SIR के खिलाफ कोलकाता में ममता का मार्च: कहा- जैसे हर उर्दू बोलने वाला पाकिस्तानी नहीं, वैसे ही हर बांग्लाभाषी बांग्लादेशी नहीं

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता ममता बनर्जी ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR (वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन) के खिलाफ कोलकाता में विरोध मार्च निकाला, जहां उन्होंने कहा, "जैसे हर उर्दू बोलने वाला पाकिस्तानी नहीं, वैसे ही हर बंगाली बंगाली नहीं।" सीर को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि 2026 विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में धांधली की जा सके।

सीर के खिलाफ TMC नेताओं और लोगों ने रैली में भाग लिया।
 
मैं तृणमूल कांग्रेस के नेता ममता बनर्जी को उनकी बात से समझ नहीं पा रहा हूँ। सीर वोटर लिस्ट पर ध्यान देने का एक जरूरी कदम है, लेकिन यह राजनीतिक हथियार बन जाने से हमें चिंतित होना चाहिए। मैंने अपने बच्चों को भी सिखाया है कि हमारे देश में हर किसी का अधिकार है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि हम इस अधिकार का सही तरीके से उपयोग करें।
 
मेरा मन है तृणमूल कांग्रेस के साथ, लेकिन आज सीर के बारे में तो बहुत चिंता हुई 🤔। जैसे आप कह रही हैं, हर बंगाली नहीं होते, यह बहुत जरूरी है कि हम अपनी पहचान पर गर्व करें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें। मुझे लगता है कि सीर को वोटर सुरक्षा के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए, न कि धांधली के लिए 😐। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर वोटर अपनी पहचान पर गर्व करे और अपना मतपत्र डालते समय बिना किसी दबाव में अपना मन निर्णय ले।
 
सीर का यह प्रयोग बंगाल को पाकिस्तान से अलग नहीं कर सकता 🙅‍♂️, बस चुनाव में धमकी देने का तरीका है ।
 
अरे, यह तो बहुत ही चिंताजनक स्थिति है 😕। मैंने अपने जीवन में कई चुनाव देखे हैं, लेकिन सीर का इस्तेमाल कभी नहीं था। यह वोटर लिस्ट में धांधली करने का एक नया तरीका है। मुझे लगता है कि हमें अपने मतदान अधिकारों को बहुत ज्यादा महत्व देना चाहिए। हर व्यक्ति के मतदान का सम्मान करने की जरूरत है, न कि किसी के मतदान को प्रभावित करने की।
 
बंगाल में यह सब क्या हो रहा है? SIR को वोटर लिस्ट को जांच करने के लिए बनाया गया था, लेकिन अब यह राजनीति में इस्तेमाल किया जा रहा है। ममता दidi की बात सुनकर लगता है कि वह अपने मतदाताओं को समझ नहीं पा रही हैं। हर एक व्यक्ति को समान अधिकार मिलेंगे, न कि केवल उन्हें जो उनकी पसंद हो। लेकिन जब SIR के खिलाफ रैली होती है तो मुझे लगता है कि कुछ लोग वास्तव में अपने मतदान के अधिकार पर चर्चा नहीं कर रहे हैं।
 
मुझे यह देखकर बहुत खेद हुआ! तृणमूल कांग्रेस के नेता सोनिया गांधी से अलग हो जाने और ममता बनर्जी की नेतृत्व की शुरुआत करने की बातें सुनकर खुश था, लेकिन अब यह देखकर लग रहा है कि वे SIR के खिलाफ लड़ रही हैं।

मुझे लगता है कि यह बहुत बड़ा मुद्दा है और हमें इस पर ध्यान देना चाहिए। तो हमें सिर्फ अपने पड़ोसी की समस्याओं का समाधान करना नहीं चाहता, बल्कि हमारे देश की समस्याओं का समाधान करना चाहते हैं।

मुझे लगता है कि हमें यह सोचना चाहिए कि हमारा देश विविधता में बहुत ज्यादा सक्रिय है। हमारे देश में हर जगह अलग-अलग बोली और खाना, धर्म, और रंग के लोग रहते हैं।
 
बhai, यह तो बहुत ही चिंताजनक स्थिति है... सीर को वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन के रूप में इस्तेमाल करना और इससे पहले 2026 विधानसभा चुनाव तक वोटर लिस्ट में धांधली करने का प्रयास तो बहुत खतरनाक है... हमें यह सोचकर नहीं रहना चाहिए कि हमारे देश में ऐसी चीजें हो सकती हैं... बंगाली भाई-बहनों को अपने मतपत्र की गोपनीयता और सुरक्षा की ज़रूरत है, यह तो हम सभी को पता है... तृणमूल कांग्रेस नेताओं को अपने विरोध का तरीका समझाना चाहिए कि इससे पूरा समाज प्रभावित होगा...
 
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