Op Sindoor: 'ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सैन्य संघर्ष PAK-चीन गठजोड़ का सबूत'; पूर्व विदेश सचिव ने दिया बड़ा बयान

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों पर हमला कर उन्हें नष्ट कर दिया। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान को चीनी हथियारों के उपयोग का भी बहिष्कार कर दिया गया।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अपनी स्थिति मजबूत की। ट्रंप प्रशासन ने उन्हें वाशिंगटन का निमंत्रण दिया, राष्ट्रपति ट्रंप और मुनीर की मुलाकात ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपनी स्थिति मजबूत की। इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों पर हमला कर उन्हें नष्ट कर दिया।

पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने ड्रैगन के साथ 'ऑल-वेदर' साझेदारी की।

भारत की मौजूदा विदेश नीति और रणनीतिक दृष्टिकोण पर श्रृंगला ने कहा, हमारी विदेश नीति यथार्थवाद और आदर्शवाद के बीच संतुलन बनाकर चलती है।

भारत का मकसद रणनीतिक क्षमता बेहतर करना, कुशल कूटनीति और मजबूत घरेलू विकास के माध्यम से अपनी अंतरराष्ट्रीय स्थिति मजबूत करना है।

पूर्व विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा है कि भारत किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता, यह बात शिमला समझौते में स्पष्ट है।

भारत की संसद में अगस्त, 2019 में हुए ऐतिहासिक फैसले का उल्लेख करते हुए पूर्व विदेश सचिव ने कहा देश के संविधान का अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर मुख्यधारा में शामिल हुआ है।

पूर्व विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा है कि अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता के बीच भारत को अपनी रणनीतिक जगह बनाए रखनी होगी।
 
ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को नष्ट करने के बाद भारत की स्थिति वाकई मजबूत हुई है 🙌, यह तो हमेश से पता था कि भारत का दिखावा और साहस सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं होता। आसिम मुनीर जी ने अपनी नई स्थिति साबित कर ली है और अब पूरी दुनिया उनका ध्यान खींच रही है। 🕊️

लेकिन श्रृंगला जी की बात सुनकर मुझे लगता है कि हमें अपनी रणनीतिक दृष्टि से थोड़ा और आगे बढ़ना चाहिए। अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता के बीच भारत को अपनी जगह बनानी होगी, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारा सपना दुनिया भर में फैलना है। 🌟

और शिमला समझौते की बात करें, यह तो एक नई दिशा है जिस पर हमें ध्यान देना चाहिए। लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि हम अपने संविधान और राजनीतिक प्रणाली का मूल्यांकन करें, जिससे हमारी नीतियों और कार्रवाइयों में संतुलन बनाए रखने का तरीका पता चले। 🤔
 
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत दिखाई दे रहा है कि हमारे पास आतंकवादी ठिकानों पर हमला करने की क्षमता और निर्णय लेने की ताकत है। लेकिन इसके साथ-साथ, पूर्व विदेश सचिव श्रृंगला जी के शब्दों में भारत को अपनी रणनीतिक जगह बनाए रखने के लिए अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता का फायदा उठाने की जरूरत है। 🕊️

इसके अलावा, ऑपरेशन सिंदूर ने भारत को पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में बदलाव लाने का एक अच्छा अवसर दिया है। अब हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी विदेश नीति यथार्थवाद और आदर्शवाद के बीच संतुलन बनाकर चलती रहे। 🤝

लेकिन, मुझे लगता है कि हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने घरेलू मुद्दों पर ध्यान देते रहें, जैसे कि जम्मू-कश्मीर में विभाजन को समाप्त करना। 🌈
 
क्या ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को हमारे जैसा दिखा दिया 🤯, वास्तव में उनके लिए यह एक बड़ा झटका था। और आसिम मुनीर जी की भूमिका बिल्कुल हायर, उन्हें अमेरिका का निमंत्रण मिलना हाल ही में हुआ। तो हमारी देशभक्ति और सैन्य शक्ति दोनों एक साथ चल रही हैं 🙌। चीन के साथ भारत की राजनीतिक साझेदारी तो शायद समय ही बताएगा 🕰️, लेकिन हमें पता है कि हमारी स्थिति हमेशा मजबूत रहेगी। 🙏
 
ये तो फिर से चीन-पाकिस्तान का हाथ मिल गया है 🤥। ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को और भी गहरा झुकने पर मजबूर कर दिया है। लेकिन हमें नहीं मानना चाहिए कि यह ऑपरेशन सिर्फ एक आतंकवादी हमलों को रोकने वाला था, ना? 🤔

पाकिस्तान को चीनी हथियारों का उपयोग करना बंद कर देना और पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों पर हमला करना एक अच्छा संगम नहीं लगता, लगता है कि यह ऑपरेशन भारत को चीन के साथ एक नई रणनीति बनाने का मौका देने के लिए था 🤝

और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की स्थिति मजबूत होने का मतलब यह भी हो सकता है कि वह चीन और पाकिस्तान के बीच एक नई मध्यस्थता की दिशा में जाने वाले हैं 🤝। लेकिन हमें नहीं देखना चाहिए कि यह ऑपरेशन सिर्फ एक रणनीतिक बदलाव को बढ़ावा देने के लिए था, ना? 🤑

कोई भी ऐसी गड़बड़ी में उलझने वाले हैं तो हमें सावधान रहना चाहिए और अपनी रणनीतिक स्थिति की जांच करनी चाहिए। क्योंकि जब तक हम अपने पैरों पर खड़े नहीं होते, तब तक हमें खतरों के लिए तैयार रहना चाहिए 🚨
 
ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी सुनकर मुझे वाकई याद आया था जब 1999 में ऑपरेशन पर्व नामक ऑपरेशन हुआ था। उस समय भारत ने पाकिस्तान के जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर हमला कर उन्हें नष्ट कर दिया था। 🤔

ऑपरेशन सिंदूर के बाद फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की स्थिति मजबूत हुई, लेकिन मुझे लगता है कि वह अपने जीवन को कैसे बदल रहे थे, उसे देखने के लिए बहुत उत्साह है। और ट्रंप प्रशासन की वाशिंगटन का निमंत्रण, यह तो एक नई दुनिया में बदलाव का संकेत है। 🌟

पाकिस्तान के साथ 'ऑल-वेदर' साझेदारी पर श्रृंगला जी की बात सुनकर मुझे याद आया था जब पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ एक नया रिश्ता बनाने का फैसला किया था। 💼

आखिरकार, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की स्थिति मजबूत हुई, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारा देश अपने इतिहास में कई बड़े बदलावों का सामना कर रहा है। 🕰️
 
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने चीनी हथियारों का इस्तेमाल करके आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें चीन से दोस्ती करनी चाहिए। भारत को अपनी रणनीतिक जगह बनाए रखनी होगी, न कि चीन और पाकिस्तान के साथ मिलकर। हमारा लक्ष्य आतंकवाद को रोकना है, नहीं तो भारतीय समाज पर खतरा पड़ेगा।

और लेकिन, ऑपरेशन सिंदूर के बाद फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अपनी स्थिति मजबूत की, यह अच्छा है कि वह वाशिंगटन का निमंत्रण दिया गया, इससे हमें अमेरिकी साथी मिल सकते हैं। लेकिन, भारत को अपनी स्वतंत्रता बनाए रखनी होगी, तभी हम अपनी रणनीतिक जगह बना सकते हैं।

मुझे लगता है कि पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला जी ने सही कहा, भारत की विदेश नीति यथार्थवाद और आदर्शवाद के बीच संतुलन बनाकर चलती होनी चाहिए। हमें अपनी रणनीतिक जगह बनाए रखनी होगी, न तो पाकिस्तान के साथ मिलकर, न ही चीन के साथ।
 
ऑपरेशन सिंदूर का ये विजयी परिचय दिलाना जरूरी है! लेकिन अब पाकिस्तान तो एक खेल बन गया है, चीन उनका सहयोगी बन जाएगा। 🤣
 
ऑपरेशन सिंदूर तो सचमुच बहुत अच्छा योजना था, और आतंकवादियों के ठिकाने नष्ट करने में भारतीय सेना की बहुत हार्दिकता दिखाई दी। लेकिन फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को वाशिंगटन का निमंत्रण तो बहुत अच्छा लगा , और ट्रंप प्रशासन से उनके साथ मुलाकात होने की बात तो दुनिया को खींच रही थी।

और भारत की स्थिति मजबूत करने की बात तो सही है, लेकिन पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला जी की बातें तो बहुत रोचक हैं, उन्होंने बताया कि भारत की विदेश नीति यथार्थवाद और आदर्शवाद के बीच संतुलन बनाकर चलती है, और हमारा लक्ष्य रणनीतिक क्षमता बेहतर करना, कुशल कूटनीति और मजबूत घरेलू विकास से।

मुझे लगता है कि भारत को अपनी अंतरराष्ट्रीय स्थिति मजबूत करने के लिए हमें अपनी रणनीतिक जगह बनाए रखनी होगी, और अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता में हमारी जगह खुद बनाने की जरूरत है। 🤩💪
 
ऑपरेशन सिंदूर का जश्न मनाने का समय आ गया है! 🎉 लेकिन यहाँ पर मैं सोचता हूँ कि हमें अपनी रणनीतिक स्थिति को और मजबूत बनाने की जरूरत है। पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों पर हमला करने से हमारी सुरक्षा और गुरिल्ला लड़ाई में सुधार हुआ है ❤️। लेकिन हमें अपनी विदेश नीति में भी बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि हम अपनी अंतरराष्ट्रीय स्थिति मजबूत बनाए रख सकें। 🌐
 
क्या अच्छा, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ मजबूती से कार्रवाई की, इसकी बात समझ में आती है 🤔, लेकिन अब देखना होगा कि आगे क्या होता है, पाकिस्तान ने ड्रैगन के साथ 'ऑल-वेदर' साझेदारी की, तो हमें देखना होगा कि इससे भारत को कैसे फायदा होगा। 🤞
 
ऑपरेशन सिंदूर के बाद तो यह तो समझ में आया है कि हमारे देश की सेना और विदेश नीति पर कितना ध्यान देना होगा। लेकिन फिर भी यह सवाल उठता है कि क्या हम अपने पड़ोसी पाकिस्तान के साथ इतने ही तेजी से आगे बढ़ सकते हैं? और इस ऑपरेशन में चीनी हथियारों के उपयोग को वापस लेने से हमें कोई फायदा होगा या नहीं?

मुझे लगता है कि यह तो एक बहुत बड़ी सवाल है, जिसका जवाब हमें देश भर में चर्चा करनी चाहिए। और इसके लिए हमें अपने घरेलू विकास पर भी ध्यान देना होगा, ताकि हमारी अंतरराष्ट्रीय स्थिति मजबूत हो सके।
 
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