पश्चिम बंगाल के तालाब में सैकड़ों आधार कार्ड मिले: भाजपा ने कहा- ये फर्जी दस्तावेज; TMC बोली- SIR को लेकर बंगाल में 8वीं आत्महत्या

ममता बनर्जी सत्ता सिंहासन पर अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए देश की संप्रभुता की समझौता करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, "SIR को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि 2026 विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में धांधली की जा सके।"

तृणमूल कांग्रेस ने इस मामले में 8वीं आत्महत्या घोषित कर दी है और बीजेपी पर भय फैलाने का आरोप लगाया है। सिर को लेकर बंगाल में आंदोलन चल रहा है।

चुनाव आयोग ने बताया है कि SIR वाले 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ वोटर्स हैं। इस काम में 5.33 लाख बीएलओ और 7 लाख से ज्यादा बीएलए लगाए जाएंगे।

इस प्रक्रिया को लेकर CM ममता बनर्जी ने कहा, "SIR को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि मतदाता सूची में विवाद की कोई भी घटना न हो।"

सुप्रीम कोर्ट में, टीएमसी ने राज्य में SIR को चुनौती देते हुए याचिका दायर की। DMK पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट में YC का खिलाफ याचिका दायर की, साथ ही तमिलनाडु में इस SIR को शुरू करने के खिलाफ मांग कर रही है।
 
मुझे लगा कि यह बहुत बड़ा मामला है और CM ममता बनर्जी को तेजी से ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन फिर भी लगता है कि वे सिर्फ अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए कुछ भी करेंगे। यह तृणमूल कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा नुकसान होगा, अगर वे 8वीं आत्महत्या घोषित कर देती हैं। और बीजेपी पर भय फैलाने का आरोप लगाना एक बड़ा खतरा है। मुझे लगता है कि चुनाव आयोग ने बहुत सारे लोगों को मतदाता सूची में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया है, जो अच्छा नहीं है। 🤔
 
ममता जी की बात समझानी मुश्किल है, लेकिन यह सच है कि SIR का मामला एक बड़ा मुद्दा बन गया है। क्या हमें पता नहीं है कि इस प्रक्रिया से कई लोगों को नुकसान हो सकता है? 51 करोड़ वोटर्स की सूची तैयार करने में इतनी बड़ी बातचीत, यह तो एक बड़ा जोखिम है 🤔

मुझे लगता है कि हमें यह सोचने की जरूरत है कि SIR क्या हासिल करने के लिए इस तरह की प्रक्रिया की जा रही है। क्या यह मतदाताओं को धमकाने और उनकी पहचान का उल्लंघन करने का मतलब है? हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि हर व्यक्ति को सम्मान मिले, चाहे वह जिस भी पार्टी से हो। 🙏
 
ममता बनर्जी की इस बात पर तो हमेशा से कहा था, कि वह सत्ता के लिए अपने देश की संप्रभुता को बेचने को तैयार हैं। लेकिन लोगों ने अभी तक उन्हें समझ नहीं पाया। SIR वाले मतदाताओं की सूची बनाने में इतना ज्यादा समय लगता है, तो इसमें विवाद कैसे हो सकता है? 🤔

मुझे लगता है कि यहाँ सरकार अपनी कमियों को छिपाने के लिए कुछ ऐसा बना रही है। अगर सिर्फ मतदाताओं की सूची में धांधली होती, तो इसका मतलब यह नहीं होगा, कि SIR वाले 12 राज्यों में हर जगह धांधली हुई है। हमें अपने नेताओं से उम्मीद करनी चाहिए कि वे सच्चाई बताएं। 🙏
 
अरे, यह तो बहुत बड़ा मुद्दा है… ममता बनर्जी जी की बात सुनकर लगता है कि वोटर लिस्ट में धांधली हो रही है, और ये ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकार अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए संप्रभुता समझौता करने को तैयार है। यह तो बहुत बड़ा खतरा है… 🚨

मेरी राय में, चुनाव आयोग को इस प्रक्रिया में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, और सभी पक्षों के लोगों को एक साथ बैठकर इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए। इससे हमें वोटर लिस्ट में धांधली की समस्या से निपटने में मदद मिल सकती है।
 
बात करते हैं इस SIR की, लेकिन लगता है कि यह तो हमारे नेताओं की गलियाँ से पैसे उधार लेने जैसा है। मतदान प्रक्रिया में धांधली करने की बात कर रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग को तो यह पता है नहीं? और CM ममता बनर्जी ने कह देना है कि हम इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन इसका मतलब यह है कि वो अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए तैयार हैं।
 
अरे, यह तो बहुत बड़ा मुद्दा है! SIR वाले 51 करोड़ वोटर्स तो बहुत बड़ी संख्या है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मतदाता सूची में धांधली की जाने दी जाए। यह तो पूरी तरह से अनुचित है। और फिर CM ममता बनर्जी ने कहा है कि SIR को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन उनकी बात तो सही नहीं है। यह तो सरकार की गलती है, ना तो हमने इसका सहारा लेना चाहिए। और फिर DMK पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, तो यह अच्छी बात है कि वे इस मामले में जागरूकता फैलाने के लिए काम कर रही हैं। हमें सुनिश्चित करना होगा कि मतदाता सूची में कोई भी धांधली नहीं हो।
 
ममता बनर्जी की बात सुनने पर मुझे खेद है 🙏, लेकिन उनकी समझौता करने की ताकत हमारे देश को क्यों नुकसान पहुंचा रही है? 🤔 सिर से मतदाताओं को हटाने का यह तरीका सच्चा राजनीति की खेल नहीं है। मुझे लगता है कि चुनाव आयोग ने इस बारे में कुछ भी सोचा नहीं 💡
 
मुझे यह बात बहुत परेशान करती है तृणमूल कांग्रेस ने ऐसा पार्टी से राजनीति करने वाला दिखाई देता है और भाजपा को इस मामले में आरोप लगाया जा रहा है 🤕

वोटर लिस्ट में धांधली की बात तो सिर्फ एक बड़ी चुनौती है। यह तो हमारे देश की संप्रभुता को कम करने की तरह लगता है। मैं सोचता हूं कि अगर हम अपने मतदान प्रणाली और लोकतंत्र को मजबूत बनाते हैं तो सभी वोटरों के अधिकार सुरक्षित होंगे।

हमें यह भी समझना चाहिए कि मतदान प्रणाली में छेड़छाड़ करने वाले लोग कौन हैं और उनकी पहचान कैसे पता चलेगी। इससे हम अपने देश को ज्यादा सुरक्षित बना सकते हैं।
 
मैंने पढ़ा है कि क्या बंगाल में वोटर लिस्ट में धांधली की जा रही है? तो चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट दोनों एक साथ इस पर काम कर रहे हैं? तृणमूल कांग्रेस ने 8वीं आत्महत्या घोषित कर दी है, लेकिन मुझे लगता है कि यह बहुत ही सुस्त जवाब है। SIR वाले 12 राज्यों में इतने ज्यादा वोटर्स हैं, तो क्या इससे हमें यह निश्चित करने में मदद मिलेगी कि मतदाता सूची में विवाद की कोई भी घटना न हो।
 
SIR वाले लोगो को लगता है कि वो देश की संप्रभुता को मजबूत बनाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं 🤔. Lekin, main sochta hoon ki yeh SIR kaafi khatarnaak ho sakta hai. 51 करोड़ वोटर ko ek sir se link karne mein kya safalta milegi? Yeh toh ek bada risk hai 😅. Aur, DMK ki yeh yachika daire kaise hoga? Kya woh soch rahi hogi ki SIR kaafi aisi cheezein dikhayega jo uski party ko nuksaan pahuncha degi 🤷‍♂️.
 
ममता बनर्जी की बात सुनकर तो लगता है कि वे अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। सीर (संप्रभुता) को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना बिल्कुल सही नहीं है। इससे वोटर लिस्ट में धांधली की जा सकती है और चुनाव की अखंडता खतरे में पड़ जाती है।

मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बीजेपी पर आरोप लगाने से पहले वोटर लिस्ट को साफ करने के लिए तैयार है। इससे चुनाव आयोग को अपना काम अच्छी तरह से कर सकता है और संप्रभुता को बचा सकता है।

ममता बनर्जी ने कहा था कि SIR को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि इससे उनके पक्ष को मजबूत करने की संभावना है। 🤔
 
शायद मतदाता सूची में धांधली होती है तो चुनावों का अर्थ क्या? 🤔

जैसे ही SIR का इस्तेमाल राजनीति में होता जा रहा है, लोगों को सिर्फ अपने पार्टी के नाम पर मतदान करने के लिए मजबूर होने लगे हैं। इससे चुनावों में सincerity खत्म हो गई है और हमें सोचना होगा कि लोकतंत्र कब तक चलेगा? 🚨
 
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