सड़क पर फेंकी मिलीं EVM से निकली पर्चियां, राजद ने लगाए गंभीर आरोप तो चुनाव आयोग ने उठाया बड़ा कदम

अरे, यह चुनाव अपराध कितना बढ़ गया है… एक तरफ उम्मीदवारों को मतदाताओं से मतदान करना होता है, दूसरी तरफ लोग पर्चियां फेंकने का रीति-रिवाज बन गए हैं। ज्यादातर चोरी किए जाने वाले पर्चे इलेक्शन पोल के नीचे लगाए जाते हैं तो भी, कुछ लोग खुद से बैठकर मतदाताओं का मतपत्र फेंक देते हैं। क्यों की चुनाव में मतदान करना हमारा अधिकार है, लेकिन यह भी सच है कि अगर आप जानते हैं कि उसके बाद आपको कोई नुकसान पहुंचेगा।

शायद यह सब एक छोटी सी चोरी में बढ़ गया है। पुलिस तुरंत पर्चियां फेंकने वालों को पकड़ लें, और अगर शिकायत सच है तो उनकी सज़ा भी तुरंत दी। क्योंकि चुनाव अपराध कितना गंभीर है, हमें इसे ध्यान से न लेना चाहिए। 🚫
 
मुझे यह सब बहुत दुखद लग रहा है 😔, चुनाव में भ्रष्टाचार हुआ तो क्या करेंगे? पुलिस ने खोलने में विफल रही तो बाकी कौन रोकेगा? पर्चियों की सड़क पर फेंकने का वीडियो देखने के बाद मुझे लोगों के डर और असुरक्षा की भावना हो रही है 😱, चुनाव में शांति और सम्मान होना चाहिए। पार्टी नेताओं की आरोप लगाने से और भी गहरा घाव हो सकता है, चुनाव आयोग को जल्द से जल्द इस मामले का पता लगाना चाहिए ताकि ऐसे incidents न हों। 🚨
 
यह चुनाव अपराध सिर्फ बिहार में नहीं है, बल्कि पूरे देश में चिंता का विषय बन गया है। लोगों को रोककर पर्चियां फेंकना और भीड़भाड़, यह सब एक बड़ी समस्या है जिसका समाधान नहीं हुआ। पुलिस की भी मुश्किल हो गई है, खासकर जब एक्जिट पोल खोलने में विफल रही। चुनाव आयोग ने तुरंत शिकायत की है और जल्द ही इस मामले का पता लगाने की मांग की है। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि जल्द ही इन पर्चियों को वापस लाया जाएगा और चुनाव की अखंडता बनाए रखी जाएगी।
 
आज के चुनाव में ऐसा क्यों हो रहा है? 🤔 पार्टी नेताओं द्वारा आरोप लगाने से भलाई नहीं होती, बल्कि मतदाताओं को डराने-धमकाने का मौका मिलता है। चोरी किए जाने वाले पर्चों के नाम तय करें कि उन्हें किस पार्टी का पर्चा क्यों लगाया गया है, तो इससे साफ होगा कि सच्चाई कहाँ है। चुनाव आयोग से मिलकर इस मामले का समाधान निकाल लेना चाहिए, ताकि भविष्य की चुनावों में ऐसा फिर न हो।
 
इस चुनाव में क्या हुआ, यह तो बहुत बड़ा अपराध है 🚫 . कैसे एक्जिट पोल खोलने में विफल रही, यह तो पुलिस की पूरी जिम्मेदारी है। लोगों को रोककर पर्चियां फेंक दीं गए, यह तो बहुत बड़ा उत्पीड़न है।

और पार्टी नेताओं ने आरोप लगाया कि ये चोर राजद नेताओं का हाथ है, लेकिन मुझे लगता है कि यह सिर्फ एक मजाक है। क्या कोई सच्चा अपराधी नहीं है, जो दीवालिया होकर पर्चियां फेंक रहा हो?

लेकिन चुनाव आयोग ने जल्द ही इस मामले का पता लगाने की मांग की तो मुझे लगता है कि यह एक अच्छा निर्णय है। हमें अपने देश की गहराई से जानने की जरूरत है, कि चुनाव में सच्चाई क्यों नहीं आ रही है।
 
मुझे लगता है कि यह सब चुनाव की जाती राजनीति से जुड़ गई समस्या है, पर्चियों को फेंकने वाले लोग तो बस मीडिया के नज़रिए बिल्कुल निकलते हैं 🤔, क्या ये लोग एक्सिट पोल से पहले भी अपने पर्चे देने गए थे? चुनाव में ऐसी चालें कैसे हो सकती हैं और पुलिस कैसे इनका पता नहीं कर पाती 🚨, और फिर एक्जिट पोल खोलने वाली जगह पर्चियां फेंकने लगे, तो इसका मतलब ये लोग पहले भी ही जीतने की उम्मीद में थे!
 
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