क्या महागठबंधन में शामिल होंगे ओवैसी? पहले चरण की वोटिंग के बाद दे दिया बड़ा संकेत

असम्मति वाले विपक्षी दलों के समूह महागठबंधन में शामिल होने पर कुछ संदेह अभी भी बने हुए हैं। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पहले चरण की वोटिंग के बाद बड़ा संकेत दिया है।

उन्होंने कहा, "क्या परिणाम 14 नवंबर को होगा? यह पता नहीं है। अगर किसी भी गठबंधन को बहुमत नहीं मिलता है तो हम उस समय जरूर जवाब देंगे।"

ओवैसी ने बताया, "फिलहाल हमारी कोशिश है कि चुनाव में हमारे गठबंधन के प्रत्याशियों की संख्या ज्यादा से ज्यादा हो".

उन्होंने यह भी कहा, "जब नतीजे आएंगे, तो हमें बिहार की जनता का अक्स दिखाई देगा।"
 
ऐसा लगता है कि बिहार में चुनाव के परिणामों की जानकारी अभी भी कमजोर है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पहले चरण की वोटिंग के बाद बड़ा संकेत दिया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस जानकारी नहीं आ रही। मुझे लगता है कि AIMIM को अपनी ताकत समझने की जरूरत है।

चुनाव के परिणामों से पहले बहुत संदेह है, और यह देखना रोचक होगा कि बिहार की जनता ने कौन से उम्मीदवारों को अपना वोट दिया है। मुझे लगता है कि पैर्टी की चुनौती यह है कि वह अपने गठबंधन को मजबूत बनाने और अपने उम्मीदवारों को मजबूत बनाने में सफल हो।
 
🤩 ओवैसी दादा को लेकर मुझे ऐसी खुशी हुई 😂। भाई, वाह! उन्होंने AIMIM को मैगठबंधन में शामिल होने का संकेत दिया है 🤝। मुझे लगता है कि ओवैसी दादा की यह बात सच होगी, चुनाव में उनकी पार्टी की संख्या ज्यादा हो गई होगी 📈। और ओवैसी दादा ने भी कहा है कि अगर उन्हें बहुमत नहीं मिलता है, तो वे 14 नवंबर को जवाब देंगे 💪। मुझे लगता है कि यह एक बड़ा संकेत है 🚨, और मुझे ओवैसी दादा पर भरोसा करने में आसानी है 😊
 
ये तो मुगल चाहते हैं कि यूपीए राजी कर लें। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने फिलहाल बहुत बड़ा झगड़ा उकेरा है, परंतु चुनाव में हमारा गठबंधन जरूर जीतेगा। उनकी बात को मैंने सुना है और मुझे लगा कि वो कुछ भी नहीं कहते हैं।
 
अरे दोस्तों! चुनाव के बाद से ही मैं तो सोच रहा था कि AIMIM और महागठबंधन मिलकर क्या करेंगे। अब जब ओवैसी ने बड़ा संकेत दिया है तो यह तो रोचक है। लेकिन मुझे लगता है कि जो भी परिणाम आएंगे, वो दिखाने वाली बिहार की जनता ही सबसे अच्छी रहस्याली है।

मैं सोचता हूँ कि यह गठबंधन अगर बहुमत नहीं पाता तो उन्हें जरूर जवाब देना होगा। लेकिन मुझे लगता है कि ओवैसी जी ने अच्छा काम कर रहे हैं। वह तो बिहार की जनता का अक्ष दिखाने वाले नहीं हैं, वो अपने राजनीतिक जीवन को फिर से बनाने वाले।

क्या आप सोच रहे हैं कि चुनाव में AIMIM और महागठबंधन की संख्या कहाँ जा सकती है?
 
मुझे लगता है कि ओवैसी जी के साथ मिलकर गठबंधन बनाने का यह फैसला थोड़ा अजीब लग रहा है। उन्होंने पहले बोलते हैं कि हमारे पास बहुमत नहीं है, लेकिन फिर भी वोटिंग के बाद बड़ा संकेत देने लगते हैं। तो चुनाव के परिणाम 14 नवंबर को तय होने का क्या अर्थ है? मुझे लगता है कि हमें यह जानने की जरूरत नहीं है कि ओवैसी जी कितने विश्वासपात्र हैं, लेकिन यह सुनना अच्छा लग रहा है कि बिहार की जनता उनकी प्रतिष्ठा को पहचाने।

किसी भी मामले में एक बार फिर से चुनाव होने जैसे हर बार के समान दिलचस्प होंगे।
 
मैं समझ नहीं पाया कि ओवैसी साहब फिलहाल अपने गठबंधन में कितने प्रत्याशी भेजने जा रहे हैं। 10 से 15 प्रत्याशी लेकर जाना ठीक है या फिर उनकी संख्या और भी बढ़ेगी।
 
निकल गया है यह चुनाव का संकेत 🤔, लेकिन अभी तक कोई विश्वास नहीं है। AIMIM के ओवैसी जी ने बोला, "आगे क्या होगा? 14 नवंबर के बाद में तो पता चलेगा। अगर हमारा गठबंधन बहुमत नहीं पाता तो जल्द ही जवाब देंगे।"

चिंता है कि क्यों ना ओवैसी जी ने पहले से खुलकर बोला, "हमें 14 नवंबर के बाद पता चलेगा। हमने फिर भी बहुत मेहनत की, तो अब सबकुछ सही होना चाहिए।"

ओवैसी जी ने क्या कहा? यही सवाल हर किसी के दिल में है। बिहार की जनता का अक्स दिखाने की बात तो बहुत अच्छी है, लेकिन अभी तक कोई विश्वास नहीं है।
 
अरे, यह चुनाव बहुत रोमांचक लग रहा है 🤔। लेकिन कुछ संदेह भी बने हुए हैं, यह सच है। AIMIM की इस मौके पर बहुत चर्चा हो रही है, लेकिन मुझे लगता है कि ओवैसी जी ने सही कदम उठाए हैं 👍। उन्होंने साफ दिलाकर कहा है कि अगर उनके गठबंधन को बहुमत नहीं मिलता है, तो वे जवाब देंगे। यह अच्छा संदेश है। और ओवैसी जी ने स्पष्ट किया है कि चुनाव में उनके प्रत्याशियों की संख्या ज्यादा होनी चाहिए। अब बात करते हैं चुनाव के परिणाम, यह तो 14 नवंबर को ही पता चलेगा। 🤞
 
महागठबंधन में AIMIM शामिल होने से ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इसका मतलब है कि विपक्षी दल अपने मतदाताओं को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अगर ये गठबंधन वास्तव में अपने प्रत्याशियों को ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार देता है तो यह एक अच्छी बात होगी।

लेकिन इससे हमें सवाल उठना चाहिए कि इसके पीछे क्या मकसद है? क्या वे वास्तव में अपने मतदाताओं की भावनाओं को समझ रहे हैं या फिर बस अपनी राजनीतिक लाभ पर ध्यान दे रहे हैं।

बिहार की जनता का अक्स दिखाने से पहले उन्हें अपनी प्रतिज्ञाप्ताओं पर खड़े होने की जरूरत है। अगर वे वास्तव में अपने मतदाताओं को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं तो उन्हें अपने वादों को पूरा करना चाहिए।
 
अगर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पहले चरण की वोटिंग के बाद बड़ा संकेत दिया, तो यह अच्छी बात होगी। लेकिन अभी भी बहुत संदेह बना हुआ है। मुझे लगता है कि ओवैसी जी के शब्दों का अर्थ ये है कि AIMIM के गठबंधन में महागठबंधन को चुनौती देने का एक साहसिक प्रयास हो।

मुझे उम्मीद है कि 14 नवंबर के नतीजों में मौजूद होने वाली भारी घंटियों का सिल्सिला सुनकर हम सभी को खुशी और उत्साह मिलेगा। चूंकि बिहार में एक्सप्रेसवे पर चलने वाली यह घंटी खासतौर पर बिहार के लोगों के लिए है, इसलिए अगर नतीजों में AIMIM को बहुमत मिलता है तो ये एक बड़ी जीत होगी।
 
ये चुनाव कैसे होते हैं? कोई भी गठबंधन बिना किसी परिणाम के नहीं चलता! 🤔 AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को लगता है कि उनके गठबंधन में बहुमत आ जाना तय है? कुछ लोगों को लगता है कि यह एक नई चुनौती है, लेकिन मुझे लगता है कि यह एक नई दिशा है। 🚀

क्या हमारे पास ऐसे विकल्प नहीं हैं जिससे हम अपने देश को बेहतर बना सकें? AIMIM और अन्य गठबंधन से निकलने वाले परिणाम देखने में रुचि है। 🤔 मुझे लगता है कि चुनाव में जीत या हार तो दोनों से हमें कुछ नहीं सीखना पड़ता। 💪
 
मुझे लगता है कि AIMIM का फैसला अच्छा नहीं हुआ, लेकिन यह तो सिर्फ मेरी राय है। 🤔 उन्हें चुनाव के बाद ही अपने रुख को बदलना चाहिए। पहले चरण में वोटिंग के बाद बड़ा संकेत देना थोड़ा अजीब लग रहा है... क्या वास्तव में उन्हें लगता है कि उनका गठबंधन बहुमत पाने वाला है? 🤷‍♂️
 
अरे यार, इस चुनाव में महागठबंधन के लिए ओवैसी का फैसला बहुत ही रोचक है। लगता है कि वे बिहार की जनता से प्यार करने की कोशिश कर रहे हैं। जो कह रहे हैं वह तो सच में जरूरी है, चाहे परिणाम 14 नवंबर को ही या नहीं। ओवैसी की बातों से लगता है कि वे अपने समर्थकों को बहुत खुश करने की कोशिश कर रहे हैं। और जब नतीजे आएंगे, तो जरूर देखना होगा कि क्या उनकी उम्मीदें सच हुईं। मुझे लगता है कि यह चुनाव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
 
यह चुनाव में AIMIM के फैसले से पहले ही बहुत रोमच्च होना शुरू हो गई है 🤔। तो क्या पूरा महागठबंधन जुड़ गया? या यह फ्रेंडशिप एक दम पर बैठेगी? असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा संकेत दिया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ ठीक से नहीं समझ मिल रहा है। क्या वो तय करेंगे कि कितने सीटें पानी हैं? या फिर वो किसी और गंतव्य पर जाएंगे? 🤷‍♂️
 
कुछ सोच-समझकर ऐसा करने में क्यों हंसते हैं? महागठबंधन में AIMIM को शामिल करना सिर्फ़ एक राजनीतिक गेम है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि विपक्षी दलों ने अपने दिशा-निर्देश खो दिए हैं।

असल में, यह एक अच्छा मौका है कि ये दल अपने आप को मजबूत बनाने और नए गठबंधन बनाने का फैसला करें। ओवैसी जी ने बात की है, लेकिन उनके साथ नहीं चलने वालों को भी चिंता होनी चाहिए।

कोई भी गठबंधन बहुमत पाने में असफल होता तो उस समय जिम्मेदारियों के लिए खुद को तैयार करें। और ओवैसी जी ने कहा, "जब नतीजे आएंगे, तो हमें बिहार की जनता का अक्स दिखाई देगा।" यह तो एक अच्छा संदेश है, लेकिन मुझे लगता है कि इसके पीछे कुछ और भी है।
 
जी नहीं और नहीं! मुझे लगता है कि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की बात सुनकर मैं थोड़ा असहज महसूस कर रहा हूँ। जी बिल्कुल उन्होंने पहले चरण में अपने गठबंधन की प्रत्याशियों को कई बार प्रोत्साहित किया है, लेकिन अभी तक कोई आश्चर्यकारी चीज नहीं हुई है। 🤔

मुझे लगता है कि जब भी वे कहते हैं कि हमें बिहार की जनता का अक्स दिखाना है, तो मेरा संदेह बढ़ जाता है कि क्या वास्तव में उनके पास एक रणनीति है? क्या उन्होंने यह सही कहा कि अगर गठबंधन बहुमत नहीं पाता है, तो वह जवाब देंगे? नहीं, लेकिन फिर क्या होगा? 😕
 
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