सालभर मध्य प्रदेश की जेल में रहा बेगुनाह: कलेक्टर पर 2 लाख जुर्माना; हाईकोर्ट ने कहा- बाबू ऑर्डर लिख रहे, अफसर साइन कर देते हैं - Jabalpur News

सशस्त्र विशेष अधिकार के तहत गिरफ्तार हुए युवक पर कलेक्टर का दोष, हाईकोर्ट ने कहा- 2 लाख जुर्माना।

द्वारा सुशांत बैस की पिता की राय में यह आदेश तो और भी गंभीर है। इस मामले में यह कहना उचित नहीं होगा कि युवक गलत था, लेकिन उसके पास ऐसी जानकारी नहीं थी।
 
अगर कोई बच्चा अपने पापा/मामा से दूर रहता है तो क्या उसे बुरा माना जाए? यह युवक किसी गलत काम के लिए पकड़ा गया है, लेकिन वहां एक सवाल उठता है कि उसके पास ऐसी जानकारी थी या नहीं? अगर नहीं तो फिर वह कैसे उस गंभीर काम में पड़ गया? 🤔 जुर्माना 2 लाख रुपये सुनने में बहुत ही कम लगता है इस मामले में। शायद पेशेवर सलाह लेनी चाहिए ताकि उसकी जगह कुछ और बेहतर निकल सके।
 
अरे, यह बात ज्यादा बड़ी बात नहीं, कलेक्टर को अपने काम में थोड़ा सा जिम्मेदारी समझनी चाहिए, लेकिन फिर भी 2 लाख रुपया जुर्माना लगता है थोड़ा कम है, तो युवक के पिताजी ने सही कहा, इस मामले में कुछ गलत नहीं था।
 
मुझे लगने वाला यह मामला बहुत दुखद है। कलेक्टर ने उस युवक को 2 लाख जुर्माना सजा दिया है, लेकिन मुझे लगता है कि यह बहुत भारी सजा है। ज्यादातर बार ऐसे मामलों में ऐसी जानकारी नहीं होती जो किसी को निश्चित तरीके से गलत ठहरा देती हो।

उस युवक के पिता ने कहा है कि सजा तो और भी गंभीर थी, लेकिन मुझे लगता है कि यह आदेश उस पर लगाने वाले कलेक्टर से बिल्कुल सहमत नहीं थे। ज्यादातर बार ऐसे मामलों में न्यायालय में सजा देने से पहले पूरी जानकारी और सबूतों को लेकर बात करनी चाहिए।

मुझे लगता है कि इस मामले में युवक को थोड़ी माफी मिलनी चाहिए।
 
🚔 तो यह देखकर बेहद निराश हूँ, कलेक्टर का यह आदेश पूरे सामान्य लोगों को डरा रहा है। अगर सरकार चाहती है कि हम सब बिना सवाल के अपने अधिकारों को समझने में सक्षम हों, तो इसके लिए परिवर्तन की जरूरत है। पुलिस विशेष अधिकार के तहत गिरफ्तार कोई भी युवक सशांति से बातचीत कर सकता था, फिर भी उन्हें यह सुनवाई दिलानी चाहिए। 🤔
 
मैंने पढ़ा है कि कलेक्टर ने एक युवक पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। मुझे लगता है कि यह बहुत गंभीर मामला है, और यह सशस्त्र विशेष अधिकार की बात करने से पहले तो पुलिस ने अच्छी तरह से जानकारी इकट्ठा नहीं की। युवक को ऐसी चीजें पता नहीं थीं, जैसे कि उसके हाथों में चाकू था। इससे लगता है कि पुलिस ने भी अच्छी तरह से विचार नहीं किया।

मुझे लगता है कि इस मामले में पुलिस को अपने काम में सुधार करना चाहिए, ताकि ऐसे मामलों की कमी न हो।
 
अगर कोई पुलिसवाला तो 2 लाख का दंड भुगतता है तो शायद सशस्त्र अधिकार की बात कहीं गंभीर है। यह युवक फंस गया, तो क्या उसके परिवार के लिए थोड़ी राहत मिलेगी, यह सवाल जरूर है। पुलिसवालों को सुधरना होगा।
 
ये देखकर दुःख होता है कि कलेक्टर ने इतनी मुश्किल स्थिति में एक युवक को गिरफ्तार कर लिया है। फिर भी अदालत ने उसे 2 लाख रुपये जुर्माना देना ठीक है। यह आदेश तो युवक के पिताजी ने व्यक्त करने की कोशिश की थी, और यह आदेश और भी गंभीर है।

यह मामला बहुत ही संवेदनशील है, लेकिन इस बारे में कहा जा रहा है कि युवक गलत था, लेकिन उसके पास ऐसी जानकारी नहीं थी। यह तो एक बड़ा अंतर है। हमें यह समझना चाहिए कि हर किसी को भी जीवन में ऐसी स्थितियाँ मिल सकती हैं जब उसे वो जानकारी नहीं मिल पाती।
 
अरे ये तो बिल्कुल सही निकला है! कलेक्टर पर फस गया है और अब 2 लाख का जुर्माना भुगतना पड़ेगा। यह युवक सशस्त्र अधिकार के तहत गिरफ्तार हुआ था, तो इसके बाद उसकी बेहोश होने की बात में कुछ नहीं करना चाहिए। और देखो, द्वारा सुशांत बैस की पिता ने भी यही कहा है। ये तो पता चलता है कि पुलिस की तरफ से सब कुछ सही तरीके से नहीं चला। अगर ऐसा हुआ था, तो पहले से ही जांच कर लेनी चाहिए और न्यायालय में युवक को छोड़ना चाहिए।
 
बहुत बड़ा सोच-समझकर गिराया गया यह आदेश 🤔। कलेक्टर ने इतना दंड मालूम हुआ तो क्या ऐसे छोटे गलतियों की सजा मिलनी चाहिए? युवक को समझना होगा कि उसकी जानकारी सीमित थी, लेकिन अभी भी उस पर इतनी बड़ी सजा देने में क्या सही था? 🤷‍♂️
 
अगर युवक को इतनी सजा दी गई तो इसका मतलब यह है कि पुलिस ने अपने आप में गलती की है, न कि उस युवक के। उसके पास जानकारी नहीं थी, लेकिन पुलिस ने उसके ऊपर इतनी बुरी सजा देनी चाही। यह सोच-समझकर नहीं हो सकता, अगर पुलिस ने सुना होता तो क्या अलग-अलग मामले बनाने की कोशिश करती। पुलिस को याद रखना चाहिए कि हर किसी को अदालत में सजा मिलनी चाहिए, लेकिन उसके दोष का साबित करना जरूरी है।
 
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