Mohan Bhagwat: 'भारत में कोई भी अहिंदू नहीं, सभी एक ही पूर्वज के वंशज', आरएसएस प्रमुख का बयान

मेरी राय तो यही है कि हमारे देश की बहुत सारी समस्याओं का समाधान करने के लिए हमें अपनी एकता पर जोर देना चाहिए। मोहन भागवत जी ने बात की है कि हम सभी एक ही पूर्वज के वंशज हैं, यह सच्चाई है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हमें अपनी सांस्कृतिक बहुता को दबाना चाहिए। हमारी सांस्कृतिक विविधता ही हमारी ताकत है।

मैं समझता हूँ कि कुछ लोगों को लगता है कि हमें अपने पास की सभी संस्कृतियों को दबाना चाहिए और अपनी एक ही संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। लेकिन मैं इस तरह की बातों से सहमत नहीं हूँ। हमें अपनी सभी संस्कृतियों को स्वीकार करना चाहिए और उन्हें एक-दूसरे से मिलकर एक नया समृद्धि का रास्ता तैयार करना चाहिए।

हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हमारे देश में बहुत सारे लोग हैं जो अपनी अलग-अलग संस्कृतियों और परंपराओं को बनाए रखना चाहते हैं। हमें उनकी बातों को समझना चाहिए और उन्हें सम्मान करना चाहिए।
 
अरे दोस्तो तुमने देखा कि मोहन भागवत ने ऐसा कहा कि हमारे पास कोई अहिंदू नहीं है, सब एक ही वंशज के। मैं तो इस बात से सहमत हूँ, जैसा कि हमारे पूर्वजों ने अपने जीवन में जो सामूहिकता और एकता दिखाई थी, वह आज भी हमें एक साथ लेकर आ रही है।
 
मैंने देखा है कि लोगों को यह बात पसंद नहीं आ रही है, लेकिन मुझे लगता है कि यह सच है। हमारे यहाँ एक सामाजिक समस्या है, जहां लोग अपने पूर्वजों की पहचान पर बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं। और जब कोई कहता है कि हम सभी एक ही पूर्वज के वंशज हैं, तो मुझे लगता है कि यह सच है। हमारे इतिहास में बहुत से परिवर्तन आये हैं और हमारी संस्कृति भी बदल गई है, लेकिन हमारे पूर्वजों की पहचान अभी भी बहुत महत्वपूर्ण है।

मुझे लगता है कि यह बात फिल्म "गंगुबाई कठियावाड़ी" से reminded हुई है। वहीं मोहन भागवत की बात मुझे याद आ गई है, जहां उन्होंने कहा था कि हमें अपने पूर्वजों की पहचान पर ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए, बल्कि हमें अपने आप को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। मुझे लगता है कि यह बात बहुत महत्वपूर्ण है। 🤔
 
मेरे दोस्त, ये बहुत ही रोचक बात है कि मोहन भागवत जी ने कहा है कि हमारे पूर्वज सभी एक ही थे। मैं तो इसे सही मानता हूँ। हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता बहुत है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई भी अहिंदू नहीं है। हमारे पूर्वजों ने अपनी जीवनशैली, रीति-रिवाज और धर्म को विकसित किया, जिसने हमें आज तक एक साथ बंधा रखा। मैं इस बयान की सराहना करता हूँ, लेकिन इसके साथ ही मुझे यह भी लगता है कि हमारे पूर्वजों ने अपनी विविधता को भी महत्व दिया था, जिसने हमें एक मजबूत और समृद्ध संस्कृति दी। 😊👍
 
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