शेफाली वर्मा जिस खेल की बात कर रही हैं वह ही क्रिकेट है। उनके जीवन से जुड़ी एक रोचक कहानी बताएंगे। शेफाली ने अपने दादा और भाई को खेल में देखा, लेकिन उस समय वह छोटे थे, इसलिए उन्होंने अपना पहला गेम 16 साल की उम्र में खेला। उनकी माँ ने उन्हें बेहतर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
शेफाली वर्मा ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और पेशेवर रूप से क्रिकेट खेलना शुरू किया। उनके पहले तीन साल में ही उन्हें टीम में जगह मिली। वह एक अच्छी बल्लेबाज़ी करने वाली खिलाड़ी थीं। लेकिन जल्द ही, टीम ने उन्हें ड्रॉप कर दिया।
टीम से ड्रॉप होने के बाद, शेफाली ने अपनी समस्याओं को समझने में मदद मिली। वह अपने पिता की बीमारी पर ध्यान लगाती थीं, जिसने उन्हें खेल से दूर ले गया। उनके पिता को हार्ट अटैक हुआ और फिर शेफाली, उनके बड़े भाई ने उन्हें छोड़कर विदेश चले गए। इससे शेफाली को खेल में अपनी जिंदगी बचानी हुई।
शेफाली वर्मा ने फिर से टीम में जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने कई प्रदर्शन देकर अपनी जगह मजबूत की। और आखिरकार, वह विश्व कप की तैयारी में शामिल हुईं।
शेफाली वर्मा ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और पेशेवर रूप से क्रिकेट खेलना शुरू किया। उनके पहले तीन साल में ही उन्हें टीम में जगह मिली। वह एक अच्छी बल्लेबाज़ी करने वाली खिलाड़ी थीं। लेकिन जल्द ही, टीम ने उन्हें ड्रॉप कर दिया।
टीम से ड्रॉप होने के बाद, शेफाली ने अपनी समस्याओं को समझने में मदद मिली। वह अपने पिता की बीमारी पर ध्यान लगाती थीं, जिसने उन्हें खेल से दूर ले गया। उनके पिता को हार्ट अटैक हुआ और फिर शेफाली, उनके बड़े भाई ने उन्हें छोड़कर विदेश चले गए। इससे शेफाली को खेल में अपनी जिंदगी बचानी हुई।
शेफाली वर्मा ने फिर से टीम में जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने कई प्रदर्शन देकर अपनी जगह मजबूत की। और आखिरकार, वह विश्व कप की तैयारी में शामिल हुईं।