असम में सियासी बवाल बढ़ गई है, जब सरकार ने 1983 के दुखद नरसंहार पर रिपोर्ट सार्वजनिक करने का फैसला किया। इस योजना को शनिवार को राज्य विधानसभा में लाया गया, जहां नेता प्रतिपक्ष और एक फिल्म निर्माता ने आशंका जताई कि इससे समुदायों के बीच शांति जोखिम में पड़ सकती है।
राज्य विधानसभा में यह विचार पर चर्चा करने से पहले, हमें पूछना चाहिए कि इतने लंबे समय तक एक महत्वपूर्ण दस्तावेज को छिपाकर रखना गलत था। असम सरकार ने कहा है कि राज्य मंत्रिमंडल ने नवंबर में होने वाले अगले विधानसभा सत्र में तिवारी आयोग की रिपोर्ट पेश करने का फैसला किया है।
किन्तु इस फैसले से हमें यह भी सवाल उठाना चाहिए कि इतने लंबे समय तक एक महत्वपूर्ण दस्तावेज को छिपाकर रखना गलत था। असम में 1983 के नरसंहार पर रिपोर्ट सार्वजनिक करने से निम्नलिखित बातें स्पष्ट होती हैं-
पहली, हमें यह समझना चाहिए कि इतने लंबे समय तक एक महत्वपूर्ण दस्तावेज को छिपाकर रखना गलत था।
दूसरा, हमें यह भी समझना चाहिए कि ऐसे समय में रिपोर्ट को सामने लाना, जब पूरा राज्य गर्ग की मौत पर शोक मना रहा है, 'आश्चर्यजनक और निराशाजनक' है।
तीसरा, इस फैसले से हमें यह भी सवाल उठाना चाहिए कि नरसंहार पर रिपोर्ट सार्वजनिक करने से समुदायों के बीच शांति जोखिम में पड़ सकती है या नहीं।
अंत में, हमें यह भी समझना चाहिए कि ऐसे समय में रिपोर्ट को सामने लाना, जब पूरा राज्य गर्ग की मौत पर शोक मना रहा है, 'आश्चर्यजनक और निराशाजनक' है।
राज्य विधानसभा में यह विचार पर चर्चा करने से पहले, हमें पूछना चाहिए कि इतने लंबे समय तक एक महत्वपूर्ण दस्तावेज को छिपाकर रखना गलत था। असम सरकार ने कहा है कि राज्य मंत्रिमंडल ने नवंबर में होने वाले अगले विधानसभा सत्र में तिवारी आयोग की रिपोर्ट पेश करने का फैसला किया है।
किन्तु इस फैसले से हमें यह भी सवाल उठाना चाहिए कि इतने लंबे समय तक एक महत्वपूर्ण दस्तावेज को छिपाकर रखना गलत था। असम में 1983 के नरसंहार पर रिपोर्ट सार्वजनिक करने से निम्नलिखित बातें स्पष्ट होती हैं-
पहली, हमें यह समझना चाहिए कि इतने लंबे समय तक एक महत्वपूर्ण दस्तावेज को छिपाकर रखना गलत था।
दूसरा, हमें यह भी समझना चाहिए कि ऐसे समय में रिपोर्ट को सामने लाना, जब पूरा राज्य गर्ग की मौत पर शोक मना रहा है, 'आश्चर्यजनक और निराशाजनक' है।
तीसरा, इस फैसले से हमें यह भी सवाल उठाना चाहिए कि नरसंहार पर रिपोर्ट सार्वजनिक करने से समुदायों के बीच शांति जोखिम में पड़ सकती है या नहीं।
अंत में, हमें यह भी समझना चाहिए कि ऐसे समय में रिपोर्ट को सामने लाना, जब पूरा राज्य गर्ग की मौत पर शोक मना रहा है, 'आश्चर्यजनक और निराशाजनक' है।