सुधार करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, और यह एक अच्छी बात है। लेकिन, हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि न्याय सभी के लिए सुलभ हो। अगर ऐसा नहीं है, तो यह पूरी मिशन की स्थिरता पर प्रभाव डालेगा।

अदालती फैसलों और कानूनी दस्तावेजों को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की पहल, एक अच्छा कदम है। लेकिन, हमें यह भी देखना चाहिए कि इसके पीछे क्या तर्क हैं और इससे न्याय की दिशा में कहीं से अच्छा फायदा नहीं होगा।

न्याय की भाषा उन लोगों को समझने में मदद करती है जिन्हें संस्कृत या अंग्रेजी नहीं आती। अगर हम इसे साधारण बनाने का प्रयास करें, तो इससे न्याय की दिशा में बहुत आगे बढ़ सकती है।
 
मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी जी की बात सुनकर बहुत उत्साहित हूँ 🤩। वास्तव में, हमारे देश में न्याय की सुगमता में सुधार करने की जरूरत है, ताकि हर किसी को समान अवसर मिल सके। मैं इस प्रक्रिया में सरकार की कदमों की सराहना करता हूँ। अदालती फैसलों और कानूनी दस्तावेजों को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध करने का यह पहल बहुत अच्छी बात है! 📚

लेकिन, अगर हम न्याय की सुगमता में सुधार करने के लिए काम करना चाहते हैं तो हमें इसे एक दीर्घकालिक प्रक्रिया में बनाने की जरूरत है। यह न केवल अदालतों और सरकार के लिए बल्कि हमारे समाज के सभी वर्गों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
 
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