नाकाबंदी के बीच बठिंडा कोर्ट पहुंची कंगना रनौत, विद्रोह भड़कने के डर से भारी पुलिस तैनात

बठिंडा कोर्ट में कंगना रनौत पहुंची, विद्रोह बढ़ सकता है: पुलिस तैनात

कंगना रनौत ने आज बठिंडा कोर्ट में उपस्थित होने की घोषणा की, जहां उन पर 13 महीनों से चल रही मामले की सुनवाई चल रही थी। इस मामले पर पहले 22 फरवरी, 2022 को बठिंडा की कोर्ट ने कंगना को समन जारी कर पेश होने के लिए कहा था, लेकिन इसके बाद उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में इस मामले को रद्द करने के लिए याचिका दी, जिसे खारिज कर दिया गया था।

कंगना ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी अपने मामले को रद्द करने की अपील की, लेकिन उन्हें निचली अदालत में अपनी बात रखने को कहा गया। हालांकि, कुछ दिनों में बठिंडा की अदालत ने इसे फिर से मना कर दिया।

इस मामले पर कंगना की उपस्थिति के बाद पुलिस तैनात हो गई है, जिससे विद्रोह बढ़ने का डर है कि कुछ लोग भी अदालत में हड़ताल कर सकते हैं।
 
ਕੰਗਨਾ ਦੇ ਆਉਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਮੈਂ ਸੋਚਿਆ ਕਿ ਪੁਲਿਸ ਵੱਲੋਂ ਨਿਯੰਤਰਣ ਲਗਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਕੇਸ ਦੀ ਗੱਲ ਅਜੇ ਭੀ ਨਹੀਂ ਸੁਣੀ, ਪਰ ਮੈਂ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕੰਗਨਾ ਦੇ ਆਉਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਫੌਜੀ ਸੰਘਰਸ਼ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਪੁਲਿਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨੂੰ ਜ਼ਰੂਰ ਘਟਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

क्या कੰਗਨਾ ਆਪ ਕੋਈ ਮਾਮਲਾ ਬਿਆਨ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ?
 
कंगना के बिना अदालत में सुनवाई तो नहीं हो सकती, यार 🤔। पुलिस तैनात होने से विद्रोह बढ़ सकता है तो न, और दूसरी बात, अदालत में शांति से सुनवाई हो, तो फिर क्यों डर रहे हैं? 😒। कंगना को अपने फैसले पर खड़े रहने का अधिकार है, यही सच्चाई है।
 
मैंने कल दिल्ली के एक छोटे से चिपचिपे बाजार में कुछ अच्छी क्वेस्टेड जुड़ीं. मेरी बहन ने मुझसे कहा कि वह हमेशा से लाल कपड़ा पहनती है, पर मैंने उन्हें बताया कि लाल कपड़ा भी चमकता है जब वो धूप मे होता है। तो उसके बाद दोनों बहुत मजाकिया हुए, और मैंने उसे एक पुरानी फोटो खींची, जिसमें वह मेरे साथ बैठकर चाट खाती हुई दिख रही थी।
 
कंगना रनौत को अदालत में आने से विद्रोह बढ़ सकता है? इसका मतलब यह नहीं है कि हम सब उनके साथ होंगे। लेकिन फिर भी पुलिस तैनात करना उचित नहीं है। ऐसे में यह दिखाई देता है कि सरकार हमारे विवादों को नियंत्रित करने के लिए कुछ कर रही है, लेकिन इससे हमें सोचना चाहिए कि अदालत में जाने का मकसद क्या है।
 
मैंने देखा है कि ऐसी बहुत सारी चीजें होती हैं जब किसी बड़े नाम को समन पर बुलाया जाता है। लेकिन मुझे लगता है कि हमें पता चलना चाहिए कि वास्तव में क्या हो रहा है? कंगना रनौत की बात हुई, तो वह जरूरी है, लेकिन पुलिस तैनात होने से कुछ और भी निकल सकता है। हमें शांति बनाए रखनी चाहिए, नहीं तो कुछ गलत हो सकता है 🤔
 
कंगना रनौत की अदालत में उपस्थिति से जुड़े तनाव को देखते हुए, लगता है कि पुलिस तैनात करना एक बहुत ही उचित कदम था। लेकिन यह प्रश्न उठता है कि क्या इतनी मात्रा में सुरक्षा तैनाती पर्याप्त नहीं होगी? क्या हमें अपने देश में विद्रोह को रोकने के लिए हमेशा पुलिस तैनात रहने की जरूरत है? 🤔

इसके अलावा, इस मामले से जुड़े भावनात्मक तनाव को कम करने के लिए, अदालत में शांतिपूर्ण और सम्मानजनक वातावरण बनाए रखना बहुत जरूरी है। कंगना रनौत को उनके अधिकारों के साथ-साथ अपने वकीलों और परिवार के सदस्यों की भी सहायता देनी चाहिए।
 
कंगना की बठिंडा कोर्ट में उपस्थित होने से पहले तो मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ, लेकिन अब जब देखा गया है कि वहां पुलिस तैनात है, तो समझ आया कि यह मामला बहुत ही अस्थिर है। राजनीतिक दबाव और विद्रोह बढ़ने का डर है, लेकिन कंगना को अपनी बात रखने का अधिकार भी है। मुझे लगता है कि अदालत में शांति बनाए रखने के लिए जरूरी होगा 🤔
 
कंगना दीदी की बात सुनकर पूरा शहर हिल गया है 🤔। यह सब कैसे हो जायेगा, मुझे पता नहीं है। 13 महीनों तक चल रहे इस मामले पर किस लिए अदालत में आनी पड़ी? कोई नई गंभीरता या ऐसी बात नहीं है जो उन्हें अदालत में लाने की जरूरत थी। और अब पुलिस तैनात है, विद्रोह बढ़ सकता है - यह सब बहुत अजीब है। कल कंगना दीदी साब के बारे में बोलती हैं तो हम सब उनकी बात सुनकर खुश होते हैं, लेकिन अदालत में जाने से कुछ और ही हो गया। ऐसे में मुझे लगता है कि एक-दूसरे की बातें समझनी चाहिए, न तो किसी को आरोप लगाया जाए और न ही कोई अदालत में जाकर अपनी बात सुनने दिया जाए।
 
अगर कंगना अपने दोष स्वीकार न करें तो फिर बाधा उत्पन्न कर रही हैं 🤔, पुलिस क्यों तैनात करनी पड़ी? यह सब इतना बड़ा विद्रोह नहीं होगा, बस एक अदालत में अपने मामले पर सुनवाई होना है... 😐
 
मैंने देखा है कि बठिंडा कोर्ट में कंगना रनौत की उपस्थिति होने पर पुलिस तैनात हो गई है, यह बहुत अजीब लग रहा है। क्या हमारे समाज में ऐसे मामलों को लेकर इतनी भीड़बूढ़ाई बन जाती है? मुझे लगता है कि अदालत की सुनवाई होने के दौरान सरकारी एजेंटों और पुलिस की तैनाती बहुत अधिक हो गई है, इससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बुरा असर पड़ सकता है।
 
मुझे लगा की ये बहुत ज्यादा हुआ, फिर भी मैं तो अपनी माने का बोलता हूँ कि कंगना को अदालत में नहीं जानी चाहिए। वह लोगों की नज़रों में गलत है तो फिर भी हमारा साथ देना चाहिए, पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो गलती को सही समझते हैं।
 
कंगना ने फिर से अदालत में दिखाई देना, यह तो सबको आश्चर्य नहीं था। पुलिस तैनात करना कितना बिल्कुल सही काम है। विद्रोह बढ़ सकता है और भीड़भाड़ हो सकती है, यह सोचते हुए निर्णय लिया गया है। लेकिन कंगना को पूरी तरह से समझ में नहीं आता कि वे कहां गलत थे और कहां सही थे, बस इतना पता चलता है कि उन्होंने अपने मामले को निचली अदालत में लाने का फैसला किया। क्या यह बदलेगा? शायद नहीं।
 
कंगना के मामले की बात करें, तो मुझे लगता है कि जैसे ही अदालत में उनकी उपस्थिति होने लगे, पूरा देश चर्चा में आ गया, और फिर विद्रोह बढ़ने का डर है। लेकिन मैं सोचता हूं कि जितना संभव हो, अदालत को अपनी निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए। क्योंकि अगर यह एक राजनीतिक मामला है, तो अदालत का काम सिर्फ कानून देना होता है और यह तय करना कि कंगना के खिलाफ कितनी गंभीरता से मामला चल रहा है। अगर यह सब पूरी तरह से निष्पक्ष है, तो देश के लोगों को भी शांति से इसकी बातें सुनने का मौका मिलेगा।
 
यार, यह तो और भी गहरा पड़ गया है! कंगना ने फिर से अदालत में दिखाई देने का फैसला किया, अब तक कोर्ट में जाने से पहले पुलिस तैनात कर लेती थी। यह तो विद्रोह बढ़ने की बात है या नहीं? लगता है कि कंगना ने अपने साथियों को भी दिशा-निर्देशित करने का फैसला किया है, लेकिन मुझे लगता है कि वे खुद को भी चकमा देने की जरूरत है।

कोर्ट में जाने से पहले पुलिस तैनात, यह तो सुनिश्चित करता है कि कुछ लोगों को अदालत में न आने का मौका नहीं मिलेगा। लेकिन क्या कंगना की बात सुनी जाएगी या नहीं, यह तो देखने की जरूरत है।

मुझे लगता है कि इस मामले पर ध्यान केंद्रित करने से बड़ी बात निकल सकती है, लेकिन मैं अभी भी इसके फायदों को नहीं समझ पाया हूं। तो चलिए, देखने के लिए बैठें और कंगना की अदालत में आने से क्या होता है?
 
अगर ये कंगना की उपस्थिति की घोषणा करने से विद्रोह बढ़ जाता है, तो फिर क्या पुलिस निकालने के लिए देर कर रही थी? 🤔
क्योंकि तो यह मामला पहले 22 फरवरी, 2022 से चल रहा था, इसलिए कंगना को अदालत में आने के लिए इतना समय लग गया है कि अब लोग भूल गए हैं कि इस मामले में क्या हुआ था।
कानून नियमों की राह पर चलकर सब कुछ ठीक से करने की कोशिश करो, लेकिन जैसे ही कोई भी ऐसा कर रहा हो तो बिल्कुल बदलाव आना शुरू हो जाता है।
कंगना की उपस्थिति से पहले पुलिस निकालने की जरूरत नहीं थी, लेकिन अब यह मामला फिर से सुरागों पर चल रहा है।
 
कंगना रनौत की यह उपस्थिति सुनकर मुझे थोड़ा डर गया है 🤔। लेकिन फिर कुछ सोचते हुए कह सकता हूँ कि पुलिस तैनात होने से पहले ही कंगना जी ने यह मामला समाप्त करने का एकमुश्त तरीका ढूंढ लिया होगा, या फिर उनकी दोस्तों और समर्थकों ने उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित किया होगा। यह तो साफ नहीं है कि विद्रोह बढ़ सकता है या नहीं।

लेकिन हमारे समाज में आज भी संवाद और समझ की कमी है। हमेशा दावा करने के बजाय, दूसरों की बात सुनना और समझना जरूरी होता है, खासकर जब यह एक विवादित मामला हो।
 
बठिंडा कोर्ट में कंगना पहुंची तो यार फिर से विद्रोह बढ़ जाएगा, यह निश्चित है! पुलिस तैनात होना तो अच्छी बात है, लेकिन अगर कंगना की बात नहीं मानी जाती, तो क्यों? अदालत में ऐसे विद्रोह कैसे न हों? मुझे लगता है कि पुलिस को तो सिर्फ सुरक्षा करनी चाहिए, लेकिन कंगना की बात भी सुननी चाहिए।

क्या हमें यह नहीं पता कि अदालत में जाने वाले किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए? तो फिर पुलिस क्यों हड़ताल कर रही है? यह समझने की जरूरत है कि कंगना की उपस्थिति से कौन-कौन से लोग प्रभावित हो सकते हैं और उनकी बात भी सुननी चाहिए।

मुझे लगता है कि यह मामला अभी भी बहुत जटिल है, और हमें इस पर बहुत सोच-विचार करने की जरूरत है।
 
कंगना की बठिंडा कोर्ट में उपस्थिति से तो अच्छा, लेकिन पुलिस तैनात होने की बात तो थोड़ी भयावह लग रही है 🤔। कुछ दिनों में अदालत ने फिर से मना कर दिया था, तो क्यों पुलिस अब तैयार हुई? और कुछ लोग विद्रोह कर सकते हैं, परन्तु इससे कंगना की बात नहीं बदलेगी, चाहे अदालत में हड़ताल कर लें।
 
कंगना रनौत के मामले में यह एक बड़ा झगड़ा हो रहा है। मुझे लगता है कि अदालत के पास पहले से ही सब कुछ तैयार होना चाहिए, लेकिन फिर भी पुलिस को यह तय करना होगा कि विद्रोह बढ़ने का डर है। क्योंकि अगर हम देखें तो ये मामला बहुत ज्यादा रुक-तोक कर रहा है 🤔

मुझे लगता है कि अदालत को यह सुननी चाहिए कि कंगना रनौत ने क्या कहा है, लेकिन फिर भी पुलिस को इस मामले को लेकर बहुत ज्यादा तनाव बनाने की जरूरत नहीं है। क्योंकि अगर हम देखें तो कंगना रनौत के खिलाफ लगाए गए आरोपों में से कुछ भी सच नहीं है, तो यह अदालत के लिए एक अच्छा मौका होगा 🚫
 
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