किसानों को ज्यादा बिजली दी तो सबकी सैलरी कटेगी: बेमौसम बारिश से बर्बादी झेल रहे किसानों पर नया संकट; सीएम की राहत काम आएगी क्या? - Bhopal News

मध्य प्रदेश में बेमौसम बारिश से किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। अब उन्हें और भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिजली विभाग ने आदेश जारी किया है कि यदि किसान कृषि फीडर पर 10 घंटे से अधिक बिजली देते हैं तो ऑपरेटर की एक दिन की सैलरी कटेगी।

इस आदेश में लिखा है कि यदि कहीं मिट्टी की नमी, खराब मौसम या तकनीकी कारणों से लोड बढ़ता है तो भी आपूर्ति 10 घंटे से अधिक नहीं की जानी चाहिए। कृषि फीडर मीटरों के समय रीडिंग के आधार पर प्रतिदिन 15 मिनट तक की त्रुटि सीमा निर्धारित की गई है। इससे अधिक बिजली देने पर इसे नियम उल्लंघन माना जाएगा।

संबंधित ऑपरेटर, जूनियर इंजीनियर और एक्जीक्यूटिव इंजीनियर को अगर 2 दिन लगातार 10 घंटे से अधिक बिजली दी जाती है तो उनकी एक दिन की वेतन कटेगी। अगर लगातार 5 दिन तक ऐसा होता है तो एक्जीक्यूटिव इंजीनियर की एक दिन की सैलरी कटेगी।

इस आदेश ने कहा है कि यदि 7 दिन तक प्रतिदिन 10 घंटे से अधिक बिजली दी जाती है, तो उपमहाप्रबंधक या महाप्रबंधक का एक दिन का वेतन कटेगा।

इसे देखते हुए कांग्रेस ने कहा है कि यह आदेश किसानों को परेशान करने का प्रयास है।
 
बिल्कुल समझ में आती बात, लोगों को इसने बहुत परेशान कर दिया है। किसानों की खेती में जितना मुश्किल है, उतनी तेजी से बदलाव आ रहा है। क्या हम नहीं सोच सकते कि बिजली की आपूर्ति और प्रोडक्शन मीटर को बेहतर बनाने पर ध्यान दें?
 
बोलते बोलते मैंने सोचा कि फसलें गिर जाती हैं तो फिर भी किसानों को उनकी वेतन कटेगी ? यह तो और भी परेशान कर देगा।

मुझे लगता है कि बिजली कंपनियां अपनी-अपनी जरूरतों के अनुसार ऑपरेटरों की वेतन को कम करने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन इससे मेरी सोच आ गई कि अगर हमारे पास अच्छा और विश्वसनीय बिजली सिस्टम होता, तो ये समस्या नहीं होती।

अब मैं अपने खेतों की फसलें देखना चाहता हूं, लेकिन यही नहीं, मैं अपने परिवार के लिए भोजन बनाने की सोच रहा हूं।
 
जैसे हम लोग डिजिटल विकसित देश में रहते हैं तो बिल्कुल भी समझ नहीं आता कि कैसे मध्य प्रदेश के किसानों को ऐसा पेश किया जाए। अगर बिजली खोने पर हम फसलें नष्ट कर देते हैं तो क्या 10 घंटे से अधिक बिजली देने वाले किसानों को भी फिर से खोने की वजह से अपनी फसलों को बचाना होगा। इससे उनकी जिंदगी और भी कठिन हो गई है। मुझे लगता है कि सरकार को ऐसे नियम बनाने की जरूरत नहीं है, बल्कि बिजली की आपूर्ति और खाद्य उत्पादन को सुरक्षित बनाने पर ध्यान देना चाहिए।

तो, अगर किसानों को बिजली मिलेगी तो फसलें भी हो सकती हैं या नहीं। यह नियम बिल्कुल भी सही नहीं है।
 
बात तो ऐसी ही हो गई है किसानों को परेशान कर देने वाला। 10 घंटे से अधिक बिजली देने का मेकबरोज़ निकलना चाहिए, न कि एक्जीक्यूटिव इंजीनियर की सैलरी कटवाना। पार्टी ने सही बोला, यह आदेश किसानों को परेशान करने का ही मकसद है। बिजली की आपूर्ति में त्रुटियाँ आने पर ऑपरेटर और अन्य कर्मचारियों को प्रताड़ित नहीं करना चाहिए, बल्कि उनकी मदद करनी चाहिए।
 
बीते दिनों की बात करें तो मध्य प्रदेश में तो ऐसे सूखा पड़ गया था जैसे पहले कभी नहीं देखा। अब तो बारिश हो रही है लेकिन ये रिलीफ नहीं आ रही, बस बर्बादी की किसानों को मालूम हुआ है। और अब ऐसा आदेश चल रहा है जैसे ऑपरेटर की जिंदगी तो बिजली देने से भी जुड़ी हुई है।

कुछ मिनट पहले आपने पढ़ा था कि अगर किसान 10 घंटे से अधिक बिजली देते हैं तो उनके ऑपरेटर की एक दिन की वेतन कटेगी। और लगातार 5 दिन ऐसा करेंगे तो एक्जीक्यूटिव इंजीनियर की भी कटेगी। इसका मतलब ये कि अगर किसान बिजली की मांग बढ़ाते हैं तो उनके ऑपरेटरों और शीर्ष अधिकारियों पर वजन होगा।

कांग्रेस ने कहा है कि यह आदेश किसानों को परेशान करने का प्रयास है। लेकिन मुझे लगता है कि इसकी और जानकारी चाहिए। अगर कोई ऐसा तरीका नहीं है तो शायद किसानों को अपने खेतों में काम करने के लिए सुविधा देनी चाहिए।

**कृषि फीडर मीटर्स:**

10 घंटे से अधिक बिजली देने पर ऑपरेटर की एक दिन वेतन कटेगी।

5 दिन लगातार ऐसा करने पर एक्जीक्यूटिव इंजीनियर की भी कटेगी।

7 दिन तक प्रतिदिन 10 घंटे से अधिक बिजली देने पर उपमहाप्रबंधक या महाप्रबंधक की एक दिन वेतन कटेगी।
 
अरे, ये बिल्कुल सही नहीं है, जैसे 10 घंटे से अधिक बिजली देने के लिए कोई बाध्य न हो, यह किसानों को और भी परेशान कर देगा। उनकी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं तो अब उन्हें और भी मुश्किल से फसल लगाना पड़ रहा है, और फिर बिजली भी देनी पड़ रही है। ये आदेश तो किसानों पर ऐसी परेशानी डालने वाला है, जैसे दीवार में छेद कर दिया गया।
 
बिल्कुल यह आदेश नहीं चाहिए था, किसान तो पहले से भी बहुत परेशान हैं 🤕 कृषि फीडर पर इतनी अधिक बिजली देना जरूरी नहीं है, इससे ऑपरेटर की जिंदगी कैसे प्रभावित होगी? तो क्यों इसे लागू करना पड़ रहा है? 🤔
 
साल 2025 में किसी भी तरह से तेजी से बढ़ रहे हैं बीमौसम के दिन, लेकिन फसलों की बर्बादी को देखते हुए मुझे लगता है कि यह आदेश थोड़ा बुरा है। अगर हमें और परेशानियाँ होने लगें, तो इससे फिर भी हमारे पास बहुत सारी कामें करनी हैं जैसे बिजली देना, कृषि फीडर मीटर्स बदलने और सब कुछ ठीक करना। 😐

किसानों का ख्याल रखना सबसे जरूरी है, लेकिन अगर हम उन्हें भारी बिजली नहीं देते, तो बिल्कुल सही नहीं। इसमें एक संतुलन ढूंढना होगा, जैसे कि बीमौसम में बिजली देने के लिए 5 घंटे से अधिक समय न दिया जाए, लेकिन किसानों को भी खुश रखा जाए। 🤔
 
बात तो ये है किसानों की जिंदगी में क्या बदलाव आ रहा है? पहले वे खेत में ही नहीं फसल तोड़ते थे, लेकिन अब बिजली भी देनी पड़ती है। 10 घंटे से अधिक बिजली देना नियम उल्लंघन है, लेकिन क्या यह सच है कि उन्हें इतनी बिजली मिल रही है? कभी-कभार मौसम बदलता रहता है, तो क्या हम उम्मीद नहीं कर सकते कि सब कुछ सही से चल जाए? 🤔
 
बिजली कंपनियों से कहीं भी इतना डरपोक काम नहीं होता। क्या किसान को पता है बिजली मीटर कैसे काम करता है? 🤔
 
मैंने कभी नहीं सोचा था कि कैसे बिजली विभाग को भी अपना मकसद बदलना पड़ेगा। लेकिन यह आदेश तो बहुत ही दिल को पोंछता है। 10 घंटे से अधिक बिजली देने पर ऑपरेटर की सैलरी कटेगी, इससे रोज़गार को खतरा है और खेतों में काम करने वाले लोग भी डरने लगेंगे। इसका मतलब यह है कि किसानों ने अपने परिवारों की ज़रूरतों को देखा हुआ तो नहीं। 15 मिनट तक की त्रुटि सीमा तो थोड़ी कम है।
 
मैं तो सोचता हूँ कि सरकार की नई योजनाएँ हमेशा अच्छी होती हैं, लेकिन मुझे लगता है कि इस बार यह कुछ भी सही नहीं होगी। किसानों को पहले से ज्यादा बिजली देने के लिए मजबूर करना उनके लिए बहुत परेशानियाँ पैदा करेगा। और इसके अलावा, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर की एक दिन की वेतन कटेगी, यह तो सरकार के लिए बहुत भारी होगा।

मुझे लगता है कि सरकार चाहे तो किसानों की मदद कर सकती थी, लेकिन ऐसी आदेश बनाकर उन्हें और अधिक परेशान करने में मदद नहीं करता। और जो कांग्रेस ने कहा है, वह सही है। किसानों को परेशान करने का प्रयास यहाँ सरकार द्वारा किया गया है।

कोई तो सोच सकता है कि इससे बिजली की आपूर्ति में सुधार होगा, लेकिन मुझे लगता है कि इससे किसानों को और अधिक परेशानियाँ होंगी।
 
मैं समझ गया की यार भाई, लोग तो बिलकुल भड़क गए हैं इस आदेश से। क्या कोई चीज़ ऐसी है जो हमें 10 घंटे से अधिक बिजली देने पर एक दिन की सैलरी कटा करें? यह अच्छा नियम नहीं लगेगा, मुझे खेद है।

किसानों को तो अपनी फसलों की चिंता करनी पड़ती है, और फिर यह आदेश उन्हें और भी परेशान कर देता। मैं समझ गया की इसे विचार करके बहुत सोचा जाना चाहिए, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार तो उनकी समस्याओं को नहीं समझ रही।
 
मैं सोचता हूँ कि बिजली विभाग का यह आदेश बिल्कुल सही है, लेकिन फिर मैं खुद से कह रहा हूँ कि नहीं, यह तो बहुत ज्यादा परेशान कर देगा, किसानों को और भी परेशान करना चाहिए? लेकिन, फिर मुझे लगता है कि ऐसा करने से बिजली की समस्या हल नहीं होगी, बस इतना ही कहूँगा कि आदेश तो ठीक है, लेकिन यह परिचालन बहुत ज्यादा जल्दी किया गया है।
 
मैंने भी ऐसी स्थितियाँ देखी हैं जहाँ सरकारी योजनाएँ और नीतियाँ हमारे देश के किसानों के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा करती हैं। 🤔

क्या हम कभी नहीं सोचते थे कि बिजली की कीमतें इतनी अधिक हो जाएं कि कोई भी व्यक्ति अपने घर पर 10 घंटे तक बिजली देने की जरूरत महसूस करे। इसका मतलब तो यह है कि हमारे देश में किसानों को उनकी फसलों को बचाने के लिए इतनी सावधानी बरतनी पड़ रही है। 😞

लेकिन यह आदेश किसानों के लिए क्या फायदा करेगा? कोई जवाब नहीं है, चाहे वह वेतन कटौती का नाम लिया जाए या किसी और तरीके। हमें सोचते समय यह सवाल करना चाहिए कि हमारी सरकार क्या कर रही है? क्या यह आदेश बिल्कुल सही था? क्या इसे विचार-विमर्श के माध्यम से बनाया गया था। 🤔
 
मैंने अपनी खेत में फसल लगाने वाले दोस्त से बात की थी, वह तो बहुत चिंतित है। उन्होंने बताया कि उनकी फसलें और भी खराब हो गईं, अब वह डर गए हैं कि अगली फसल भी बर्बाद हो जाएगी।

मुझे लगता है कि सरकार ने ऐसा आदेश लागू करना चाह रही थी, ताकि वह विद्युत खपत को नियंत्रित कर सके। लेकिन देखिए, यह आदेश किसानों पर बहुत भार डाल रहा है। अगर उन्हें पूरी बिजली नहीं मिलती, तो उनकी फसलें बर्बाद हो जाती हैं और वे क्या करें।

मुझे लगता है कि सरकार को इस आदेश पर सोचना चाहिए, क्योंकि यह किसानों की जिंदगी में बहुत अधिक परेशानी ला रहा है। हमें उम्मीद है कि वे अपनी फसलें बचा सकें।
 
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