Supreme Court: जस्टिस सूर्यकांत आज बनेंगे 53वें सीजेआई; निवर्तमान CJI गवई बोले- कोई सरकारी पद नहीं लूंगा

जस्टिस सूर्यकांत शपथ लेंगे, गवई का पद छोड़ देगा

जस्टिस सूर्यकांत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने, बिहार मतदाता सूची समीक्षा व पेगासस स्पाइवेयर केस जैसे कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं। वह 9 फरवरी, 2027 को सेवानिवृत्त होंगे। बतौर सीजेआई उनका कार्यकाल करीब 15 माह का होगा।

निवर्तमान सीजेआई जस्टिस बीआर गवई ने कहा है कि वह सेवानिवृत्ति के बाद कोई सरकारी पद नहीं लेंगे। उन्होंने जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली का पुरजोर बचाव किया। गवई ने अपने कार्यकाल के दौरान किसी महिला जज की नियुक्ति न करने पर अफसोस जताया।

गवई ने लगभग सभी जरूरी मुद्दों पर बात की। इसमें जूता फेंकने की घटना, न्यायपालिका में लंबित मामले, राष्ट्रपति संदर्भ पर उनके फैसले की आलोचना, अनुसूचित जातियों में क्रीमी लेयर को आरक्षण के फायदों से बाहर रखने जैसे विषय शामिल हैं। उन्होंने कहा, मैंने कार्यभार संभालने के साथ ही साफ कर दिया था कि मैं सेवानिवृत्ति के बाद कोई भी आधिकारिक काम नहीं लूंगा।
 
जस्टिस गवई को अब पद छोड़ना पड़ गया है, परंतु उनके कार्यकाल में बहुत सारे महत्वपूर्ण निर्णय लेने की बात है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की विशेष दर्जा को हटाने का फैसला किया, जो एक बड़ा बदलाव था।
 
अरे, गवई जी ने जुता फेंकने की घटना पर तो बहुत आलोचना की है, लेकिन वास्तविकता यह है कि उन्होंने अपने स्वयं के कार्यकाल में भी कई ऐसी घटनाएं देखीं जैसे हमारे देश में कानून की अटलता बचाने का कोई तरीका नहीं है। और उनका नियुक्ति समिति में से क्यों बाहर हुआ, यह भी एक अच्छी बात नहीं है… वैसे, सूर्यकांत जी को जस्टिस बनाने की तारीफ करनी चाहिए, लेकिन उन्हें अपने फैसलों में थोड़ा सा न्याय की दिशा में ध्यान देना चाहिए। 🙏
 
जस्टिस शपथ की नियुक्ति से पहले, मुझे लगा है कि गवई जी का पद छोड़ना एक अच्छी बात होगी, भले ही वो अपनी राय को साफ कर देते हुए सेवानिवृत्ति लेने की घोषणा करते हैं। उनकी नियुक्ति में कई तरह के फैसले आने शुरू होंगे, जैसे कि जूता फेंकने की घटना, अनुसूचित जातियों को आरक्षण देने पर, और राष्ट्रपति संदर्भ पर उनके फैसले।
 
मुझे लगता है कि जस्टिस गवई को पद छोड़ने वाला नहीं है, बस ये कोशिश कर रहे हैं की उन्हें पेगासस स्पाइवेयर केस में सजा देनी चाहिए 🤔। वह बहुत ही निष्पक्ष और अन्यायपूर्ण निर्णय लेते हैं। गवई जी ने कार्यकाल के बाकी समय में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, जैसे की जम्मू-कश्मीर विशेष दर्जा खत्म करने। मुझे लगता है कि उन्हें पद छोड़ने की जरूरत नहीं है, बस उनको अपने निर्णयों को साफ कर देना चाहिए 🙄
 
जस्टिस शपथ जो जम्मू-कश्मीर की स्थिति को हल करने का प्रयास कर रहे हैं, वह अच्छा होगा। लेकिन अभी तक उनके फैसलों में भारत देश के सभी लोगों को शामिल नहीं किया गया है। क्या वे बिहार की स्थिति को भी ध्यान में रखेंगे? और उनके निर्णय में पेगासस स्पाइवेयर जैसे मुद्दों पर भी रुख नहीं बदलेंगे।
 
जस्टिस सूर्यकांत को जेएसएल वाले लोगों का बहुत बड़ा प्यार है, यह तो निश्चित है कि वह जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के फैसले से खुद को बाहर कर देंगे। लेकिन मुझे लगता है कि उन्होंने इस मामले में बहुत अच्छा काम किया, और अब वह अपने पास बैठकर एक शांतिपूर्ण तरीके से अपनी राय दे सकते हैं। मैं उनके लिए खुश हूं, और मुझे लगता है कि वे जल्द ही नए पद पर बैठेंगे।
 
बता दो जस्टिस गवई को सेवानिवृत्ति पर आ गया है! 😊 उनके कार्यकाल में बहुत हUA hai, और अब वह अपनी सेवानिवृत्ति के बाद कुछ भी नहीं कर रहे हैं... लेकिन फिर भी, लोग उनके खिलाफ हो रहे हैं! 👀 यह तो थोड़ा न्यायहीन लगता है, मेरा विचार। जस्टिस शपथ पर उनके पद से निकलने की बात, यह तो कोई बड़ी चीज नहीं है... लेकिन फिर भी, लोगों को लगता है कि उन्हें गवई की जगह पर रखना चाहिए! 🤔 मेरे अनुसार, जस्टिस शपथ एक अच्छा व्यक्ति हैं और उनको पद छोड़ना चाहिए... लेकिन फिर भी, हमें उनके अच्छे फैसलों को याद रखना चाहिए! 🙏
 
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