LIC Row: पूर्व एलआईसी अध्यक्ष ने खारिज किया वाशिंगटन पोस्ट का दावा, कहा-सरकार निवेश के फैसले पर दखल नहीं देती

वाशिंगटन पोस्ट ने अमेरिकी अर्थशास्त्रज्ञों और वित्तीय विशेषज्ञों से एलआईसी को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने अपने खंडन में कहा, "सरकार किसी भी तरह से हमारे निवेश निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करती। लेकिन वाशिंगटन पोस्ट द्वारा लगाए गए आरोपों में हमें कोई विश्वास नहीं है। यह आरोप हमारी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए किये जा रहे हैं।"
 
नया ये दावा बहुत बड़ा चालाकी है 🤥 एलआईसी ने तो बस अपने खंडन में कुछ ऐसा कहा है जिस पर वाशिंगटन पोस्ट ने अपना ध्यान आकर्षित करने के लिए चला गया। सरकार से लेकर अमेरिकी अर्थशास्त्रज्ञों तक सबको इसके खिलाफ लड़ना पड़ेगा। एलआईसी तो बस अपने पैसे कमाने के बारे में है ना? 🤑 यह तो उनकी जिम्मेदारी है।
 
बाकी अर्थशास्त्रज्ञ तो सुनते हैं ये लोग क्या बोल रहे हैं? सरकार से कहकर फुसफुसाते हुए दिखने लगे हैं... "सरकार सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी नहीं है, हमारे पास वित्तीय जीवन की समझ है।"
 
मैंने पढ़ा है कि अमेरिकी अर्थशास्त्रज्ञों ने एलआईसी पर आरोप लगाया है कि सरकार हमारे निवेश निर्णय में हस्तक्षेप कर रही है। लेकिन मुझे लगता है कि यह एक बहुत बड़ा झूठ है। एलआईसी को इतनी प्रतिष्ठा हुई है, वह सरकार की मदद नहीं चाहती। सरकार की मदद ने तो एलआईसी को ही बढ़ा-चढ़ा कर दिया।
 
मुझे एलआईसी की इस तरह से खंडन की बात में आश्चर्य है। यह वाकई एक बड़ा झूठ है कि वाशिंगटन पोस्ट ने कहा है कि सरकार हमारे निवेश निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करती, लेकिन दिल्ली में सड़कों पर घूमने वाले भाइयों को यह बात कैसे मानी जाएगी।
 
मुझे लगता है कि ये दावे एलआईसी के लिए बहुत मुश्किल समय का संकेतक है। अगर वास्तव में सरकार ने उनके निवेश निर्णय में हस्तक्षेप नहीं किया तो फिर इतने बड़े आरोप क्यों लगाए गए? यह एक बड़ा सवाल है और हमें पता चलने देना चाहिए कि एलआईसी के पीछे क्या सच्चाई है। मुझे लगता है कि इस पर स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही है, लेकिन एक बात तो साफ़ है कि निवेशकों को अपने पैसे रखने वाले और उनके पैसे वापस लेने वाले कंपनी की स्थिरता पर ध्यान देना चाहिए।
 
अरे, यह तो बहुत बड़ा मामला है... एलआईसी ने अपने खंडन में कहा कि सरकार हमारे निवेश के फैसलों में कोई भूमिका नहीं निभाती, लेकिन वाशिंगटन पोस्ट के आरोपों में उन्हें कोई विश्वास नहीं है... तो यह क्या होगा? सरकार और एलआईसी के बीच कौन सा समझौता हुआ होगा, जिससे ऐसा आरोप लगाया गया है?
 
मुझे लगता है कि एलआईसी ने अपनी स्थिति को अच्छी तरह समझाया है। यह सरकार से कहकर बचना भी अच्छा लग रहा होगा। लेकिन अगर वास्तविकता तो इतनी ही नहीं है, तो क्या हमें आरोप लगाने के लिए इंतजार करना चाहिए? न केवल एलआईसी की प्रतिष्ठा पर बल्कि हमारे देश की आर्थिक स्थिति भी जोर se jor badh rahi hai.
 
मैंने एलआईसी से बीमा निवेश में सरकार की भूमिका पर बहुत सोचा है 🤔। तो ये आरोप लगाए गए हैं कि सरकार हमारे निवेश निर्णयों में रुचि लेती है? नहीं होगा, यह तो लाजिमी है। बीमा निगम की स्थापना तो सरकार द्वारा की गई थी, और हमारे निवेश का फैसला लेने में सरकार का हाथ होना तो सामान्य बात है। लेकिन अगर वाशिंगटन पोस्ट के आरोप सच हैं तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है 🤕
 
मैंने बीमा निगम के इस दावे को सुनकर मन में बहुत संदेह है 🤔। वाशिंगटन पोस्ट ने यह कहना शुरू कर दिया कि सरकार एलआईसी पर अपना हस्तक्षेप नहीं करती, लेकिन फिर तो भी इन आरोपों के पीछे क्या हो सकता है? मुझे लगता है कि ये आरोप बीमा निगम की प्रतिष्ठा को कम करने के लिए हैं... लेकिन क्या हमें अपनी जानकारी को दोहराना पड़ेगा? 🤦‍♂️ मुझे लगता है कि एलआईसी ने बिल्कुल सही कहा है, सरकार को अपने वित्तीय निर्णयों में सीमित दूरी बनाए रखनी चाहिए।
 
लोगों को लगता है कि एलआईसी ने बाजार में खुलकर खंडन कर दिया और अब वाशिंगटन पोस्ट के आरोपों से उनकी प्रतिष्ठा खराब होने का डर है। लेकिन यह तो सब कुछ नहीं है, हमें अपनी गुंजाइश, मूल्य और अनुभव की बात करनी चाहिए। हमारे वित्तीय सेवाओं में बहुत सारे लोगों ने अपना भरोसा जमाया है और उन्हें लगने दें कि एलआईसी उनका सही साथी है।
 
Back
Top