'किसी दलित, अनुसूचित या अल्पसंख्यक को विपक्ष का नेता क्यों नहीं बनाया...,' राजनाथ सिंह ने राहुल

राहुल गांधी पर आरोप लगाने की प्रक्रिया
क्यों नहीं बनाया विपक्ष का नेता?
राजनाथ सिंह ने कहा, 'अगर राहुल गांधी वास्तव में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के हितों को लेकर चिंतित हैं, तो उन्हें लोकसभा में विपक्ष के नेता इन्हीं वर्गों से किसी को बनाना चाहिए था.'

विपक्षी नेता बनने का मौका पर
राजनाथ सिंह ने कहा, 'अगर राहुल गांधी वास्तव में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के हितों को लेकर चिंतित हैं, तो उन्हें लोकसभा में विपक्ष के नेता इन्हीं वर्गों से किसी को बनाना चाहिए था।'
 
🤔 राहुल गांधी पर आरोप लगाने की प्रक्रिया तो है यार, लेकिन विपक्षी नेता बनने का मौका देने की बात... यह तो थोड़ी अजीब है 🤷‍♂️। अगर वास्तव में उन्हें अनुसूचित वर्गों के हितों को लेकर चिंतित हैं, तो फिर इन्हीं वर्गों से किसी को बनाना चाहिए था... यह तो एक अच्छा अवसर था 🤞। लेकिन लगता है कि राजनाथ जी ने बात को थोड़ा गलत ढंग से सुना है।
 
राजनाथ सिंह जी की बात सुनकर बहुत ही समझदार लग रहा है 🤔। मुझे लगता है कि विपक्षी नेता बनने का मौका पर राहुल गांधी ने अच्छा मौका खो दिया है। अगर उन्होंने अपने आरोप लगाने के लिए सही तरीके से तैयारी नहीं की, तो यह तो बड़ा चिक्का था। लेकिन अब उनकी स्थिति बहुत खराब हो गई है 🤕। मुझे लगता है कि राजनाथ सिंह जी ने सही कहा है, राहुल गांधी को वास्तव में उन समुदायों के हितों को लेकर चिंतित होना चाहिए और उन्हीं वर्गों से किसी को विपक्ष का नेता बनाना चाहिए।
 
राहुल गांधी पर आरोप लगाने की प्रक्रिया तो है लेकिन विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं दिया गया। यह सोचकर जरूर हैरान हो जाता हूँ कि राजनाथ सिंह क्यों ऐसा कह रहे हैं। अगर वास्तव में राहुल गांधी अनुसूचित जाति या जनजाति के हितों को लेकर चिंतित हैं तो फिर क्यों नहीं उन्हें अपनी पार्टी से लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया। यह बहुत ही अजीब लग रहा है।
 
मुझे लगता है 🤔 कि राजनाथ सिंह जी की बात में कुछ सच्चाई है। अगर विपक्षी नेताओं को लोकसभा में विपक्षी दलों का नेता बनने का मौका दिया जाए, तो फायदा होगा। वैसे भी संसद में बहुत सारे प्रतिभाशाली और अनुभवी व्यक्ति हैं जिन्हें चुनावी जीत का मौका मिल सकता है।

मुझे लगता है कि राहुल गांधी जी को अपने नेतृत्व कौशल पर अच्छी तरह से प्रशिक्षण देने की जरूरत है। वे अपनी नेतृत्व यूनिट को बनाने में सक्षम हो सकते हैं और विपक्ष का नेता बनने के लिए तैयार हो सकते हैं।
 
राहुल गांधी जैसे लोगों पर आरोप लगाने की प्रक्रिया बहुत ही रोचक देख रही हूँ... क्या वास्तव में उन्हें पता है कि विपक्ष के नेता बनने का मौका हमेशा आसान नहीं आता? 🤔

मेरी राय में, अगर वे अनुसूचित जाति या जनजाति के लिए चिंतित हैं तो उन्हें अपने समुदाय से एक अच्छा नेता बनाकर अपने समर्थन पर खड़ा करना चाहिए। नहीं तो विपक्षी दलों के बीच पोल लगाने में कहीं भी उनकी मदद नहीं होगी। 🙄

याद रखना महत्वपूर्ण है कि एक अच्छा नेता अपने लोगों को वास्तव में सुनने और समझने में सक्षम होना चाहिए। अगर वे सही दिशा में नहीं जा रहे हैं तो उन्हें अपने दूरदर्शिता पर ध्यान देने की जरूरत है। 🌟
 
राहुल गांधी पर आरोप लगाने की प्रक्रिया में बहुत ज्यादा खलल आ रहा है... मैं समझता हूँ कि विपक्ष को अपने नेता बनाने का मौका मिलना चाहिए, लेकिन यह बात भी कहीं तक सही नहीं है। अगर विपक्ष का नेता सचमुच समाज के कमजोर लोगों के लिए लड़ना चाहता है, तो उसे जरूरी है कि वह अपनी राजनीतिक पार्टी में से ऐसे नेताओं को उभारता जो वास्तव में समाज के जरूरतमंदों के दिल पर बोल सकते हैं। लेकिन अगर राहुल गांधी को खुद उस्ताद बनाना चाहते हैं, तो उन्हें अपने आप में सुधार करना होगा। 🤔
 
ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ 'ਤੇ ਫੋਕਸ ਕਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ, ਮੈਨੂੰ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਅਗਵਾਈ 'ਤੇ ਫੋਕਸ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਤਾਂ ਫਿਰ ਵੀ ਅਗਵਾਈ 'ਤੇ ਫੋਕਸ ਕਰਨਾ ਖ਼ਾਲੀ ਹੈ।

ਮੈਨੂੰ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਵਿਰੋਧ ਪ੍ਰਤੀਯੁਤੀ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਇਸ ਮਜ਼ਹਬ 'ਚ ਨਹੀਂ ਹੈ। ਵਿਰੋਧ ਪ੍ਰਤੀਯੁਤੀ ਦੀਆਂ ਲੱਖਾਂ ਕਹਾਣੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਸ 'ਚ ਵਿਰੋਧ ਪ੍ਰਤੀਯੁਤੀ ਦੇ ਲੈਨਸ ਨਾਲ ਕੁਝ ਹਮਦਰਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ।
 
राहुल गांधी को एक सवाल है - वे अपने परिवार और दोस्तों की जगह भारतीय लोगों की आवाज़ सुनने के लिए तैयार हैं? 🤔 उनका यह तरीका कुछ लोगों को मोहित कर सकता है, लेकिन राजनीति का सही तरीका क्या है? हमें विपक्ष के नेता बनने के बजाय अपने देश और लोगों के इर्द-गिर्द घूमने का मौका देना चाहिए।
 
🤔 राहुल गांधी पर आरोप लगाने की प्रक्रिया तो हुआ है, लेकिन विपक्षी नेता बनने का मौका क्यों नहीं दिया गया? अगर वास्तव में उनकी चिंता अनुसूचित जाति या जनजाति की है तो उन्हें अपनी बुद्धिमत्ता से एक्सप्लेन कर लें कि इन वर्गों के लिए क्या वादा करते हैं। नेता बनने का मौका देने से पहले कोई ठोस योजना तैयार करनी चाहिए, नहीं तो यह सिर्फ थॉर्न्स की तरह लग रहेगी।
 
राहुल गांधी पर आरोप लगाने की प्रक्रिया तो होनी चाहिए, लेकिन यह तो एक मौका भी नहीं देना चाहिए विपक्षी नेताओं को, उनकी राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने के लिए। अगर उन्हें यह मौका मिल जाता, तो वे अपने आरोपों से खेलना शुरू कर दें, और राहुल गांधी को भारी नुकसान पहुंचाएगा। इसके बजाय, उन्हें आरोप लगाने से पहले खुद को मजबूत बनाना चाहिए।
 
🤔 👀 राहुल गांधी पर आरोप लगाने की प्रक्रिया... 🚫 यार तो विपक्षी नेता बनने का मौका है तो उनका खुद का राजनीतिक संस्कार बनाए रखें, 🤦‍♂️ न कि अन्य लोगों पर आरोप लगाने का। 😂
 
राजनाथ सिंह द्वारा लगाए गए आरोप को देखने पर मेरी राय है कि अगर विपक्षी नेता बनने का मौका है, तो उसे अपने पार्टी के नियमों के अनुसार सिर्फ चुनाव लड़ने के लिए मतपत्रों तक पहुंचने के लिए कोई विशेष योग्यता न होने देना चाहिए। 🤔

राहुल गांधी पर आरोप लगाने से पहले, उनकी पार्टी को अपने प्रत्येक उम्मीदवार की जांच करनी चाहिए और यह तय करना चाहिए कि वे योग्य हैं या नहीं। अगर वे अनुशंसित वर्गों के हितों को लेकर चिंतित हैं, तो उन्हें उस स्थिति में विपक्षी नेता बनने का मौका देना चाहिए। 🙏
 
राजनाथ सिंह की बात सुनकर मैंने सोचा यार, अगर राहुल गांधी वास्तव में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के हितों को लेकर चिंतित हैं, तो उन्हें विपक्ष का नेता बनने का मौका देना चाहिए था। लेकिन लगता है वे खुद सोच रहे हैं और खुद को मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं। 😐

आजकल राजनीति में ऐसा माहौल हो गया है जहां हर कोई अपने खुद के हितों को आगे बढ़ाने की कोशिश करता है। और लगता है यही प्रक्रिया जारी रहेगी। तो क्या हमें उम्मीद करनी चाहिए? नहीं, मैं नहीं कह सकता। लेकिन फिर भी, राजनाथ सिंह की बात सुनकर मुझे लगता है कि विपक्षी नेताओं को अपने वर्गों के लोगों को चुनना चाहिए, ताकि उनके हितों की बात कही जा सके। 🤔

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ये तो राहुल गांधी को फिर से आरोप लगाने की कुर्वाई है 🤦‍♂️। तो दूसरे नेताओं को भी विपक्ष का नेता बनने का मौका नहीं मिलता। यह कोई नया सवाल नहीं है, राजनाथ सिंह जी ने ही 10 साल पहले यही बात कही थी। तो क्यों फिर से? और राहुल गांधी वास्तव में अनुसूचित जाति या जनजाति के हितों को लेकर चिंतित है या नहीं, यह तो देखना ही होगा। लेकिन क्या यह जरूरी है कि वह अपने साथियों को चुनें? कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने मकसद को पूरा करने के लिए अन्य नेताओं पर भरोसा कर सकते हैं।
 
मेरा विचार है 🤔, अगर राहुल गांधी वास्तव में लोकतंत्र और अपने देश के गरीबों के हितों को लेकर चिंतित हैं, तो उन्हें अपने नेतृत्व का प्रदर्शन करके निर्णय लेना चाहिए। 🤝

मुझे लगता है कि अगर वह विपक्षी नेता बनने का मौका नहीं बनाने के पीछे कोई साजिश है, तो यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है। 🚨

एक छोटी सी समस्या को एक बड़ी समस्या बनाते समय, हमारे देश की राजनीति में और भी जटिलताएं आ जाती हैं। 😬

अगर हम अपने देश के नेताओं को वास्तविक सामाजिक समस्याओं को हल करने का मौका देना, तो शायद हमारा देश और भी समृद्ध हो जाएगा। 💪
 
नहीं, यह तर्क साफ साफ गलत है। राजनाथ जी का दावा कि राहुल गांधी ने विपक्षी नेता बनने का मौका छोड़ दिया, तो बिल्कुल सही नहीं है। यह कहने में आसान है लेकिन वास्तविकता जानना मुश्किल होता है। हमेशा से राहुल गांधी के पीछे एक बड़ा खेल था।
 
अरे, राजनाथ सिंह जी के यह बात है तो बिल्कुल सही 🤔। अगर विपक्षी नेताओं में से कोई अनुसूचित वर्ग से आने वाला होता, तो उनकी चुनौतियों को समझने और उन्हीं के लिए बोलने का मौका मिलता। लेकिन राहुल गांधी, जैसे ही पार्टी के नेता बने, तो उन्हें विपक्षी दल का नेता नहीं बनने दिया गया। इसका मतलब यह भी है कि उनके हितों और समाज में उनकी चिंताओं को लेकर बोलने का मौका नहीं मिल पाया 🤷‍♂️
 
ਇਹ ਸੋਚ ਵੀ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਕਿ ਰाजनाथ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਅੰਦੋਲਨ ਦੌਰਾਨ ਵੀ ਵਿਰੋਧੀ ਨੇਤਾ ਬਣਨ ਦਾ ਸਮਾਂ ਉਹਨਾਂ ਕੋਲ ਵੀ ਨਹੀਂ ਮਿਲਿਆ?
 
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