कोयंबटूर गैंगरेप मामला: 'कितनी और निर्भया चाहिए?', NHRC सदस्य प्रियंक कानूनगो का तमिलनाडु सरकार

तमिलनाडु सरकार को बुरी तरह से निराशा कर देने वाली घटनाएं कभी नहीं कमती, यह कहकर पूरे देश को झकझोरने वाली कोयंबटूर में हुई कथित सामूहिक दुष्कर्म ने बिल्कुल भी मुश्किल में नहीं डाला। इस घटना ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य प्रियंक कानूनगो को पूरे देश को हृदय विदारक स्थिति में डालने की जरूरत महसूस कराई। उन्होंने कहा कि यह घटना तमिलनाडु सरकार की "पूर्ण विफलता" को दर्शाती है, जो बेटियों की सुरक्षा की गंभीरता को समझ नहीं पायी है।

कानूनगो ने कहा, 'कोयंबटूर में हुई घटना दिल दहला देने वाली है, एक 20 वर्षीय छात्रा अपने मित्र के साथ थी. उसके साथ गैंगरेप हुआ, यह घटना हमें उस निर्भया की याद दिलाती है जिसके लिए पूरा देश एकजुट हुआ था।' उन्होंने आगे कहा, 'सरकारों को कब समझ आएगा कि बेटियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है? आखिर और कितनी निर्भया चाहिए होंगी ताकि वे जागें? यह निश्चित रूप से सरकार की विफलता है।'

कानूनगो ने तमिलनाडु सरकार पर सवाल उठाए, 'क्या सरकार बिल्कुल भी पीड़िता की सुरक्षा के लिए तैयार थी? क्या उन्होंने घटनास्थल पर तुरंत कार्रवाई करने में असफलता दिखाई?'

पीड़िता को बचाने वाली पुलिस ने बताया, 'हमले की घटना रात करीब 11 बजे हुई, पीड़िता को सोमवार सुबह बचाया गया। आरोपियों की तलाश के लिए सात टीमों का गठन किया गया है।'

इस घटना ने तमिलनाडु सरकार को एक बार फिर से झेलने का मौका दिया, जिसने पूरे देश को हृदय विदारक स्थिति में डाल दिया।
 
कानूनगो की बातें सुनकर यह लगता है कि वे बहुत उदास हैं 🤕 तमिलनाडु सरकार पर इतनी आलोचना करने की जरूरत नहीं है। जैसे ही जांच होती जाएगी तो पूरी सच्चाई सामने आएगी। सरकार ने घटनास्थल पर तुरंत कार्रवाई करने में असफलता दिखाई हुई, लेकिन यह भी एक चुनौती है। अगर सरकार तेजी से काम करेगी तो सभी को फायदा होगा। 🤔
 
🤐 बीती घटना तो बहुत ही दुखद है, लेकिन यह सरकार की नाकतूत पर ही सवाल उठाने का मौका देती है। 🚨 पीड़िता को बचाने वाली पुलिस की जासूसी तो सही है, लेकिन तमिलनाडु सरकार की पूरी तरह से रेड कर देने की जरूरत है। 😔
 
क्या तुम्हें लगता है कि पुलिस को कैसे पता चलता है कि लड़की सोमवार सुबह जीवित है? क्या उन्हें खुफ़िया फिल्टर्स में निवेश करना चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं न हों? 🤣
 
तो यह तो बहुत ही दुखद घटना है 🤕। लगता है कि सरकार को अभी भी बेटियों की सुरक्षा के बारे में जागरूकता नहीं हुई है। यह घटना कितनी ही गंभीर है, लेकिन सरकार की जवाबदेही कहाँ? पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन वह असफल रही। और अब पीड़िता को बचाने वाले पुलिसवालों पर आरोप हो रहे हैं... यह बहुत ही दुखद है मुझे लगता है कि हमें फिर से उन लोगों की बात करनी चाहिए जिन्होंने इस घटना के बारे में सुना था। क्या वे अभी भी अपनी बोलियों को बदलने की कोशिश कर रहे हैं?

मुझे लगता है कि हमें सरकार पर दबाव डालने की जरूरत है। हमें उन लोगों से बात करनी चाहिए जिन्हें इस घटना की सजा मिल सकती है। यह देश को आगे बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है।

कोई जवाब नहीं दिया? तो मैं अपने विचारों को और ज्यादा गहराई से ले आऊंगा।
 
क्या यही निष्कर्ष निकलेगा कि सरकार हमेशा सही तरीके से काम नहीं कर पाती, और एक बार फिर भी जानबूझकर कुछ गलत हुआ तो सब कुछ ठीक होता है? मैंने पहले भी कई जगहों पर इसी तरह की घटनाओं की बात की है, लेकिन लगता है कि कुछ नहीं बदलेगा।
 
कानूनगो की बात सुनकर लगता है कि सरकारों को और भी जागरूक करने की जरूरत है। ऐसी घटनाएं होने पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन यह भी सच है कि पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां बहुत पहले से ही ऐसी घटनाओं में शामिल हो सकती हैं। 🤔

क्या हमारे देश में बच्चों की सुरक्षा के लिए हम अपने अधिकारियों और स्कूलों को पर्याप्त संसाधन प्रदान कर रहे हैं? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब ढूंढने की जरूरत है। 🚨
 
क्या थोड़ी भी बातचीत न करें, सरकार की विफलता को लेकर तो हमें बस चिंता करनी है और बदलाव देखना है। ये घटनाएं हमेशा ही होती रहती हैं और हमें उनसे लड़ना होगा। सरकार को निर्णय लेना होगा और सुधार करना होगा, तभी हमें राहत मिलेगी। 🤕
 
🤔 यह घटना तो भारतीय समाज की सबसे बड़ी असफलता का प्रतीक बन गई है। सरकारें हमेशा बताती रहती हैं कि वे बेटियों की सुरक्षा पर ध्यान देती हैं, लेकिन जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो उनके दिल में कुछ भी नहीं होता। 🙅‍♂️

मुझे लगता है कि सरकारें हमेशा खुद को बचाने की कोशिश करती हैं, लेकिन वास्तविकता से दूर रहती हैं। उन्हें पता नहीं होता कि उनके पैसों और राजनीतिक शक्तियों से निर्भया लड़की को क्या मिल सकता है? 🤑

और यही बात तब और भी सच होगी, जब तक हमारे समाज में बदलाव नहीं आता। हमें अपने देश की युवा पीढ़ी की आवाज़ सुननी चाहिए और उन्हें जिम्मेदार बनाना चाहिए। 🌟
 
क्या यही सच्चाई है? तभी तो हमारा देश कहाँ गया है? एक छात्रा की जान जो गई, इसे सुनकर मुझे बहुत दर्द होता है। सरकार पर इतना आरोप लगाया जा रहा है, लेकिन अभी तक पीड़िता की सुरक्षा के लिए क्या किया गया? यह देश हमारी बेटियों को सुरक्षित रखने के लिए तैयार नहीं है।

मैं समझता हूँ कि तमिलनाडु सरकार पर बहुत आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि हमें अपनी बेटियों को सुरक्षित रखने के लिए एक साथ खड़े होना चाहिए, न कि अलग-अलग दिशाओं में।

कानूनगो जी की बात सुनकर मुझे बहुत दर्द होता है, उन्होंने कहा कि सरकार बिल्कुल भी पीड़िता की सुरक्षा के लिए तैयार नहीं थी। यह सच्चाई है। हमें अपनी बेटियों को सुरक्षित रखने के लिए एकजुट होना चाहिए, न कि अलग-अलग विचारों में।
 
क्या यही तब तक जारी रहेगा? तमिलनाडु सरकार पर ऐसी घटनाओं को लेकर सवाल उठाने की जरूरत नहीं है, बस उन्हें ठीक से काम करने में सक्षम कर देना चाहिए। अगर सरकार वास्तव में बेटियों की सुरक्षा को गंभीरता से लेती है तो शायद इन तरह की घटनाएं कभी नहीं होतीं।

मुझे लगता है कि प्रियंक कानूनगो जैसे व्यक्ति हमेशा बोलते रहते हैं लेकिन क्या उनके फैसलों में कोई बदलाव आ रहा है? सरकारें कभी भी बदलने की जरूरत नहीं होती है, बस उन्हें अपने प्रयासों को और मजबूत बनाने की जरूरत है।

मैं समझता हूँ कि यह घटना दिल दहला देने वाली है लेकिन अगर हम सच्चाई को स्वीकार करते हैं तो शायद इस तरह की घटनाएं कम नहीं होंगी। हमें अपने समाज में बदलाव लाने की जरूरत है, न कि सरकार को बदलने की।

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क्या सरकार को कभी भी यह समझने का मौका नहीं मिला कि जैसे-जैसे दिन बीतते हैं, देश की लय धीमी होती जाती है... 🤦‍♀️ तमिलनाडु सरकार पर निशाना लगाने से अच्छे कुछ नहीं होगा, बस इतना ही कहना चाहिए कि ऐसी घटनाएं कभी भी सही नहीं होती और हमें जिम्मेदार लोगों को तुरंत मुकदमा चलवाना चाहिए... 🚔
 
बात तो यह है कि तमिलनाडु सरकार पर फिर से आरोप लग रहे हैं लेकिन ये सवाल हमेशा सवाल बनते रहते हैं... क्या सरकार बिल्कुल भी पीड़िता की सुरक्षा के लिए तैयार थी? 🤔 कोयंबटूर में हुई कथित सामूहिक दुष्कर्म ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य प्रियंक कानूनगो को पूरे देश को हृदय विदारक स्थिति में डालने की जरूरत महसूस कराई। 🚨

मुझे लगता है कि सरकारों को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए, परन्तु यह कहा जाने लगा है कि सरकार बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। 🤷‍♂️ एक 20 वर्षीय छात्रा को गैंगरेप हुआ, यह घटना हमें उस निर्भया की याद दिलाती है जिसके लिए पूरा देश एकजुट हुआ था। 😔

सरकारों को कब समझ आएगा कि बेटियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है? आखिर और कितनी निर्भया चाहिए होंगी ताकि वे जागें? यह निश्चित रूप से सरकार की विफलता है। 🚫
 
इस तरह की घटनाएं कभी नहीं कमती, यह कहकर देश को झकझोरने वाली हुई, लेकिन कुछ नहीं बदला, किसी ने भी सीखा नहीं। 20 वर्षीय लड़की के साथ गैंगरेप की घटना तो बहुत ही दिल दहला देने वाली है, लेकिन इस तरह की घटनाएं कभी नहीं रुकतीं, हमें एक बार फिर से यही सीखना पड़ रहा है कि सरकारों को भी अपनी कमियां देखनी हैं। पुलिस ने पीड़िता को बचाने में सफलता पाई, लेकिन यह सवाल उठता है कि अगर ऐसी घटनाएं कभी नहीं होतीं, तो हमारा देश कहाँ जाता? 🤕
 
क्या तो तमिलनाडु सरकार से माफी चाहिए? यह घटना कितनी ही बुरी है, लेकिन कानूनगो जी ने कहा है कि यह सरकार की पूर्ण विफलता को दर्शाती है। मैं तो समझ नहीं पाया कि सरकार इतनी गलत तरीके से सबको गुमनाम रहने देती है, लेकिन खुद तो राजनीति करती रहती है। और अब यह घटना फिर से तमिलनाडु सरकार को झेलने का मौका दे रही है।

मैं अपने पत्नी से बात कर रहा था, और उसने कहा कि क्या हमें पूरे देश में निर्भया बचाने के लिए अपने पति को फिर से शादी करना होगा। मैंने कहा कि नहीं, बस सरकार को समझाना होगा, और सरकार तो एक बार समझ जाएगी, फिर भी ऐसी घटनाएं होना बना रहता है।

मुझे लगता है कि हमें अपने देश में लड़कियों की सुरक्षा के लिए और अधिक लड़ना होगा।
 
कोई ऐसी घटना न होगी, जहां सरकार खुद अपनी असफलता को समझ ले। यह कोयंबटूर की घटना कुछ नहीं है, बल्कि तमिलनाडु सरकार की पूरी विफलता को दर्शाती है। क्या यह घटना इतनी बड़ी थी कि हमें एक बार फिर से निर्भया की याद दिलानी padegi? 20 वर्षीय लड़की के साथ गैंगरेप, यह तो बिल्कुल भी नहीं है... यह पूरी घटना केवल सरकार की मुश्किलें बढ़ाती है।
 
क्या सरकार मुश्किल में नहीं डाल रही है, बल्कि हमेशा निर्णायक ही रहती है... किसी भी तरह की घटना पर जवाबदेही लेने की तैयारी नहीं करती... देश में बेटियों की सुरक्षा को लेकर सरकार की विफलता पूरी दुनिया देख रही है 🤦‍♀️
 
तमिलनाडु की सरकार तो पहले भी कई बार ऐसी हुई घटनाओं को लेकर हस्तक्षेप करने की कोशिश करती रही, लेकिन कभी निराशा नहीं मिटती। उनकी नीतियों से यहां की लड़कियाँ निकलने के बजाय खुद मारने की बात कह देनी ही पर्याप्त नहीं है। पूरे देश में ऐसी घटनाएं होने लगी तो कानून और नैतिकता की सीमा स्पष्ट हो जाएगी।
 
🤕 यह बहुत भयानक है क्या ऐसी बातें होती रहती हैं? सरकार दीवानी हो गई तो फिर क्या करेगी? हमें सबकुछ स्वीकारने की जरूरत नहीं है, हमें मिलकर बुराई पर रोक लगानी चाहिए। पुलिस को घटनास्थल पर तुरंत पहुंचना चाहिए और आरोपियों को जल्द से जल्द पकड़ लेना चाहिए। इस तरह की घटनाएं होने से निर्भया की मौतें बढ़ती जा रही हैं, यह बहुत दुखद है 🤕
 
🤕 यह घटना बहुत दुखद है, मैं भी बिल्कुल नहीं समझ सकता कि सरकार ने इतने बड़े मामले में क्या गलती कर रही थी। पीड़िता को जिंदा बचाया गया, लेकिन यह घटना हमें बहुत दुखी करती है। कानूनगो बिल्कुल सही कह रहे हैं कि सरकार ने इस मामले से कैसे निपटा, यह समझ नहीं पाई।
 
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