Mumbai Hostage Case: पूर्व मंत्री केसरकर बोले- 'रोहित को आर्थिक मदद दी थी’; पत्नी का इनकार; खड़े हो रहे सवाल

मुंबई की पवई में हुए आतंकी हमले के बाद पूर्व स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने खुलासा किया है कि उन्होंने कभी रोहित आर्य को आर्थिक मदद दी थी। यह बात उनकी पत्नी को नहीं पसंद आई, जिसने कहा कि उनके पति ने इस मामले में स्पष्टीकरण नहीं दिया है।

सूत्रों की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व मंत्री केसरकर ने बताया कि रोहित आर्य ने विभाग से बकाया राशि का दावा किया था। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी आर्थिक दिक्कत बताने के लिए मुझसे भी मुलाकात हुई थी। इसके बाद मैंने उसकी आर्थिक मदद की, लेकिन उसने यह नहीं बताया कि उसे कितने रुपये दिए गए थे।

केसरकर ने यह भी बताया कि उन्होंने विभाग से इस पहल ‘लेट्स चेंज प्रोजेक्ट’ में शामिल होने के लिए मंजूरी मांगी थी, जिसमें 64,000 स्कूलों और करीब 59 लाख छात्रों ने भाग लिया था। इसका उद्देश्य बच्चों के माध्यम से स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाना था।

केसरकर ने कहा कि उन्हें विभाग से यह आपत्ति दर्ज हुई थी कि उसने छात्रों से सीधे वेबसाइट के माध्यम से धन एकत्र किया था, जिसके लिए उससे स्पष्टीकरण मांगा गया था। उन्होंने कहा कि विभाग ने उसे अवसर दिया था कि वह अपना पक्ष रखे, लेकिन उसने बातचीत का रास्ता नहीं चुना।

पुलिस ने सभी बच्चों और दो अन्य व्यक्ति सुरक्षित छुड़ा लिए, जबकि आरोपी रोहित आर्य पुलिस की गोली मारकर मर गया।
 
अरे दोस्त 🤝 यह तो बहुत ही गंभीर मामला है! मुझे लगता है कि मंत्री जी ने सही काम किया था, लेकिन उन्हें अपनी बात स्पष्ट करानी चाहिए थी। आर्थिक मदद देने के पीछे कोई भी गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। मैं उनकी पत्नी को समझने की कोशिश करनी चाहिए, लेकिन उसे अपना रास्ता स्वयं तय करना चाहिए।

और यह पहल ‘लेट्स चेंज प्रोजेक्ट’ तो बहुत ही अच्छा विचार था, लेकिन इसके लिए जटिलताएँ आईं और मंत्री जी को अपनी बात स्पष्ट करनी पड़ी।
 
रोहित आर्य जैसा लड़का आतंकवादी बनने का कारण कौन सा है? हमें अपने देश में ऐसे ही कई लड़के और लड़कियां खोजने पड़ती हैं जो इस तरह के हमलों में शामिल होती हैं। मुझे लगता है कि हमें इन लड़कों को उनके मूल कारण ढूंढना चाहिए ताकि हम उन्हें सही दिशा में ले सकें।
 
रोहित आर्य के दावे पर पूर्व मंत्री केसरकर ने खुलासा किया है, लेकिन यह सच है कि उन्होंने कभी रोहित आर्य को आर्थिक मदद नहीं दी? 🤔 केसरकर की पत्नी की बात सुनकर लगता है कि उनके पति ने इस मामले में स्पष्टीकरण नहीं दिया है। और यह भी सच है कि रोहित आर्य ने विभाग से बकाया राशि का दावा किया था, लेकिन केसरकर ने कहा है कि उन्हें अपनी आर्थिक दिक्कत बताने के लिए मुझसे भी मुलाकात हुई थी। 🤑
 
अरे, यह बात बहुत ही जटिल लग रही है क्या पत्रकारों ने इतनी जांच की है? अगर दीपक केसरकर ने आर्थिक मदद की थी तो फिर क्यों नहीं बताया उन्हें और उनकी पत्नी की बात पर ध्यान देना चाहिए, यह अच्छा लगता है कि उनकी पत्नी की बात सुनकर सच्चाई निकल आए।
 
केसरकर जी की बातें सुनकर लगता है कि उनके पास सच्चाई को चुप करने का तरीका नहीं है। उन्होंने रोहित आर्य को मदद दी, लेकिन उसके पत्नी ने सवाल उठाए। केसरकर जी ने तो कहा था कि वह राशि कितनी थी, लेकिन उसने खुद नहीं बताया। यह एक बड़ा सवाल है कि क्या विभाग में भ्रष्टाचार हुआ था, और केसरकर जी ने अपने दिल की बात कह दी। 🤔
 
अरे, ये तो बहुत ही गंभीर मामला है 🤕। केसरकर जी की बात सुनकर लगता है कि विभाग ने रोहित आर्य को अच्छा अवसर दिया था, लेकिन उसने फिर भी गलत कदम उठाए और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने लगा। इससे जानबूझकर बच्चों को सुरक्षित नहीं रखा गया 🤕
 
मेरा यह सुनकर खुशी हुई कि अब तो सब कुछ साफ हो जाएगा, और जो भी सच्चाई सामने आ रही है, वह हमें न्याय की ओर ले जा रही है। पूर्व मंत्री दीपक केसरकर के इस खुलासे से यह पता चलने लगा है कि उनके पास आर्थिक मदद देने के बारे में कई गुप्त मामले थे।

मैं आशा करता हूं कि अब ये मामला हल होगा, और सबकुछ ठीक हो जाएगा। इससे हमें यह सीखने का मौका मिलेगा कि सच्चाई किसी भी स्थिति में प्रकट होनी चाहिए, और हमें कभी भी अपने दिल की बात कहनी चाहिए।
 
बेटियों को अपना खयाल रखना है तो उनके दिमाग में आतंकी हमलों के बारे में सोचते रहना चाहिए नहीं तो उन्हें लगता है कि पूरा विश्व अंधकार में घिर गया है।
 
मैंने सोचा था कि रोहित आर्य ने वास्तव में आतंकवादी हमले के लिए देश को धोखा दिया होगा, लेकिन फिर मैंने सोचा कि शायद वह सीधा नहीं था। और फिर मैंने सोचा कि शायद पूर्व मंत्री ने उसे आर्थिक मदद देने में गलती की होगी, लेकिन फिर मैंने सोचा कि शायद वह सही तरीके से जानता था। और फिर मैंने सोचा कि शायद विभाग ने उसको भूलने का फैसला किया होगा, लेकिन फिर मैंने सोचा कि शायद वह सही तरीके से जानता था। यह सब कुछ मुझे बहुत परेशान कर रहा है 🤯
 
मुझे तो यह बात ही अजीब लगी कि पूर्व मंत्री ने कभी अपने पति से भी बात नहीं की थी, फिर उन्हें पता चल जाना कि उनकी पत्नी को क्या पसंद नहीं आया। और फिर इतने बड़े हमले के बाद, रोहित आर्य ने ऐसी गलती की जिससे अपनी जान गंवा दी। मुझे लगता है कि यह एक बहुत बड़ा सबक है, लेकिन मुझे लगता है कि हमें इसे समझने में थोड़ी सा समय लगेगा।
 
मुंबई आतंकी हमला बात बहुत ही गंभीर है 🚨। मैं तो देख रहा हूँ कि पूर्व स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने रोहित आर्य से आर्थिक मदद ली, लेकिन उसकी पत्नी को नहीं पसंद आयी। यह सब बातें बहुत ही अजीब लग रही हैं 🤔। पुलिस ने जो बच्चों और अन्य व्यक्तियों को सुरक्षित कर लिया है, वह तो बहुत ही अच्छा है। लेकिन रोहित आर्य की बातें बहुत ही अजीब लग रही हैं 🚫। मुझे लगता है कि सरकार ने उस पर और जांच करनी चाहिए।
 
मैंने फिर से पढ़ा है यह खबर… मुझे लगा कि सरकार और उसके नेताओं को अपनी जिम्मेदारियों का ख्याल रखना चाहिए, लेकिन लगता है कि ये सबकुछ गलत चल रहा है। पूर्व मंत्री केसरकर ने आर्थिक मदद देने के बारे में बात कही, लेकिन यह सवाल उठता है कि यह मदद वास्तव में क्यों दी गई थी और इसके परिणामस्वरूप कैसे पड़े। मुझे लगता है कि हमें अपने नेताओं से उम्मीद करनी चाहिए कि वे सच्चाई बताएं और अपनी जिम्मेदारियों को लेन।

मैंने पुलिस की रिपोर्ट पढ़ी है जिसमें आरोपी रोहित आर्य की मौत की खबर है। यह बहुत दुखद है। मुझे लगता है कि हमें अपने समाज में शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए। 🤔
 
केसरकर जी को फिक्र कीजिये! 🤦‍♂️ उन्हें पता है देश की समस्याओं से निपटने के लिए और दूसरों की मदद करने के लिए, लेकिन अपने खुद के मुद्दों में उलझने में भी समय बर्बाद कर देते हैं! 🤦‍♂️
 
बिल्कुल सही किया है पुलिस ने सभी बच्चों और दो अन्य व्यक्ति सुरक्षित छुड़ा लिए, जबकि आरोपी रोहित आर्य पुलिस की गोली मारकर मर गया। यह एक बहुत बड़ी बात है कि उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे हमले न फिरें तो
 
रोहित आर्य जैसा हालात में आने वाले दूसरों को बचाने के लिए हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए, इसके बाद यह सवाल पैदा करना सही नहीं है कि उनके पास कितना पैसा था। केसरकर जी ने अपनी गलतियों से सीख लेनी चाहिए और अगर उन्होंने अपने अनुभव में एक नया रास्ता खोज लिया तो हमारा देश बेहतर होता 🤔

और यह प्रोजेक्ट कितना अच्छा था, इसका ज्यादा महत्व नहीं है, परंतु उसी से हमें स्कूलों में स्वच्छता के महत्व को समझने का अवसर मिला। लेकिन अगर ऐसी मुश्किल में आने वाले बच्चे को सहारा नहीं दिया जाता तो यह अच्छा नहीं है 🤷‍♀️
 
मुझे लगता है कि यह मामला बहुत ही दिलचस्प है। मैं तो सोचता हूँ कि दीपक केसरकर जी ने सही काम किया, खासकर जब उन्होंने आर्थिक मदद देने का फैसला किया। लेकिन यह सवाल उठता है कि विभाग से मिलकर उन्हें इतनी गंभीर आपत्ति क्यों लगी। और केसरकर जी ने ऐसे में अपना पक्ष रखे तो कैसे? मुझे लगता है कि यह सारी चीजें एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं और अगर हम इसे गहराई से समझते हैं, तो हमें बहुत कुछ पता चल सकता है।
 
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