नेहरू-गांधी परिवार, भारतीय राजनीति में एक पारिवारिक व्यवसाय बन गया है। शशि थरूर ने कहा कि दशकों से एक परिवार भारतीय राजनीति पर हावी रहा है और नेहरू-गांधी परिवार का प्रभाव भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जुड़ा हुआ है।
राजनीतिक वंशवाद भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है, कहा शशि थरूर। उन्होंने कहा, "जब राजनीतिक सत्ता का निर्धारण योग्यता, प्रतिबद्धता या जमीनी स्तर पर जुड़ाव के बजाय वंश से होता है तो शासन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।"
शशि थरूर ने बीजू पटनायक के निधन के बाद उनके बेटे नवीन के लिए चुनाव लड़ने और विश्वासपात्र उम्मीदवार के रूप में दिखाई देने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, "यही बात समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव पर भी लागू होती है."
शशि थरूर ने जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, पंजाब और तमिलनाडु में वंशवादी राजनीति की मिसालें दीं। उन्होंने कहा, "यह केवल कुछ प्रमुख परिवारों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्राम सभाओं से लेकर संसद तक, भारतीय शासन के ताने-बाने में गहराई से समाई हुई है।"
उन्होंने पाकिस्तान में भुट्टो और शरीफ परिवार, बांग्लादेश में शेख और जिया परिवार और श्रीलंका में भंडारनायके और राजपक्षे परिवार का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, "सच कहूं तो इस तरह की वंशवादी राजनीति पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित है।"
शशि थरूर ने कहा, "ये भारत के जीवंत लोकतंत्र के साथ खास तौर पर बेमेल लगते हैं। फिर भारत ने वंशवादी मॉडल को इतनी पूरी तरह क्यों अपनाया है? एक कारण यह हो सकता है कि एक परिवार एक ब्रांड के रूप में प्रभावी रूप से काम कर सकता है।"
राजनीतिक वंशवाद भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है, कहा शशि थरूर। उन्होंने कहा, "जब राजनीतिक सत्ता का निर्धारण योग्यता, प्रतिबद्धता या जमीनी स्तर पर जुड़ाव के बजाय वंश से होता है तो शासन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।"
शशि थरूर ने बीजू पटनायक के निधन के बाद उनके बेटे नवीन के लिए चुनाव लड़ने और विश्वासपात्र उम्मीदवार के रूप में दिखाई देने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, "यही बात समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव पर भी लागू होती है."
शशि थरूर ने जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, पंजाब और तमिलनाडु में वंशवादी राजनीति की मिसालें दीं। उन्होंने कहा, "यह केवल कुछ प्रमुख परिवारों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्राम सभाओं से लेकर संसद तक, भारतीय शासन के ताने-बाने में गहराई से समाई हुई है।"
उन्होंने पाकिस्तान में भुट्टो और शरीफ परिवार, बांग्लादेश में शेख और जिया परिवार और श्रीलंका में भंडारनायके और राजपक्षे परिवार का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, "सच कहूं तो इस तरह की वंशवादी राजनीति पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित है।"
शशि थरूर ने कहा, "ये भारत के जीवंत लोकतंत्र के साथ खास तौर पर बेमेल लगते हैं। फिर भारत ने वंशवादी मॉडल को इतनी पूरी तरह क्यों अपनाया है? एक कारण यह हो सकता है कि एक परिवार एक ब्रांड के रूप में प्रभावी रूप से काम कर सकता है।"