अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव के साथ-साथ अर्थशास्त्रीय सिद्धांतों पर भारत की सरकार की दृष्टि और अनुभव ने भारत को पड़ोसी देशों से अलग बनाया है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, विदेशी मुद्रा भंडार और सुदृढ़ सरकार ने भारत को शांति और स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ने में मदद की है।
भारत की आर्थिक मजबूती के कई कारण हैं। सबसे पहले, अर्थव्यवस्था में निवेश करने वालों और उद्यमियों की संख्या बढ़ रही है। इसके अलावा, सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं और सुधारों को लागू किया जा रहा है, जैसे कि बैंकिंग प्रणाली में सुधार, ऋणदाताओं को खराब ऋणों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करना, और दिवालियापन संहिता में सुधार करना।
इसके अलावा, भारत की विदेशी मुद्रा भंडार भी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है। सरकार की ओर से करीब 700 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 18 प्रतिशत है। यह भारत को आयात के लिए पर्याप्त मुद्रा प्रदान करता है।
भारत की अर्थव्यवस्था में अन्य महत्वपूर्ण सूत्र भी हैं। इनमें सरकार द्वारा उठाए गए करों और विनियामक नीतियाँ शामिल हैं, जो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती हैं और आय के वितरण में समानता लाने में मदद करती हैं।
इसके अलावा, भारत की सरकार की आर्थिक नीतियों में एक बड़ा बदलाव हुआ है। सरकार की ओर से राजकोषीय अपरिवर्तनवाद ने भी इसमें मदद की है, जिससे अर्थव्यवस्था में स्थिरता बढ़ी है।
पाकिस्तान और श्रीलंका के पड़ोसी देशों में, आर्थिक संकट और असमानता ने युवाओं को आक्रोशित कर दिया। लेकिन भारत की सरकार ने इन देशों में भुगतान संतुलन बनाए रखने के लिए बड़ा प्रयास किया है। भारत की दस वर्षीय सरकारी बॉन्ड यील्ड दर वर्ष की शुरुआत से 7 प्रतिशत से थोड़ी कम है, जो उससे बहुत कम है।
इसलिए, भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी और स्थिरता ने पड़ोसी देशों को आकर्षित किया है। यह देश विदेशी निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन गया है और भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश करने वालों को अपने पैसे बढ़ाने का एक अच्छा अवसर मिल रहा है।
भारत की आर्थिक मजबूती के कई कारण हैं। सबसे पहले, अर्थव्यवस्था में निवेश करने वालों और उद्यमियों की संख्या बढ़ रही है। इसके अलावा, सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं और सुधारों को लागू किया जा रहा है, जैसे कि बैंकिंग प्रणाली में सुधार, ऋणदाताओं को खराब ऋणों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करना, और दिवालियापन संहिता में सुधार करना।
इसके अलावा, भारत की विदेशी मुद्रा भंडार भी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है। सरकार की ओर से करीब 700 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 18 प्रतिशत है। यह भारत को आयात के लिए पर्याप्त मुद्रा प्रदान करता है।
भारत की अर्थव्यवस्था में अन्य महत्वपूर्ण सूत्र भी हैं। इनमें सरकार द्वारा उठाए गए करों और विनियामक नीतियाँ शामिल हैं, जो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती हैं और आय के वितरण में समानता लाने में मदद करती हैं।
इसके अलावा, भारत की सरकार की आर्थिक नीतियों में एक बड़ा बदलाव हुआ है। सरकार की ओर से राजकोषीय अपरिवर्तनवाद ने भी इसमें मदद की है, जिससे अर्थव्यवस्था में स्थिरता बढ़ी है।
पाकिस्तान और श्रीलंका के पड़ोसी देशों में, आर्थिक संकट और असमानता ने युवाओं को आक्रोशित कर दिया। लेकिन भारत की सरकार ने इन देशों में भुगतान संतुलन बनाए रखने के लिए बड़ा प्रयास किया है। भारत की दस वर्षीय सरकारी बॉन्ड यील्ड दर वर्ष की शुरुआत से 7 प्रतिशत से थोड़ी कम है, जो उससे बहुत कम है।
इसलिए, भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी और स्थिरता ने पड़ोसी देशों को आकर्षित किया है। यह देश विदेशी निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन गया है और भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश करने वालों को अपने पैसे बढ़ाने का एक अच्छा अवसर मिल रहा है।