बात क्या है यह चुनाव आयोग की सुनवाई में इतनी तेजी? पहले चरण में शुद्ध हुई 7.42 करोड़ मतदाताओं की सूची, फिर तुरंत दूसरे चरण में एसआईआर शुरू करना? लगता है कि सब जल्दबाजी में हो रहा है, पर बीच में भी जांच नहीं हुई। चुनाव आयोग ने इतनी तेजी से क्यों लिया?