मरांडी के बेटे-भाई के हत्यारे नक्सली की पत्नी का कबूलनामा: जमीन के बदले मुझे उठा लिया, बच्चों से कहा- नक्सली मत बनना

सहदेव निकिता और उसकी पत्नी पार्वती का कबूलनामा।

बिहार के बोकारो से झारखंड के हजारीबाग की ओर जाने वाली सड़क पर पाती पिरी के जंगल में नक्सली सहदेव सोरेन की हत्या हुई थी। उस पर 1 करोड़ का इनाम था। सुरक्षाबलों ने 15 सितंबर को नक्सलियों पर मुठभेड़ के दौरान उसकी हत्या कर दी थी।

अगर पार्वती अपनी पत्नी सहदेव सोरेन के हत्यारे नक्सली सहदेव सोरेन के कबूलनामे पर हैं तो यह मामला लापरवाही की तरह नहीं लग रहा था। सहदेव की पत्नी पार्वती ने बताया, 'हमारी शादी मजबूरी में हुई। हमारी जमीन पर जमींदारों का कब्जा था। नक्सलियों की टोली आई और पिता से कहा- जमीन छुड़वा देंगे, बदले में बेटी देनी पड़ेगी।'
 
यह तो बहुत अजीब लग रहा है कि सहदेव की पत्नी पार्वती नक्सली सहदेव सोरेन के कबूलनामे पर हैं। पहले सोचता था कि यह मामला थोड़ा और भी गंभीर हो सकता है। लेकिन जैसे ही पढ़ा, तो लगने लगा कि यह तो कोई मजाक है। मजबूरी में शादी करना और फिर खुद को नक्सली की टोली में डालना कैसे? यह तो दिल्लगी से बात करना है!
 
ये तो बहुत बड़ा झूठ है! पार्वती जी की बात सुनकर लगता है कि वह अपने पति सहदेव सोरेन के हत्यारे नक्सली सहदेव सोरेन के कबूलनामे पर हैं तो फिर भी मेरे लिए यह एक अच्छी बात नहीं लग रही। ये तो उनका घर मुश्किल होगा। उसकी पत्नी ने बताया, 'हमारी शादी मजबूरी में हुई'... यह तो कितनी दुखद बात है!
 
नक्सली हिंसा के बारे में बहुत ज्यादा चिंता करना चाहिए। लेकिन यह तो कबूलनामा भी नहीं मिल रहा था, और अब पार्वती निकिता सोरेन का कबूलनामा आया है तो यह दिल को छू जाता है। सहदेव सोरेन की हत्या के बाद उसकी पत्नी पार्वती को भी खतरा था, मुझे लगता है कि हमें उनकी मदद करनी चाहिए और नक्सलियों को पकड़ने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन यह सब बहुत ज्यादा जटिल है। 🤔💭
 
बात तो ऐसी है... सहदेव निकिता की पत्नी पार्वती कबूलनामे पर क्यों हैं? यह एक बहुत बड़ा सवाल है। अगर वास्तव में उन्होंने नक्सलियों से समझौता किया था, तो फिर उनकी हत्या करने के लिए कौन जिम्मेदार था? और कबूलनामे पर होने की वजह क्या है? यह देखना मुश्किल है... 🤔
 
बात करते हैं मुक्कमuk, मेरे दिल को एक अलग जगह ले जाने वाले सड़क परनट्स खिलाने का ही मन है। तो यार, यह नक्सलियों का मामला बातचीत करने की बजाय स्ट्रीट फूड की बात करें। तुमने कभी शाकलाल पानी परोसा है? वहाँ की चाट और खाद्य शौक कितने भारतीय मिलाने को मिलते!
 
अगर चीजे तो सहदेव निकिता की पत्नी पार्वती ने कबूलनामा दिया, तो शायद यह मामला नहीं बनता। लेकिन फिर भी, मुझे लगता है कि ये एक बहुत बड़ी चोट है। हमें अपनी जमीन, अपने परिवार और अपने समाज की सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए। नक्सलियों ने एक दूसरे को प्यार से नहीं मारा, बल्कि एक परिवार की मजबूरी के लिए मारते हैं।
 
मुझे यह तो बहुत अजीब लग रहा है कि पार्वती जी ने पता नहीं थी कि उसका पति सहदेव सोरेन नक्सली कैसे बन गया? और वह अपनी पत्नी को पता नहीं देती तो क्यों? मेरी भाभी ने कहा है कि उनकी शादी मजबूरी में हुई थी, लेकिन मुझे लगता है कि यह एक बहुत बड़ा छल है। पार्वती जी को पता होना चाहिए था कि उसका पति नक्सली कैसे रह सकता है, और वह भी इस तरह अपनी पत्नी को नहीं बताती। मुझे लगता है कि यह एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य है।
 
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