PM Modi की कनपटी पर कट्टा रखकर…कांग्रेस के बड़े नेता ने दिया विवादित बयान, खड़ा हुआ सियासी बवाल

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा, "हम तो प्रधानमंत्री की बात सुनकर नीतीश कुमार को सलाह दे रहे हैं। एक-दो कट्टा और उनकी कनपटी पर अपने आप को मुख्यमंत्री घोषित करवाएं।"
 
🤷‍♂️ पवन खेड़ा जी की बात सुनकर मुझे थोड़ा असहज महसूस हुआ. तो वहीं हमारे देश में नेताओं का यह राजनीतिक खेल देखना कितना दुखद है... लेकिन फिर भी मैं उन्हें अपने मतभेदों के बारे में खुलकर बात करने का तरीका समझाना चाहूंगा। शायद अगर हम सभी नेताओं में एक-दूसरे की बात सुनकर सीखने का मौका मिलता, तो देश की समस्याओं का समाधान जल्दी ही मिल सकता था। लेकिन यह तो बस कल्पना ही है।
 
मुझे लगता है कि पवन खेड़ा जी ने बहुत सारी सच्चाई कही है। देश की राजनीति में हमेशा एक-दूसरे पर टिप्पणियाँ करते रहते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को कुछ सोचकर निर्णय लेना चाहिए, ये जो बात कर रहे थे। मैं सोचता हूँ कि अगर हम सभी अपने-अपने मंत्रिमंडल को अच्छा बनाने की कोशिश करते थे, तो देश खुशहाल होगा। 🤞
 
मैंने पूरे वीडियो देखा था तब ये टिप्पणी सुनकर मुझे आश्चर्य हुआ, लेकिन फिर मैंने सोचा कि यह पवन खेड़ा की तरह कुछ भी बोल सकता है। क्योंकि तो हमारे देश में हर किसी ने अपनी सीट पर बैठ जाने के बाद, उसके बाद तो कुछ भी नहीं करते। पवन खेड़ा जी तो कमाल का टिप्पणी करने वाला हैं, लेकिन यही वजह है कि हमारे देश में अभी तक कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है।
 
मुझे लगता है कि पवन खेड़ा ने थोड़ी गलत बात कह दिया 🤔। अगर सरकारी विकास योजनाओं में सुधार करना चाहते हैं तो उनको सहयोग करना चाहिए, नहीं एक-दूसरे को आलोचना करना चाहिए। मुझे लगता है कि पवन खेड़ा जी को अपने विचारों को अच्छी तरह से व्यक्त करने की कोशिश करनी चाहिए, शायद उन्हें थोड़ा और समय लगेगा।
 
अरे, ये तो हैरानी है 🤯, पवन खेड़ा जी ने नरेंद्र मोदी से क्या बात हुई कि वे इस तरह आलोचना कर रहे हैं? पार्टी के नेताओं में तो गला घोंटने की चाल भी अच्छी नहीं होती। और नीतीश कुमार जी की सलाह लेना? ये तो एक बड़ा दांव है 🤑, अगर कोई गलती हुई तो पूरा पार्टी फट जाएगा।
 
🤯 पवन खेड़ा जी की बात सुनकर तो लगता है कि उन्हें प्रधानमंत्री की आलोचना करने के लिए बहुत समय मिल गया है 🕰️। लेकिन, उनके वाक्यों से यह भी पता चलता है कि दूसरी तरफ नीतीश कुमार जी के पास अपने खेल से परिचित होने की कला है 😂। और हमें लगता है कि अगर पवन खेड़ा जी ऐसा कहते हैं तो उनके पास अपने नेतृत्व की कला को समझने में भी बहुत सुधार करने की जरूरत है 🤔। एक बात तो जरूर यह है कि ये दोनों नेता अपने राजनीतिक जीवन में कितने साल व्यस्त रहे हैं? उनकी शुरुआत में कैसे हुई थी? और कैसे उन्होंने अपना राजनीतिक करियर बनाया? ये सवाल उठाने की जरूरत है! 📊
 
मुझे लगता है कि पवन खेड़ा जी की बातें थोड़ी ही समझ नहीं आई। क्या वह कह रहे हैं कि नीतीश कुमार जी को सलाह देने के लिए हमें प्रधानमंत्री की बात सुननी चahiye? यह तो एक अजीब सा तरीका है। मुझे लगता है कि हमें अपनी सरक्यों की कमियों का सामना करना चाहिए, लेकिन इससे अच्छा तरीका नहीं होगा।
 
मुझे लगता है कि पवन खेड़ा जी ने बहुत बड़ी गलती कर ली है। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए ऐसे शब्दों का उपयोग किया हैं जो बहुत बुरे स्वाद में आ रहे हैं। यह जरूरी नहीं है कि हम नीतीश कुमार से सलाह लें, खासकर जब हम देश के बड़े नेताओं के साथ बात कर रहे हों। पवन खेड़ा जी को अपना व्यक्तिगत विचार व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन ऐसे शब्दों का उपयोग करने से हमें अपने देश की छवि खराब होने का डर है। 🤔
 
ये तो पूरी तरह से बेकार है 🙄 यह पवन खेड़ा की बात तो जरूर मनोरंजन कर रहा है, लेकिन सच्चाई की ताल्ल्लिक करना चाहिए। अगर हमारे प्रधानमंत्री की ऐसी बातें सुनकर, तो क्या हमारा देश इतना ख़राब हो गया है? 🤔 मुझे लगता है कि पवन खेड़ा ने कांग्रेस की ओर से यह बात कही होगी, जो अब बहुत गरीब है। उनकी समस्या नहीं देश की है, बल्कि अपनी पार्टी की है। 🤷‍♂️
 
मैंने इस बात सुनकर आश्चर्य हुआ कि पवन खेड़ा जी ने ऐसा कहा। मुझे लगता है कि उन्होंने गलत तरीके से प्रधानमंत्री को व्यक्तिगत रूप से आलोचना की है। यह हमारे राजनीतिक प्रक्रिया की दुर्गमता को दर्शाता है और हमें सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपने नेताओं को कैसे चुनना चाहिए।

मैंने एक बार तो सोचा था कि पवन खेड़ा जी की राजनीतिक दल को कुछ नया और अनोखा लाने की जरूरत है। लेकिन यह वाक्य उन्हें बहुत दूर ले गया। मुझे लगता है कि हमारे राजनीतिज्ञों को अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने और दूसरों की आलोचना करते समय धैर्य रखने की जरूरत है। 🙏💬
 
ਬੀਤੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਸਾਡਾ ਰਾਜ ਕਈ ਮੁੱਦਿਆਂ ਉੱਤੇ ਘੁੰਮ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਪਰ ਮੈਨੂੰ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮੁੱਦਾ ਆਰਥਿਕਤਾ ਹੈ। ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਅਜਿਹੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਪ੍ਰਗਤੀਆਂ ਕਰਨੀ ਬਣੀ ਹੈ ਜੋ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਮਾਲਕਾਂ ਨੂੰ ਖੁਸ਼ੀ ਦਿਵਾਏ।
 
मोदीजी की सरकार में ऐसे तो बहुत सारे लोग निकल रहे हैं जो उनकी हर एक बात खत्म कर देते हैं। यह पवन खेड़ा की बात तो थोड़ी ही समझ नहीं आ रही है। क्या वो सोच रहे हैं कि नीतीश कुमार मोदीजी से कहाँ ज्यादा अनुभवी हैं? और उनकी बातें तो सरकार के पास सुनने में आती ही नहीं।

लेकिन देखा जाए तो ये एक तरह की राजनीति है, जहां वो अपने नेतृत्व की चालाकी और रणनीति पर जोर देते हैं। लेकिन अगर उनकी सरकार में ऐसे लोग हैं जो सीधी-सीधी बातें करते हैं, तो उनके मुख्यमंत्री बनने का क्या तरीका?
 
मुझे ये बात जरूर लगनी चाहिए कि पवन खेड़ा ने क्या कहा है लेकिन जैसे ही मैं सोचता हूँ तो मुझे लगता है कि उन्होंने फिर से प्रधानमंत्री से बात करने का तरीका बदल दिया है। क्या हमें वास्तविकता को पहचानने में परेशानी होती है? पवन खेड़ा ने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री अपनी बात सुनते हैं तो क्या? क्या हमें उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि सरकार में बदलाव आएगा। लेकिन जैसे ही यह बातों में बदलती रहती है तो मुझे लगता है कि हमें अपने देश की वास्तविकताओं से निपटना होगा।
मुझे यकीन नहीं है कि पवन खेड़ा की बातों से हमें और आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। हमें समझने की जरूरत है कि सरकार के हर फैसले के पीछे क्या विचार है।
मैं उम्मीद करता हूँ कि हमें अपने देश के लिए और बेहतर सोचने की जरूरत है।
😐
 
मुझे लगता है कि पवन खेड़ा जी ने बिल्कुल भूल दिया है, यहां तो उन्हें पहले से ही प्रधानमंत्री की आलोचना करने का मौका नहीं मिला। अगर वे सच्चाई बताना चाहते हैं तो जरूरी है कि उन्हें अपने नेतृत्व की जिम्मेदारी स्वीकार कर ले। पवन खेड़ा जी की बात सुनकर मुझे लगता है कि वे और भी बिना समझदारी के बोल रहे हैं।
 
मुझे लगता है कि पवन खेड़ा जी की बातें थोड़ी भारी पड़ रही हैं। वे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना कर रहे हैं, लेकिन फिर उन्होंने नीतीश कुमार को सलाह देने का सुझाव दिया है। ये बातें थोड़ी अजीब लग रही हैं। और वहां कहा पर पवन खेड़ा जी ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के लिए आप क्यों एक-दो कट्टा और अपनी कनपटी पर दिखाई देना पड़ता है? यह सोचकर मुझे थोड़ी परेशानी हो रही है। शायद पवन खेड़ा जी ने अपनी बातें बहुत अच्छी तरह से विचार कर ली हों। 😐
 
ਨਹੀਂ ਯार, ਇਸ ਗੱਲ 'ਤੇ ਮੈਂ ਕੁੱਝ ਵਿਚਾਰ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹਾਂ। ਪਵਨ ਖੇਡਾ ਦੀ ਗੱਲ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਮੈਨੂੰ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਦੀ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਵਿਰੋਧੀ ਵਜ੍ਹਾ ਤੋਂ ਬਚ ਨਹੀਂ ਪਾ ਸਕਦਾ।

ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪਵਨ ਖੇਡਾ ਦੀ ਬਿਆਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਕੰਗਰਸ ਮੁਤਾਬਕ ਉਹ ਵੱਖਰਾ ਲੇਬਲ ਹੈ।

ਪਵਨ ਖੇਡਾ ਦੀ ਬਿਆਨ 'ਚ, ਮੈਂ ਸਵਾਲ ਪੁੱਛ ਸਕਦਾ ਹਾਂ। ਉਹ ਕੰਗਰਸ ਦੇ ਵਿਰੋਧੀ, ਅਤੇ ਮੁਤਾਬਕ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪ੍ਰਭੂਪਾਦ ਯਾਦਵ ਨਾਲ ਸਾਥ ਨਿਬਾਹੇਂ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ।

ਅਤੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪ੍ਰਭੂਪਾਦ ਯਾਦਵ ਦੀ ਬਿਆਨ 'ਚ, ਮੈਨੂੰ ਇਸ ਗੱਲ ਦਾ ਅਹਿਸਾਸ ਹੋਇਆ।
 
मैंने पढ़ा कि पवन खेड़ा ने नरेंद्र मोदी पर बहुत कड़ी आलोचना की है। मुझे लगता है कि ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, हमारे राजनीतिक व्यक्तित्वों से ऐसी बातें निकलनी चाहिए जो लोगों को एक-दूसरे के प्रति सम्मान करने पर मजबूर करें।

मुझे लगता है कि नरेंद्र मोदी जी की सरकार में बहुत से अच्छे काम हुए हैं, हमें उनकी आलोचना करते समय किसी भी व्यक्तिगत हमले न करने चाहिए। राजनीति एक खेल है और हर किसी को अपना तरीका ढूंढना होता है। लेकिन ऐसी बातें न करनी चाहिए जो दूसरों को घायल करें।
 
मुझे लगता है कि पवन खेड़ा ने तो प्रधानमंत्री की आलोचना करते समय नीतीश कुमार के द्वारा चलाई जा रही मुस्कान को भूल गया है। अगर सच्चाई कहें तो यह सिर्फ पवन खेड़ा की मुश्किलें हासिल करने का एक तरीका है।
 
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