सूर्य की 36 घंटे की निर्जला छठ व्रत में महिलाएं आज सुबह उगने वाले सूर्य को अर्घ्य देंगी, जिसका अर्थ है उनकी जिंदगी के आधे हिस्से में जीवन नहीं रह पायेगा। विज्ञान के अनुसार, धरती की ऊर्जा सूर्य की आग से बनी हुई है, लेकिन अब यह अपनी आधी उम्र में पहुंच चुकी है।
सूर्य की यह 36 घंटे की निर्जला छठ व्रत महिलाओं को अपने जीवन की प्रकृति को समझने और उसमें सुधार करने का अवसर देता है। इस व्रत में, महिलाएं अपने शरीर को पूरी तरह से त्यागती हैं और अपने आत्मा को शुद्ध करती हैं। यह व्रत उन्हें अपने जीवन में नई ऊर्जा औरnewbeginnings की ओर बढ़ने का अवसर देता है।
विज्ञान के अनुसार, सूर्य की यह 36 घंटे की निर्जला छठ व्रत धरती को जिंदा रखने में मदद करता है। सूर्य की आग धरती पर जीवन की आधारशिला है, और इसकी कमी से धरती का अस्तित्व ही नहीं रह पाएगा। इसलिए, इस व्रत में, महिलाएं अपने सूर्य को अर्घ्य देंगी और उस ऊर्जा को नमन करेंगी।
सूर्य की आधी उम्र में पहुंच जाने से धरती का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। इसलिए, इस व्रत में, महिलाएं अपने जीवन में नई ऊर्जा और newbeginnings की ओर बढ़ने का अवसर देती हैं। यह व्रत उन्हें अपने आत्मा को शुद्ध करने और अपने जीवन में सुधार करने का अवसर देता है।
				
			सूर्य की यह 36 घंटे की निर्जला छठ व्रत महिलाओं को अपने जीवन की प्रकृति को समझने और उसमें सुधार करने का अवसर देता है। इस व्रत में, महिलाएं अपने शरीर को पूरी तरह से त्यागती हैं और अपने आत्मा को शुद्ध करती हैं। यह व्रत उन्हें अपने जीवन में नई ऊर्जा औरnewbeginnings की ओर बढ़ने का अवसर देता है।
विज्ञान के अनुसार, सूर्य की यह 36 घंटे की निर्जला छठ व्रत धरती को जिंदा रखने में मदद करता है। सूर्य की आग धरती पर जीवन की आधारशिला है, और इसकी कमी से धरती का अस्तित्व ही नहीं रह पाएगा। इसलिए, इस व्रत में, महिलाएं अपने सूर्य को अर्घ्य देंगी और उस ऊर्जा को नमन करेंगी।
सूर्य की आधी उम्र में पहुंच जाने से धरती का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। इसलिए, इस व्रत में, महिलाएं अपने जीवन में नई ऊर्जा और newbeginnings की ओर बढ़ने का अवसर देती हैं। यह व्रत उन्हें अपने आत्मा को शुद्ध करने और अपने जीवन में सुधार करने का अवसर देता है।