मुझे लगता है कि यह सब मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के बारे में बहुत कम खुलकर बात नहीं हुई। सुशांत की मौत को तुरंत मनोवैज्ञानिक समस्या के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि उसके परिवार और सहपाठियों की भावनाओं को समझने की जरूरत है। हमें यह जानने की जरूरत है कि सुशांत की मानसिक स्थिति कैसे थी, अगर वह खुद ही इसके बारे में बात कर पाते। फिर ही हम समझ सकते हैं कि वास्तव में क्या हुआ।