ऑनलाइन सट्टेबाजी रैकेट पर ED का शिकंजा, 300 से ज्यादा बैंक अकाउंट्स में 35.80 करोड़ रुपये अटैच

एक बड़े ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए के रैकेट पर एजेंसी ने कार्रवाई की है. 300 से अधिक बैंक अकाउंट्स में मौजूद 35.80 करोड़ की रकम को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया गया है. यह जानकारी एक प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर के तहत दी गई, जिसमें मामला जीतेन्द्र तेजाभाई हीरागर और उनके सहयोगियों से जुड़ा है.

जांच में पता चला कि 448 फर्जी बैंक अकाउंट्स खोले गए थे, जिनमें लाखों रुपए की ट्रांजैक्शन हो रही थी. इन खातों का इस्तेमाल एक संगठित गैंग ने ऑनलाइन जुआ, सट्टा और अन्य गैरकानूनी कामों के लिए किया. इन खातों के जरिए बड़े पैमाने पर पैसों की हेराफेरी की गई.

जांच में अब तक 995 से अधिक बैंक अकाउंट्स के लेन-देन खंगाले गए हैं. इनमें करीब 1,000 करोड़ से अधिक की ट्रांजैक्शन हुई थी. यह FIR अहमदाबाद सिटी पुलिस की क्राइम ब्रांच की ओर से दर्ज एक FIR के आधार पर शुरू हुई थी, जिसमें जीतेन्द्र तेजाभाई हीरागर और अन्य लोगों के खिलाफ PMLA के तहत मामला दर्ज किया गया था।

ED ने बताया कि ये पैसा सीधे तौर पर गैरकानूनी जुए और सट्टेबाजी से कमाया गया है. एजेंसी का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है. जांच आगे बढ़ाई जा रही है, ताकि इस नेटवर्क से जुड़े बाकी लोगों और कंपनियों तक पहुंचा जा सके.
 
ये बड़ा मामला दिल चोटा देता है! एक संगठित गैंग कैसे इतनी आसानी से ऑनलाइन जुए, सट्टा आदि को लेकर पैसे कमा सकती थी, इस बारे में सोचकर मुझे लगने लगा कि क्या हमारी पुलिस और एजेंसियाँ पर्याप्त नहीं तैयार हैं या फिर इसके लिए जरूरत है कुछ और बदलने का समय। पैसे को अटैच करने में बाकी सब सही है, लेकिन अगर हमारी एजेंसियों द्वारा ऐसा बड़ा मामला सुलझाने की कोशिश नहीं की जाती, तो फिर इसके लिए एक नए तरीके की जरूरत होगी। 😕
 
इस मामले को देखकर लगता है कि ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी के खिलाफ लड़ने के लिए हमें अपनी प्रणाली और नियमों को मजबूत बनाने की जरूरत है. अगर हमारे बैंक अकाउंट्स में भी ऐसी गतिविधियाँ जारी रहती हैं, तो यह बहुत बड़ा जोखिम है 🤔. और सबसे बड़ी चिंता यह है कि ऑनलाइन खेलों से न केवल पैसा ही गंवाया जाता है, बल्कि हमारी पहचान भी तोड़ने का खतरा है. 😬

अगर हमें ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए एकजुट होकर काम करना है, तो शायद इस तरह के मामले बाद में कम होंगे 🤞. और सबसे अच्छी चीज यह है कि पुलिस ने इतनी जल्दी इन लोगों को पकड़ लिया है. अब तो जांच आगे बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि अगर ऐसे कई लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, तो उन्हें पूरी तरह से सजा मिले.
 
क्या मजाक है? पैसे चोरों को पकड़ने में इतने समय लगता है 🤦‍♂️, तो देश की आर्थिक सुरक्षा क्या है? 😬
 
यह बहुत अच्छी खबर है कि पुलिस ने इन दुष्कर्मियों को पकड़ने की कोशिश की है. 448 फर्जी खाते खोलकर इन लोगों ने अपना जुआ और सट्टेबाजी का बusiness चलाया.

इन लोगों के लिए यह तो शुरुआत है और आगे भी उनको पकड़ने की उम्मीद है. मुझे खुशी होती है कि पुलिस ने उनके इस बड़े जाल पर हाथ लगाया है.

अब ये लोग अपने दिलचस्पी को नहीं ढूंढ पाएंगे, उनके द्वारा कमाई गई धनराशि लूटे गए खातों में जमा कर दी जाएगी. यह एक अच्छी बात है कि जांच में तेजी और कड़ाई से काम किया गया है.
 
मुझे लगता है कि ये पूरा मामला बड़े पैमाने पर चोरी करने वालों के साथ जुड़ा हुआ है. तो क्या हमें पता नहीं चलता कि इन लोगों ने अपना पैसा कहाँ से कमाया था, और क्या यह पूरा मामला बाहरी मदद से चल रहा है? 🤔
 
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