भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने आने वाले मिशनों का रोडमैप साझा करने जा रहा है, जिसमें चांद पर बसाने की योजना भी शामिल है। इसरो के अनुसार, देश जल्द ही अपना पहला अंतरिक्ष स्टेशन बांट देगा, जिसके बाद कॉलोनी बसाने की योजना बनाई जाएगी।
इस प्लान के अनुसार, इसरो के स्पेस एक्सपर्टों ने बताया है कि देश जल्द ही अपने पहले अंतरिक्ष स्टेशन को बांट लेगा, जिसका नाम 'गगनयान' रखा गया है। यह स्टेशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना साल 1969 में हुई थी, और इसका उद्देश्य देश के लिए अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास करना है।
इसके बाद, इसरो के प्लान के अनुसार, यह स्टेशन चांद पर बसाया जाएगा, जहां भारतीय सेना एक चांद पर आधार बनाएगी। इस आधार पर से देश की राखी लगाई जाएगी, और इस आधार पर भारतीय सैनिकों ने अपने विश्वास को प्रदर्शित करेगा।
इस प्लान के अनुसार, चांद पर बसाने के लिए इसरो को 2025 में एक नए अंतरिक्ष मिशन की तैयारी करनी होगी, जिसका नाम 'चंद्रयान-3' रखा गया है। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा चांद पर आधार बनाने की कोशिश करेगा।
इस प्लान के अनुसार, इसरो के स्पेस एक्सपर्टों ने बताया है कि चंद्रयान-3 मिशन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा चांद पर आधार बनाने की कोशिश करनी होगी। इसके लिए, इसरो को अपने सभी वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मियों को तैयार रहना होगा, और उन्हें अपने स्पेस मिशन को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
				
			इस प्लान के अनुसार, इसरो के स्पेस एक्सपर्टों ने बताया है कि देश जल्द ही अपने पहले अंतरिक्ष स्टेशन को बांट लेगा, जिसका नाम 'गगनयान' रखा गया है। यह स्टेशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना साल 1969 में हुई थी, और इसका उद्देश्य देश के लिए अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास करना है।
इसके बाद, इसरो के प्लान के अनुसार, यह स्टेशन चांद पर बसाया जाएगा, जहां भारतीय सेना एक चांद पर आधार बनाएगी। इस आधार पर से देश की राखी लगाई जाएगी, और इस आधार पर भारतीय सैनिकों ने अपने विश्वास को प्रदर्शित करेगा।
इस प्लान के अनुसार, चांद पर बसाने के लिए इसरो को 2025 में एक नए अंतरिक्ष मिशन की तैयारी करनी होगी, जिसका नाम 'चंद्रयान-3' रखा गया है। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा चांद पर आधार बनाने की कोशिश करेगा।
इस प्लान के अनुसार, इसरो के स्पेस एक्सपर्टों ने बताया है कि चंद्रयान-3 मिशन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा चांद पर आधार बनाने की कोशिश करनी होगी। इसके लिए, इसरो को अपने सभी वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मियों को तैयार रहना होगा, और उन्हें अपने स्पेस मिशन को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।